भारत की धरती हमेशा से ही धार्मिक और पौराणिक स्थलों के लिए जानी जाती है। हर राज्य में आपको मंदिर, तीर्थ और धाम मिलेंगे, लेकिन अगर बात उत्तर प्रदेश के सबसे पवित्र मंदिर की करें तो एक ही नाम सबसे पहले सामने आता है। नैमिषारण्य। यह सिर्फ एक साधारण मंदिर नहीं है उत्तर प्रदेश का सबसे पवित्र मंदिर कौन सा है नैमिषारण्य बल्कि इसे “सर्वतीर्थराज” यानी सभी तीर्थों का राजा कहा गया है। अगर आप धार्मिक यात्रा के शौकीन हैं, तो नैमिषारण्य आपके जीवन में एक बार जरूर जाना चाहिए।

नैमिषारण्य कहाँ स्थित है?
सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि नैमिषारण्य आखिर है कहाँ। यह पवित्र स्थल उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित है। लखनऊ से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर बसा यह क्षेत्र इतना पावन माना जाता है कि कहा जाता है यहाँ कदम रखने मात्र से ही व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं।
नैमिषारण्य को संस्कृत में “नैमिषारण्य तीर्थ” कहा गया है। यह वह जगह है जहाँ पर प्राचीन काल में 88,000 ऋषि-मुनियों ने तपस्या की थी। यही कारण है कि इसे उत्तर प्रदेश का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है।
नैमिषारण्य का पौराणिक महत्व
अगर आप सोच रहे हैं कि नैमिषारण्य इतना खास क्यों है, तो इसका जवाब पौराणिक कथाओं में छिपा है।
- स्कंद पुराण और महाभारत दोनों में नैमिषारण्य का विस्तार से उल्लेख मिलता है।
- कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने अपने चक्र (सुदर्शन चक्र) से इस वन का निर्माण किया था।
- मान्यता है कि यहीं पर ऋषियों ने महर्षि व्यास से पुराणों की कथा सुनी थी।
- माना जाता है कि यहाँ किए गए स्नान और दान का फल हजारों गुना ज्यादा मिलता है।
इसलिए जब भी कोई पूछता है कि उत्तर प्रदेश का सबसे पवित्र मंदिर कौन सा है? नैमिषारण्य का ही नाम लिया जाता है।
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नैमिषारण्य के प्रमुख स्थल और मंदिर
नैमिषारण्य सिर्फ एक मंदिर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरा क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यहाँ कई ऐसे स्थान और मंदिर हैं जो तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं।
1. चक्रतीर्थ
नैमिषारण्य का सबसे प्रसिद्ध स्थान है चक्रतीर्थ। माना जाता है कि भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र यहीं गिरा था। यह एक पवित्र कुंड है जहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु स्नान करते हैं।
2. ललिता देवी मंदिर
यहाँ स्थित ललिता देवी मंदिर को शक्ति पीठ माना जाता है। मान्यता है कि माँ सती का हृदय यहीं गिरा था। इस कारण यह स्थान देवी उपासकों के लिए बेहद खास है।
3. व्यास गद्दी
यह वह स्थान है जहाँ महर्षि व्यास जी ने पुराणों की रचना की थी। आज भी यहाँ पर संत और भक्त धार्मिक प्रवचन करते हैं।
4. हनुमान गढ़ी
यहाँ पर एक प्राचीन हनुमान मंदिर भी है। कहा जाता है कि यहाँ पूजा करने से भक्तों की सभी बाधाएँ दूर हो जाती हैं।
5. दशाश्वमेध घाट
गंगा स्नान जितना पवित्र माना जाता है, उतना ही पुण्य नैमिषारण्य के दशाश्वमेध घाट पर स्नान करने से भी मिलता है।
नैमिषारण्य यात्रा का महत्व
अगर आप नैमिषारण्य यात्रा की योजना बना रहे हैं तो आपको यह जानकर खुशी होगी कि यहाँ साल भर श्रद्धालु आते हैं। खासकर अमावस्या, पूर्णिमा और नवरात्रों के समय यहाँ मेले जैसा माहौल होता है।
- यहाँ पर आने वाले श्रद्धालु सबसे पहले चक्रतीर्थ में स्नान करते हैं।
- फिर ललिता देवी मंदिर और बाकी स्थलों की परिक्रमा करते हैं।
- लोग मानते हैं कि यहाँ स्नान और पूजा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष समाप्त होता है।
नैमिषारण्य जाने का सबसे अच्छा समय
वैसे तो नैमिषारण्य आप सालभर कभी भी जा सकते हैं, लेकिन धार्मिक दृष्टि से कार्तिक पूर्णिमा, चैत्र माह और नवरात्रों का समय सबसे शुभ माना जाता है। इस समय यहाँ विशेष मेले और धार्मिक आयोजन होते हैं। अगर आप शांति और सुकून में यात्रा करना चाहते हैं तो सर्दियों का समय (अक्टूबर से मार्च) सबसे अच्छा है।
उत्तर प्रदेश का सबसे पवित्र मंदिर कौन सा है? नैमिषारण्य क्यों माना जाता है?
अब सबसे बड़ा सवाल जब यूपी में काशी विश्वनाथ मंदिर, अयोध्या का राम मंदिर और वृंदावन के कृष्ण मंदिर जैसे बड़े धाम मौजूद हैं, तो फिर नैमिषारण्य को सबसे पवित्र क्यों कहा जाता है?
इसका कारण है कि यह स्थान सिर्फ एक मंदिर नहीं बल्कि पूरा धार्मिक क्षेत्र है, जहाँ हजारों साल से साधना, तपस्या और धार्मिक गतिविधियाँ होती आई हैं। यहाँ सिर्फ भगवान की पूजा ही नहीं बल्कि ऋषि-मुनियों की साधना और वेदों का ज्ञान भी जुड़ा है। यानी अगर आप आध्यात्मिक शांति और गहराई से जुड़ना चाहते हैं तो नैमिषारण्य आपके लिए सबसे पवित्र और खास जगह है।
नैमिषारण्य से जुड़े 5 रोचक तथ्य
- नैमिषारण्य को “सर्वतीर्थराज” यानी तीर्थों का राजा कहा जाता है।
- यहाँ स्थित ललिता देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है।
- कहा जाता है कि ऋषि-मुनियों ने यहाँ 12 साल का यज्ञ किया था।
- नैमिषारण्य का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहाँ पर समय (निमेष) भी रुक जाता है।
- चक्रतीर्थ कुंड का पानी कभी सूखता नहीं है और इसे पवित्र गंगा के समान माना जाता है।

निष्कर्ष:उत्तर प्रदेश का सबसे पवित्र मंदिर कौन सा है नैमिषारण्य
तो भाई, अब आपको साफ समझ आ गया होगा कि उत्तर प्रदेश का सबसे पवित्र मंदिर कौन सा है? नैमिषारण्य ही इसका सही जवाब है। यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि आस्था, संस्कृति और इतिहास का अद्भुत संगम है। यहाँ जाने के बाद आपको एक अलग ही शांति और ऊर्जा का अनुभव होता है।
अगर आप कभी उत्तर प्रदेश की यात्रा पर जाएँ, तो अयोध्या, काशी और वृंदावन के साथ-साथ नैमिषारण्य को अपनी लिस्ट में ज़रूर शामिल करें। यकीन मानिए, यह यात्रा आपके जीवन की सबसे यादगार यात्राओं में से एक होगी।



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