भारत की धरती पर अगर कोई जगह ऐसी है जहाँ कदम रखते ही मन को अजीब-सी शांति मिलती है, तो वो है नैमिषारण्य तीर्थ। यह स्थान उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में बसा हुआ है और सनातन धर्म में इसका महत्व बहुत ही खास माना गया है। कहा जाता है कि यहाँ साधु-संतों ने हजारों वर्षों तक तप किया और इसी जगह से धर्म-ज्ञान की गंगा बह निकली। लेकिन अगर आपके मन में यह सवाल आ रहा है कि नैमिषारण्य तीर्थ में कौन सी नदी बहती है, तो इसका सीधा जवाब है – यहाँ बहती है गोमती नदी।

गोमती नदी का उद्गम भी नैमिषारण्य क्षेत्र से ही होता है। यह वही नदी है जिसके किनारे कई प्राचीन आश्रम और मंदिर बने हुए हैं। पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है कि गोमती नदी पापों को हरने वाली है और इसके दर्शन-मात्र से ही मनुष्य के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
गोमती नदी और नैमिषारण्य का गहरा संबंध
नैमिषारण्य और गोमती नदी का रिश्ता बेहद गहरा है। कहा जाता है कि जब ऋषियों ने इस स्थान पर यज्ञ करने का निर्णय लिया, तो जल की आवश्यकता पड़ी। तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से भूमि को स्पर्श किया और वहीं से जलधारा फूट पड़ी। वही जलधारा आज गोमती नदी के रूप में प्रवाहित हो रही है।
गोमती नदी का पानी सिर्फ एक साधारण नदी का जल नहीं माना जाता, बल्कि इसे पवित्र तीर्थ का अमृत कहा गया है। हजारों श्रद्धालु हर साल नैमिषारण्य आते हैं और इस नदी में स्नान कर खुद को धन्य मानते हैं। माना जाता है कि गोमती स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
नैमिषारण्य का महत्व क्यों है इतना खास?
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर नैमिषारण्य इतना मशहूर क्यों है। दरअसल, यह स्थान सिर्फ एक तीर्थ नहीं, बल्कि सनातन धर्म का ज्ञान केंद्र भी रहा है। महाभारत, श्रीमद्भागवत और पुराणों से जुड़ी कई कथाएँ यहीं कही और सुनी गई थीं।
- कहा जाता है कि 88 हजार ऋषि-मुनियों ने यहाँ यज्ञ किया था।
- महर्षि व्यास ने यहीं बैठकर वेदों और पुराणों का संकलन किया।
- महाभारत की कथाएँ भी यहीं पर सूत जी ने सुनाई थीं।
इन सब कारणों से नैमिषारण्य सिर्फ एक नदी किनारे का स्थान नहीं बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है।
गोमती नदी का प्रवाह और इसकी पवित्रता
गोमती नदी उत्तर प्रदेश के कई जिलों से गुजरती है। नैमिषारण्य से निकलकर यह सीतापुर, लखीमपुर खीरी, गोंडा, बहराइच, सुल्तानपुर, जौनपुर और वाराणसी तक जाती है। लगभग 900 किलोमीटर की यात्रा पूरी करने के बाद यह गंगा नदी में मिल जाती है।
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गोमती नदी को “जीवन देने वाली धारा” भी कहा जाता है, क्योंकि इसके किनारे बसे गाँव और शहर इसी पानी पर निर्भर हैं। धार्मिक दृष्टि से देखें तो स्नान, तर्पण और दान-पुण्य के लिए इसका महत्व गंगा के समान ही माना जाता है।
नैमिषारण्य आने पर क्या करें?
अगर आप नैमिषारण्य की यात्रा करने की सोच रहे हैं, तो यहाँ पर सिर्फ गोमती नदी ही नहीं, बल्कि और भी बहुत कुछ देखने लायक है। यात्रा का सबसे अच्छा समय कार्तिक पूर्णिमा और चैत्र माह की नवमी के आस-पास माना जाता है, क्योंकि उस समय यहाँ मेले का आयोजन होता है और श्रद्धालुओं की भीड़ देखने लायक होती है।
- सबसे पहले चक्र तीर्थ जाएँ, जहाँ से गोमती नदी की उत्पत्ति मानी जाती है।
- गोमती नदी में डुबकी लगाएँ और स्नान करें।
- हनुमान गढ़ी, व्यास गद्दी और ललिता देवी मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध स्थान हैं।
- अगर समय हो तो यहाँ के जंगल और घाटों की शांति को जरूर महसूस करें।
धार्मिक मान्यता और आस्था
सनातन धर्म में मान्यता है कि गोमती नदी सिर्फ पानी का प्रवाह नहीं बल्कि भगवान विष्णु की कृपा का प्रतीक है। यही कारण है कि हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ स्नान करने आते हैं। लोग मानते हैं कि इस नदी का जल उनके जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर देता है। पुराणों में यह भी कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति गोमती नदी में स्नान कर श्रद्धा से भगवान विष्णु का नाम ले, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी वजह से नैमिषारण्य को मोक्षदायिनी भूमि भी कहा गया है।

5 रोचक तथ्य नैमिषारण्य और गोमती नदी से जुड़े
- गोमती नदी को “अदृश्य गंगा” भी कहा जाता है क्योंकि इसकी उत्पत्ति सीधे भगवान विष्णु के चक्र से मानी जाती है।
- नैमिषारण्य में स्थित चक्र तीर्थ को भारत के सबसे पवित्र तीर्थों में गिना जाता है और यहाँ स्नान करना हजार तीर्थों के बराबर माना जाता है।
- गोमती नदी का नाम “गौ” और “मति” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है। “गाय जैसी शांत और बुद्धि देने वाली नदी”।
- महर्षि व्यास ने यहीं पर अपने शिष्यों को भागवत और महाभारत सुनाई थी।
- आज भी हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ “कार्तिक पूर्णिमा स्नान” के लिए आते हैं और पूरा इलाका एक बड़े धार्मिक मेले में बदल जाता है।
निष्कर्ष:नैमिषारण्य तीर्थ में कौन सी नदी बहती है?
तो भाई, अब आपको साफ समझ आ गया होगा कि नैमिषारण्य तीर्थ में गोमती नदी बहती है और इस नदी का धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व कितना गहरा है। यह सिर्फ एक जलधारा नहीं बल्कि आस्था की धारा है, जो हजारों साल से लोगों की श्रद्धा और विश्वास को जीवित रखे हुए है। अगर आप कभी भी इस पवित्र स्थल पर जाएँ, तो गोमती नदी में स्नान करके और चक्र तीर्थ के दर्शन करके अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं।
नैमिषारण्य एक ऐसी जगह है जहाँ कदम रखते ही आत्मा को शांति मिलती है और मन को एक अलग ही सुकून का अहसास होता है। इसीलिए इसे भारत का “धर्म और आस्था का धाम” कहा जाता है।


