जब भी आप हिंदू धर्म की देवियों की बात करते हैं तो माता पार्वती का नाम सबसे पहले आता है। इन्हें सिर्फ भगवान शिव की पत्नी ही नहीं बल्कि शक्ति का वास्तविक रूप माना गया है। पार्वती माता को अलग-अलग रूपों और स्वरूपों में पूजा जाता है। यही वजह है कि लोग अक्सर पूछते हैं। पार्वती के कितने रूप थे?
असल में माता पार्वती के अनगिनत स्वरूप बताए गए हैं, लेकिन प्रमुख रूप से इन्हें दस महाविद्या, अष्टदश शक्तियां और नवरात्रि की नौ दुर्गाएं के रूप में पूजा जाता है। यानी पार्वती माता के स्वरूप केवल एक-दो तक सीमित नहीं हैं बल्कि ये कई तरह से सामने आते हैं। हर एक रूप का अपना अलग महत्व, अलग शक्ति और अलग उद्देश्य है।

पार्वती माता के प्रमुख रूप?
अगर आप धर्मग्रंथों और पुराणों में देखें तो माता पार्वती के अनेक स्वरूप मिलते हैं। लेकिन आसान भाषा में समझें तो इनके स्वरूप तीन मुख्य श्रेणियों में बंट जाते हैं –
1. सौम्य रूप (शांत और करुणामयी रूप)
पार्वती माता का सबसे जाना-पहचाना रूप उनका सौम्य स्वरूप है। जब माता प्रेम, करुणा और स्नेह का संदेश देती हैं तो वे गौरी, अन्नपूर्णा, कन्या, मातंगी और शैलपुत्री के रूप में सामने आती हैं। इस रूप में माता भक्तों को आशीर्वाद देती हैं, परिवार और संतान की रक्षा करती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि देती हैं।
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2. उग्र रूप (क्रोध और विनाश का रूप)
माता पार्वती सिर्फ करुणा का रूप ही नहीं हैं बल्कि जब अत्याचार और अन्याय बढ़ जाता है तो वे उग्र स्वरूप धारण करती हैं। इस रूप में वे काली, चंडी, दुर्गा, भद्रकाली और तारा जैसी देवियों के रूप में जानी जाती हैं। यह रूप दुष्टों का नाश करता है और धर्म की रक्षा करता है।
3. मिश्रित रूप (संरक्षण और संहार दोनों का रूप)
कुछ स्वरूप ऐसे हैं जहाँ माता पार्वती भक्तों को आशीर्वाद भी देती हैं और शत्रुओं का नाश भी करती हैं। जैसे त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी और बगलामुखी। इन रूपों में माता शक्ति और सौंदर्य दोनों की प्रतीक मानी जाती हैं।
माता पार्वती के दस महाविद्या रूप?
पार्वती माता के दस महाविद्या स्वरूप बहुत प्रसिद्ध हैं। ये हैं –
- काली
- तारा
- त्रिपुरसुंदरी
- भुवनेश्वरी
- भैरवी
- छिन्नमस्ता
- धूमावती
- बगलामुखी
- मातंगी
- कमला
इन दसों स्वरूपों में माता का अलग-अलग संदेश और शक्ति छुपी है। जैसे – काली रूप में वे राक्षसों का संहार करती हैं, अन्नपूर्णा के रूप में भोजन देती हैं और त्रिपुरसुंदरी के रूप में सौंदर्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
नवरात्रि की नौ दुर्गाएं?
हर साल जब नवरात्रि आती है तो आप देखते हैं कि लोग नौ दिनों तक माता के अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं। ये नौ रूप भी असल में माता पार्वती के ही रूप हैं। इन्हें नवदुर्गा कहा जाता है –
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चंद्रघंटा
- कूष्मांडा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री
ये नौ रूप जीवन के अलग-अलग पहलुओं से जुड़े हुए हैं। जैसे ब्रह्मचारिणी तप और साधना का प्रतीक हैं, तो कूष्मांडा सृष्टि रचना की देवी मानी जाती हैं।
पार्वती माता के अठारह रूप?
धर्मग्रंथों में माता पार्वती के अष्टदश (18) प्रमुख रूप भी बताए गए हैं। इनमें दुर्गा, भवानी, कात्यायनी, भद्रकाली, जगदंबा, अन्नपूर्णा, त्रिपुरसुंदरी जैसे स्वरूप शामिल हैं। इन अठारह रूपों को शक्ति की सम्पूर्णता का प्रतीक माना जाता है।
पार्वती के रूपों का महत्व?
अगर आप गहराई से सोचें तो पार्वती माता के हर रूप का एक गहरा संदेश है।
- जब माता अन्नपूर्णा के रूप में आती हैं तो ये हमें बताते हैं कि अन्न ही जीवन का आधार है।
- जब वे काली के रूप में सामने आती हैं तो ये इस बात का संकेत है कि अन्याय और बुराई कितनी भी बड़ी हो, सत्य और शक्ति उसे खत्म कर देती है।
- गौरी का रूप हमें यह सिखाता है कि धैर्य और सादगी से जीवन सुखमय होता है।
यानी माता पार्वती के अलग-अलग स्वरूप असल में हमारे जीवन को दिशा देने का काम करते हैं।
क्यों खास हैं पार्वती के इतने रूप?
अब आपके मन में सवाल आएगा कि माता पार्वती ने इतने सारे रूप क्यों धारण किए? इसका सबसे बड़ा कारण है। हर परिस्थिति में धर्म और भक्तों की रक्षा करना। कभी माता को दुष्टों का नाश करना पड़ा तो उन्होंने काली का रूप लिया। कभी भक्तों को अन्न और समृद्धि देनी पड़ी तो उन्होंने अन्नपूर्णा का रूप लिया। और कभी भक्तों को साधना और धैर्य सिखाना पड़ा तो उन्होंने ब्रह्मचारिणी का स्वरूप धारण किया।यानी माता पार्वती के रूप बदलते रहे, लेकिन मकसद हमेशा एक ही रहा। धरती पर धर्म की रक्षा और भक्तों का कल्याण।

पार्वती माता से जुड़े 5 रोचक फैक्ट्स?
- माता पार्वती का जन्म हिमालय राजा के घर हुआ था, इसलिए इन्हें हिमालय पुत्री और शैलपुत्री कहा जाता है।
- पार्वती का एक स्वरूप अन्नपूर्णा है, जो पूरे संसार को भोजन देती हैं। बनारस में उनका अन्नपूर्णा मंदिर बहुत प्रसिद्ध है।
- माता का उग्र स्वरूप काली इतना शक्तिशाली था कि भगवान शिव को स्वयं उनके सामने लेटना पड़ा ताकि उनका क्रोध शांत हो सके।
- नवरात्रि में पूजा जाने वाले नौ रूप असल में पार्वती माता के ही स्वरूप हैं, जो जीवन के अलग-अलग पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- दस महाविद्याएं भी माता पार्वती की ही शक्ति मानी जाती हैं, जिनका महत्व तंत्र साधना और शक्ति उपासना में बहुत खास है।
निष्कर्ष:पार्वती के कितने रूप थे || पूरी जानकारी
तो भाई, अगर आपसे कोई पूछे कि पार्वती के कितने रूप थे, तो इसका सीधा जवाब यही है – पार्वती माता के अनगिनत स्वरूप हैं। वे कभी करुणामयी गौरी हैं, कभी विनाशकारी काली, कभी अन्नपूर्णा, तो कभी नौ दुर्गाओं के रूप में पूजी जाती हैं। हर एक रूप का अपना अलग महत्व और अलग संदेश है।
पार्वती माता सिर्फ शिव की अर्धांगिनी नहीं बल्कि सम्पूर्ण शक्ति की प्रतीक हैं। उनके अलग-अलग रूप हमें यह सिखाते हैं कि जीवन में कब धैर्य रखना है, कब संघर्ष करना है और कब करुणा दिखानी है।