नैमिषारण्य में कौन-कौन से भगवान हैं?

अगर आप धर्म और आस्था से जुड़े हुए हैं तो आपने “नैमिषारण्य” का नाम ज़रूर सुना होगा। यह जगह सिर्फ़ एक साधारण तीर्थस्थल नहीं है, बल्कि ऐसा कहा जाता है कि यहाँ देवताओं, ऋषियों और भगवान का अनोखा वास है। नैमिषारण्य (जिसे “नैमिष” भी कहा जाता है) उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित है और यह हिन्दू धर्म के 108 प्रमुख तीर्थों में से एक माना जाता है। यहाँ आकर भक्तों को ऐसा लगता है जैसे वो सीधे किसी दिव्य लोक में पहुँच गए हों। अब सवाल यह है कि नैमिषारण्य में आखिर कौन-कौन से भगवानों का वास है? कौन से मंदिर यहाँ प्रमुख हैं? और यहाँ दर्शन करने का क्या महत्व है? चलिए, इसे विस्तार से समझते हैं।

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नैमिषारण्य में कौन-कौन से भगवान हैं? पूरी जानकारी
नैमिषारण्य में कौन-कौन से भगवान हैं? पूरी जानकारी

नैमिषारण्य का महत्व

नैमिषारण्य का नाम सुनते ही सबसे पहले चक्र तीर्थ की छवि सामने आती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यही वह स्थान है जहाँ सुदर्शन चक्र की नाभि गिरी थी। यही कारण है कि इसे “धार्मिक ऊर्जा का केंद्र” भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस धाम में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है। यानि अगर कोई व्यक्ति केवल नैमिषारण्य की परिक्रमा कर ले, तो उसे सभी देवताओं की पूजा का फल प्राप्त हो जाता है।यहाँ संत, साधु, और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ-हवन किए थे। कहते हैं महर्षि व्यास ने यहीं पर बैठकर 18 पुराणों की रचना की थी और शेषनाग भगवान ने यहाँ अपना निवास बनाया था।

नैमिषारण्य में कौन-कौन से भगवान हैं?

अब आते हैं मुख्य सवाल पर। नैमिषारण्य में कई प्रमुख मंदिर और तीर्थस्थल हैं जहाँ अलग-अलग देवताओं का वास माना जाता है।

1. भगवान विष्णु

नैमिषारण्य में सबसे पहले भगवान विष्णु का नाम लिया जाता है। यहाँ “चक्रतीर्थ” पर भगवान विष्णु के चरण चिन्ह माने जाते हैं। यही पर उनका सुदर्शन चक्र ठहरा था। भक्त मानते हैं कि यहाँ स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और विष्णु जी की कृपा मिलती है।

2. देवी ललिता (ललिता देवी मंदिर)

नैमिषारण्य में “ललिता देवी मंदिर” बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर शक्ति पीठों में गिना जाता है। मान्यता है कि जब माता सती का अंग पृथ्वी पर गिरा था तो उनके हृदय का हिस्सा यहाँ गिरा था। इसी कारण ललिता देवी मंदिर शक्ति उपासना का बहुत बड़ा केंद्र है। देवी ललिता को यहाँ ‘नैमिषारण्य की अधिष्ठात्री देवी’ भी कहा जाता है।

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3. भगवान शिव

नैमिषारण्य में भगवान शिव के कई रूप पूजे जाते हैं। यहाँ पर “पांडव कूप” और “शिव मंदिर” प्रसिद्ध हैं। भक्त मानते हैं कि नैमिष में भगवान शिव स्वयं योगी रूप में विराजमान हैं।

4. देवी सरस्वती

यहाँ सरस्वती कुंड भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि माँ सरस्वती इसी स्थान से प्रकट हुई थीं। विद्या और ज्ञान की देवी का यहाँ विशेष महत्व है।

5. हनुमान जी

नैमिषारण्य में “हनुमानगढ़ी” नामक स्थान है जहाँ हनुमान जी की विशेष पूजा होती है। मान्यता है कि यहाँ आकर हनुमान जी भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं।

6. शेषनाग

नैमिषारण्य में “शेष नाग तीर्थ” भी है। कहा जाता है कि शेषनाग ने यहीं तपस्या की थी। इसलिए इस जगह पर नाग देवता की भी पूजा होती है।

नैमिषारण्य आने का अनुभव कैसा होता है?

जब कोई भक्त यहाँ पहुँचता है तो सबसे पहले उसे शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अहसास होता है। चक्रतीर्थ पर स्नान करने से मन और आत्मा दोनों शुद्ध हो जाते हैं। यहाँ के मंदिरों में पूजा करने के बाद ऐसा लगता है कि जैसे आपने सीधे भगवान से आशीर्वाद ले लिया हो। ललिता देवी मंदिर में दर्शन करने से मन में श्रद्धा और विश्वास जागृत होता है। वहीं भगवान विष्णु और शिव के मंदिरों में पूजा करने पर ऐसा लगता है जैसे पूरी सृष्टि की शक्ति आपके चारों ओर है।

नैमिषारण्य में दर्शन का महत्व

  1. यहाँ दर्शन करने से पाप कटते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  2. माना जाता है कि एक बार नैमिषारण्य की परिक्रमा करने से 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा का फल मिलता है।
  3. ललिता देवी मंदिर में दर्शन करने से विशेषकर शक्ति की प्राप्ति होती है।
  4. विष्णु जी के चक्रतीर्थ में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
  5. हनुमान जी के दर्शन से भय और कष्ट दूर होते हैं।

नैमिषारण्य से जुड़े 5 रोचक तथ्य

  1. नैमिषारण्य का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहाँ ऋषियों ने एक “निमेष” (पल भर) में सारे यज्ञ और तप पूर्ण कर दिए थे।
  2. यहाँ पर व्यास गद्दी है जहाँ महर्षि व्यास ने 18 पुराणों और महाभारत की रचना की थी।
  3. चक्रतीर्थ को ब्रह्मांड का केंद्र (Navel of the Universe) भी कहा जाता है।
  4. यह एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ एक ही धाम में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास माना जाता है।
  5. हर साल यहाँ पर लाखों श्रद्धालु आकर गंगा स्नान और मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं।

निष्कर्ष: नैमिषारण्य में कौन-कौन से भगवान हैं?

नैमिषारण्य सिर्फ़ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह आस्था, श्रद्धा और अध्यात्म का संगम है। यहाँ आने वाला हर भक्त यह महसूस करता है कि उसने वास्तव में 33 करोड़ देवी-देवताओं के दर्शन कर लिए। चाहे आप भगवान विष्णु, शिव, ललिता देवी, सरस्वती माता, हनुमान जी या शेषनाग के भक्त हों। नैमिषारण्य में आपको हर देवता का आशीर्वाद मिलेगा।अगर आप कभी भी उत्तर प्रदेश जाएँ तो नैमिषारण्य की यात्रा ज़रूर करें। यह जगह न सिर्फ़ आपको भगवान के करीब लाएगी, बल्कि आपके मन और आत्मा को भी सुकून देगी।

2 thoughts on “नैमिषारण्य में कौन-कौन से भगवान हैं?”

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