जब भी हम रामायण की बात करते हैं, तो रावण का नाम सबसे पहले सामने आता है। एक तरफ़ वह दशानन, लंका का महाराज और बेहद विद्वान पंडित था, तो दूसरी तरफ़ उसका अहंकार और अधर्म ही उसके पतन का कारण बना। रावण की अंतिम इच्छा क्या थी? पूरी जानकारी भगवान राम से युद्ध में जब उसका वध तय हो गया, तब रावण ने मृत्यु से पहले अपनी अंतिम इच्छा प्रकट की। यही अंतिम इच्छा आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय है।
रामायण सिर्फ़ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि जीवन जीने की एक कला भी सिखाता है। और जब रावण जैसा महान विद्वान भी अपनी अंतिम घड़ी में भगवान राम के चरणों में गिरकर कुछ कहता है, तो उसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
रावण की मृत्यु का क्षण
राम और रावण का युद्ध कई दिनों तक चलता रहा। दोनों ओर से वीर योद्धा मारे गए, लेकिन आखिरकार जब भगवान राम ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, तब रावण की हार तय हो गई। घायल रावण अपने रथ से गिरकर ज़मीन पर पड़ा हुआ था, लेकिन उसके चेहरे पर कोई भय नहीं था।

कहा जाता है कि उसके शरीर से जीवन की शक्ति धीरे-धीरे खत्म हो रही थी, पर उसकी विद्या और तेज़ अभी भी उतना ही प्रखर था। उसी समय भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण से कहते हैं कि जाओ और रावण से ज्ञान प्राप्त करो, क्योंकि इतना बड़ा पंडित और वेद-शास्त्रों का ज्ञाता फिर कभी नहीं मिलेगा।
रावण की अंतिम इच्छा
अब सवाल आता है कि रावण ने आखिर अपनी अंतिम इच्छा में क्या कहा? रामायण के अनुसार रावण ने अपने अंतिम समय में यह इच्छा व्यक्त की थी की
“मेरे मृत्यु उपरांत आप (राम) मेरी विद्या, मेरा ज्ञान और मेरा अनुभव अपने जीवन में समाहित कर लीजिए। क्योंकि मेरे जैसा ज्ञानी शायद ही कोई हो। मैं पापी हूँ, परंतु जो ज्ञान मैंने अर्जित किया है, उसे व्यर्थ मत जाने दीजिए।”
यानी रावण चाहता था कि उसका अर्जित किया हुआ ज्ञान, उसकी गलतियों से सीखे गए अनुभव और उसकी विद्या नष्ट न हों, बल्कि आगे आने वाली पीढ़ियाँ उससे सीख लें। यही वजह है कि भगवान राम ने लक्ष्मण को रावण से शिक्षा लेने भेजा।
रावण ने अंतिम समय में क्या शिक्षा दी?
रावण ने लक्ष्मण को दो खास बातें बताई, जिन्हें उसकी अंतिम शिक्षा भी कहा जाता है।
- अच्छे काम तुरंत करने चाहिए। रावण ने कहा कि जीवन में अगर कोई अच्छा काम करना हो, तो उसे कभी टालना नहीं चाहिए। क्योंकि जीवन अनिश्चित है, और पता नहीं कल हो या न हो।
- बुरे काम को जितना हो सके टालना चाहिए। उसने यह भी कहा कि गलत काम या अधर्म को जितना हो सके, उतना देर से करना चाहिए। क्योंकि अगर आप उसे टालेंगे, तो शायद किसी दिन आप वह काम करने से बच जाएंगे।
ये दोनों बातें जीवन का गहरा संदेश देती हैं। सोचिए, जो रावण अपने जीवनभर अहंकार और अधर्म में डूबा रहा, वही अपनी मृत्यु के समय यह स्वीकार करता है कि उसकी सबसे बड़ी गलती यही थी कि उसने अपने गलत निर्णयों को समय रहते नहीं रोका।
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क्यों महत्वपूर्ण है रावण की अंतिम इच्छा?
अगर हम ध्यान से सोचें तो रावण की अंतिम इच्छा सिर्फ़ उसके लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सीख है। उसने यह माना कि ज्ञान किसी का भी व्यर्थ नहीं होना चाहिए। चाहे वह कितना भी बड़ा पापी क्यों न हो, अगर उसके पास विद्या है, तो उससे सीखना चाहिए।
भगवान राम ने भी यही दिखाया कि शत्रु से भी ज्ञान लिया जा सकता है। जब लक्ष्मण ने रावण के पैरों के पास बैठकर उसकी बातें सुनीं, तब यह उदाहरण बन गया कि ज्ञान पाने में कभी अहंकार नहीं करना चाहिए।
रावण से सीखने योग्य बातें
अब ज़रा सोचिए, हम सभी अपनी ज़िंदगी में कितनी बार अच्छे कामों को टाल देते हैं और कहते हैं “कल करेंगे”। लेकिन रावण की शिक्षा यही कहती है कि कल का भरोसा नहीं है। और यही उसकी सबसे बड़ी सीख है।
दूसरी ओर, कई बार हम गलतियों को जल्दी करने लगते हैं। चाहे गुस्से में, लालच में या अहंकार में। रावण ने अपने अहंकार के कारण सीता का हरण किया, और यही उसके पतन का कारण बना। अगर वह उस गलत कदम को टाल देता, तो शायद रामायण की कहानी ही कुछ और होती।
रावण की अंतिम इच्छा से हमें क्या सीख मिलती है?
- जीवन का सबसे बड़ा खज़ाना ज्ञान है। चाहे आप राजा हों या साधारण इंसान, विद्या ही आपके जाने के बाद भी लोगों के काम आती है।
- अहंकार पतन का कारण है। रावण इतना बड़ा ज्ञानी था, लेकिन उसका अहंकार ही उसे मौत तक ले गया।
- गलतियों से सीखना चाहिए। हर गलती हमें एक अनुभव देती है। अगर हम उनसे सीख लें, तो आगे बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
- शत्रु से भी शिक्षा लेना गलत नहीं है।भगवान राम और लक्ष्मण ने दिखाया कि ज्ञान कहीं से भी मिले, उसे अपनाना चाहिए।
- अच्छे कामों को टालना सबसे बड़ी भूल है।यह सीख हर इंसान के लिए सबसे जरूरी है।
रावण की अंतिम इच्छा पर धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण
धार्मिक रूप से देखें तो रावण को असुर और अधर्म का प्रतीक माना जाता है। लेकिन दार्शनिक दृष्टि से उसकी अंतिम इच्छा बहुत गहरी है। वह यह दर्शाती है कि मनुष्य चाहे कितना भी शक्तिशाली हो, अंत समय में वही महत्वपूर्ण होता है जो ज्ञान और अनुभव उसने दुनिया को दिया।
रामायण का यह प्रसंग हमें यह भी सिखाता है कि व्यक्ति की पहचान सिर्फ़ उसके कर्मों से होती है, न कि उसके पद या शक्ति से। रावण के पास स्वर्ण लंका थी, अपार शक्ति थी, मगर अंत में वह अपने ज्ञान को ही विरासत के रूप में छोड़ना चाहता था।

रावण से जुड़े 5 रोचक तथ्य
- रावण को शिव का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है। उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था।
- वह सिर्फ़ एक योद्धा ही नहीं, बल्कि एक महान वेदज्ञानी और ज्योतिषाचार्य भी था। कहा जाता है कि उसने “रावण संहिता” नामक ग्रंथ की रचना की थी।
- रावण के पास पुष्पक विमान था, जिसे आज भी दुनिया का पहला विमान माना जाता है।
- उसकी पत्नी मंदोदरी बेहद पवित्र और बुद्धिमान स्त्री थीं, जिन्होंने हमेशा रावण को सही रास्ते पर लाने की कोशिश की।
- रावण का जन्म उत्तर भारत में नहीं, बल्कि कैलाश पर्वत क्षेत्र में हुआ था। वह असल में ब्राह्मण कुल से था और विश्रवा ऋषि का पुत्र था।
निष्कर्ष:रावण की अंतिम इच्छा क्या थी? पूरी जानकारी
तो भाई, रावण की अंतिम इच्छा हमें यह सिखाती है कि ज्ञान ही सबसे बड़ी संपत्ति है, और इसे कभी व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। रावण ने अपने जीवनभर अहंकार किया, पर अंत में उसने स्वीकार किया कि उसके पास जो विद्या है, वह आने वाली पीढ़ियों को लाभ पहुंचाए। यही कारण है कि भगवान राम और लक्ष्मण ने भी उससे शिक्षा ली।
अगर हम अपने जीवन में उसकी अंतिम शिक्षा को अपनाएं—अच्छे काम तुरंत करना और बुरे कामों को टालना—तो हमारी ज़िंदगी और भी बेहतर हो सकती है।