राधा कृष्ण भक्ति वृंदावन: जन्माष्टमी स्पेशल – दर्शन, भजन, रासलीला और परिक्रमा गाइड

राधा कृष्ण भक्ति वृंदावन: जन्माष्टमी स्पेशल – दर्शन, भजन, रासलीला और परिक्रमा गाइड: नमस्कार दोस्तों, जैसा कि आप जानते है कि जन्माष्टमी का त्यौहार आते ही पूरा वृंदावन राधा-कृष्ण की भक्ति में रंग जाता है। गलियों में जय श्री राधे की गूंज सुनाई देती है, मंदिरों में भजन-कीर्तन चलता है और हर भक्त के मन में बस एक ही भावना होती है कान्हा को देखने की। अगर आप भी इस जन्माष्टमी वृंदावन में बिताने जा रहे हैं, तो यह गाइड आपके लिए खास है। इसमें हम बात करेंगे दर्शन, भजन, रासलीला और परिक्रमा के अनुभव की, बिल्कुल इंसानी अंदाज़ में, जैसे कोई आपको वहां लेकर चल रहा हो।

राधा कृष्ण भक्ति वृंदावन जन्माष्टमी स्पेशल – दर्शन, भजन, रासलीला और परिक्रमा गाइड
राधा कृष्ण भक्ति वृंदावन जन्माष्टमी स्पेशल – दर्शन, भजन, रासलीला और परिक्रमा गाइड

1. वृंदावन में जन्माष्टमी का माहौल कैसा होता है?

दोस्तों आपको बता दें कि जन्माष्टमी के दिन वृंदावन की हर गली, हर मंदिर और हर आश्रम में कान्हा की झांकी सजाई जाती है। बांसुरी की धुन, शंख की आवाज़ और भक्तों के नाचते कदम पूरे वातावरण को दिव्य बना देते हैं।

  1. श्री बांके बिहारी मंदिर: यहाँ जन्माष्टमी की रात को भगवान के दर्शन के लिए लाखों भक्त इकट्ठा होते हैं। आधी रात को जब “जय कन्हैया लाल की” की गूंज उठती है, तो ऐसा लगता है जैसे स्वयं भगवान धरती पर उतर आए हों।
  2. इसकॉन मंदिर: यहाँ विदेशी भक्त भी नृत्य और कीर्तन में भाग लेते हैं। हरे कृष्ण हरे राम का कीर्तन सुनकर आत्मा तक सुकून महसूस होता है।

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2. रासलीला का अनुभव:

दोस्तों , आप तो जानते है कि वृंदावन की रासलीला जन्माष्टमी की सबसे खास परंपरा है।

  1. स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुति: ये कलाकार राधा-कृष्ण की प्रेम कथा को नाट्य रूप में प्रस्तुत करते हैं।
  2. भावनात्मक जुड़ाव: रासलीला के दौरान दर्शक खुद को उस युग में महसूस करते हैं जब कान्हा रास रचाते थे और राधा जी के संग बांसुरी बजाते थे।
  3. लोकप्रिय स्थान: रंगजी मंदिर, निधिवन और प्रेम मंदिर के आसपास की रासलीलाएं सबसे प्रसिद्ध हैं।

3. परिक्रमा और भक्ति यात्रा:

वृंदावन की परिक्रमा जन्माष्टमी पर करने का विशेष महत्व होता है।

  1. 11 किलोमीटर की परिक्रमा: भक्त वृंदावन की पवित्र भूमि की 11 किलोमीटर परिक्रमा पैदल करते हैं।
  2. भजन-संकीर्तन के साथ यात्रा: पूरी यात्रा के दौरान भजन गाए जाते हैं — “राधे राधे बोलो चले आएंगे बिहारी।”
  3. शांति और सुकून: इस यात्रा के दौरान मन एकदम शांत हो जाता है, मानो भगवान खुद साथ चल रहे हों।

4. भक्तों के लिए विशेष भजन:

जन्माष्टमी पर गाए जाने वाले भजन हर भक्त के हृदय को छू जाते हैं।

  1. “श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम”
  2. “राधे राधे जपो चले आएंगे बिहारी”
  3. “कान्हा सो जा ज़रा”
    इन भजनों के बोल सुनकर ऐसा लगता है जैसे राधा रानी और कृष्ण खुद हमारे सामने खड़े हों।

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5. जन्माष्टमी की आरती:

नीचे दी गई “श्रीकृष्ण आरती” जन्माष्टमी की रात को जरूर करनी चाहिए।

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
गले में वैजयंती माला, बजावे मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुंडल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति काली, राधा के संग छवि न्यारी।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।

आपके लिए एक सलाह:

दोस्तों , वृंदावन में जन्माष्टमी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक अनुभव है जो आत्मा को भक्ति से भर देता है। अगर आप कभी भी इस दिन वहां जाएं, तो सिर्फ दर्शक न बनें, बल्कि भक्त बनकर उस माहौल में खो जाएं। तो दोस्तों आपको यह जानकारी कैसी लगी अगर अच्छी लगी हो तो आप हमे कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं और साथ ही अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें। जो वृंदावन घूमने जाने का प्लान बना रहे है।

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