नैमिषारण्य में ललिता देवी मंदिर कहां पर है। पूरी जानकारी?

अगर आप भारत के धार्मिक स्थलों की लिस्ट उठाकर देखो, तो नैमिषारण्य का नाम जरूर मिलेगा। यह जगह उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में गोमती नदी के किनारे बसी है और हिंदू धर्म में बेहद पवित्र मानी जाती है। कहा जाता है कि यहां पर हजारों सालों से साधु-संत तपस्या करते आए हैं नैमिषारण्य में ललिता देवी मंदिर कहां पर है। पूरी जानकारी? और इसी वजह से इसे तीर्थराज भी कहा जाता है। नैमिषारण्य में कई मंदिर और पवित्र स्थल हैं, लेकिन इनमें से सबसे खास है ललिता देवी मंदिर। कई लोग यह सवाल पूछते हैं कि आखिर यह मंदिर कहां पर है और यहां की खासियत क्या है।

अगर आसान भाषा में बताऊं तो ललिता देवी मंदिर, नैमिषारण्य के मुख्य आकर्षणों में से एक है और यह नैमिषारण्य धाम परिसर के अंदर ही स्थित है। जब कोई श्रद्धालु नैमिषारण्य घूमने आता है तो चक्रतीर्थ, व्यास गद्दी और हनुमानगढ़ी के साथ ललिता देवी मंदिर भी जरूर देखने जाता है। यह मंदिर वहां से ज्यादा दूर नहीं है और पैदल ही आसानी से पहुंचा जा सकता है।

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ललिता देवी मंदिर का महत्व?

हिंदू मान्यता के अनुसार, ललिता देवी को मां दुर्गा का ही एक रूप माना जाता है। कहा जाता है कि देवी ने यहां असुरों का वध किया था और इस स्थान को अपना निवास बनाया। इस वजह से यह जगह शक्ति पीठों में गिनी जाती है। लोग यहां माता का आशीर्वाद लेने के लिए दूर-दूर से आते हैं।

नैमिषारण्य में ललिता देवी मंदिर कहां पर है
नैमिषारण्य में ललिता देवी मंदिर कहां पर है

इतना ही नहीं, धार्मिक ग्रंथों में भी इस मंदिर का जिक्र मिलता है। पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु, महादेव और ब्रह्मा ने मिलकर इस स्थान को शक्ति साधना के लिए खास माना। श्रद्धालु मानते हैं कि ललिता देवी मंदिर में पूजा करने से हर प्रकार के संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

नैमिषारण्य पहुंचने पर ललिता देवी मंदिर कैसे देखें?

अगर आप नैमिषारण्य घूमने जा रहे हो तो यह समझ लो कि पूरा धाम बहुत बड़ा है। यहां चक्रतीर्थ सबसे प्रमुख जगह है और यहीं से ज्यादातर लोग अपनी यात्रा की शुरुआत करते हैं। चक्रतीर्थ से करीब 300-400 मीटर की दूरी पर ही ललिता देवी मंदिर स्थित है। रास्ता सीधा और साफ है, तो पैदल जाना आसान है। मंदिर जाने के दौरान तुम्हें कई छोटी दुकाने और प्रसाद की दुकाने भी मिलेंगी।

यहां पहुंचकर सबसे पहले गर्भगृह में देवी ललिता का दर्शन होता है। मंदिर का आंगन छोटा लेकिन बेहद शांत और पवित्र माहौल से भरा होता है। यहां की घंटियों की आवाज और मंत्रोच्चारण से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है।

मंदिर के आसपास का माहौल?

ललिता देवी मंदिर सिर्फ दर्शन के लिए ही नहीं, बल्कि अपने वातावरण के लिए भी खास है। मंदिर परिसर में पेड़-पौधे और खुले स्थान इसे और शांत बनाते हैं। सुबह और शाम के समय यहां भक्तों की भीड़ रहती है, लेकिन दोपहर में वातावरण थोड़ा शांत होता है। त्योहारों पर जैसे नवरात्रि और दुर्गाष्टमी, यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। तब मंदिर में सजावट इतनी सुंदर होती है कि आंखें देखती रह जाएं।

ललिता देवी मंदिर जाने का सही समय?

अगर आप इस मंदिर के दर्शन का प्लान बना रहे हो तो अक्टूबर से मार्च के बीच का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है। गर्मियों में यहां काफी भीड़ और उमस हो सकती है, जबकि सर्दियों में माहौल सुहावना रहता है।दैनिक पूजा सुबह और शाम होती है, लेकिन ज्यादातर लोग सुबह की आरती के समय जाना पसंद करते हैं। उस वक्त पूरा वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है।

नैमिषारण्य में ललिता देवी मंदिर की खासियत?

इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह शक्ति साधना का केंद्र माना जाता है। बहुत से साधक और साधु यहां साधना करने आते हैं। इसके अलावा, यहां पर हर साल विशेष मेले और आयोजन होते हैं, जिनमें दूर-दूर से भक्त शामिल होते हैं। कहा जाता है कि यहां माता ललिता की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी और तभी से इस जगह को पवित्र माना गया। इसी वजह से भक्त यहां गहरी आस्था के साथआते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते हैं।

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यात्रा की सहूलियत?

नैमिषारण्य तक पहुंचना अब काफी आसान हो चुका है।

  • अगर तुम लखनऊ से आ रहे हो तो दूरी लगभग 95 किलोमीटर है और सड़क मार्ग से 2-3 घंटे में आसानी से पहुंच सकते हो।
  • अगर दिल्ली से आना हो तो ट्रेन और बस दोनों विकल्प हैं। सीतापुर रेलवे स्टेशन नजदीकी स्टेशन है, जहां से नैमिषारण्य करीब 35 किलोमीटर है।
  • मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए रहने और खाने की व्यवस्था भी मिल जाती है, तो तुम्हें किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।

ललिता देवी मंदिर से जुड़े 5 रोचक फैक्ट्स?

  1. शक्ति पीठ की मान्यता: ललिता देवी मंदिर को शक्ति पीठों में से एक माना जाता है।
  2. स्वयंभू मूर्ति:मान्यता है कि देवी की मूर्ति यहां खुद प्रकट हुई थी, इसे किसी ने स्थापित नहीं किया।
  3. नवरात्रि का महत्व : नवरात्रि में यहां विशेष आयोजन होते हैं और हजारों लोग माता के दर्शन के लिए आते हैं।
  4. साधना स्थल :कई साधक यहां ध्यान और तपस्या करने आते हैं क्योंकि इसे शक्ति साधना का केंद्र माना जाता है।
  5. प्रसिद्ध तीर्थ का हिस्सा ” चक्रतीर्थ, व्यास गद्दी और हनुमानगढ़ी की यात्रा अधूरी मानी जाती है अगर ललिता देवी मंदिर के दर्शन न किए जाएं।

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निष्कर्ष:नैमिषारण्य में ललिता देवी मंदिर कहां पर है। पूरी जानकारी?

तो भाई, अगर आप सोच रहे हो कि नैमिषारण्य में ललिता देवी मंदिर कहां पर है, तो इसका सीधा जवाब यही है कि यह मंदिर नैमिषारण्य धाम परिसर में, चक्रतीर्थ से करीब 300-400 मीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचना आसान है और यह मंदिर हर भक्त के लिए बेहद खास है। चाहे आप धार्मिक आस्था से जाओ या घूमने-फिरने के शौक से, ललिता देवी मंदिर जरूर देखने लायक जगह है।

यहां का वातावरण, श्रद्धा और भक्ति भाव इतना गहरा है कि एक बार जो भी आता है, वह अपने साथ एक अलग ही अनुभव लेकर लौटता है। इसलिए अगर कभी नैमिषारण्य की यात्रा का प्लान बनाओ तो इस मंदिर को अपनी लिस्ट में सबसे ऊपर रखना।

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