जब हम भगवान श्रीकृष्ण का नाम सुनते हैं, तो दिमाग में सबसे पहले उनका मधुर मुस्कुराता चेहरा और गीता के गूढ़ उपदेश याद आते हैं। वे केवल भगवान नहीं, बल्कि एक महान दार्शनिक, मित्र, मार्गदर्शक और जीवन-गुरु भी थे। लेकिन अक्सर लोग पूछते हैं। कृष्ण का प्रसिद्ध श्लोक कौन सा है?
जीवन के सवालों और तनाव के बीच, गीता के श्लोक हमेशा से एक रोशनी की किरण की तरह रहे हैं। भगवद गीता श्लोक, जो सीधे श्रीकृष्ण के मुंह से निकले हैं, आज भी हमारी ज़िन्दगी के उलझनों को सुलझाते हैं। चाहे धर्म की बात हो, मन की शांति की या फिर सफल जीवन की, इन कृष्ण श्लोक में हर समस्या का हल छिपा है। बहुत से लोग इन्हें आसान भाषा में, यानी गीता श्लोक इन हिंदी में, ढूंढते हैं।

इस आर्टिकल में हम इन्हीं गहरी बातों को, गीता का श्लोक कहकर, आपके सामने रखेंगे। हम समझेंगे कि भगवत गीता श्लोक का हमारे आज के दिनचर्या से क्या कनेक्शन है। खासतौर पर उन लोगों के लिए जो भगवत गीता श्लोक इन हिंदी में जानना चाहते हैं। अगर आप भी कृष्ण श्लोक इन हिंदी या भगवत गीता के श्लोक की तलाश में यहां आए हैं, तो यह गाइड आपके लिए ही है। चलिए, शुरू करते हैं।
कि कौन-सा श्लोक भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रसिद्ध है, उसका अर्थ क्या है, और क्यों वह श्लोक आज भी हर इंसान के जीवन में उतना ही प्रासंगिक है जितना हजारों साल पहले था।
श्रीकृष्ण का प्रसिद्ध श्लोक “कर्मण्येवाधिकारस्ते”
भगवद् गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन का सबसे बड़ा सत्य बताया था। वही श्लोक आज कृष्ण का सबसे प्रसिद्ध श्लोक माना जाता है:
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥”
(श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 2, श्लोक 47)
इस श्लोक का अर्थ सरल भाषा में यह है।
“तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फल में नहीं। इसलिए कर्म के फल की चिंता मत करो, और कर्म न करने में भी तुम्हारा मन नहीं लगना चाहिए।”
भाई, यही वो श्लोक है जिसने गीता की आत्मा को जन्म दिया। यह हमें सिखाता है कि इंसान को अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा से निभाना चाहिए, लेकिन फल की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि फल ईश्वर के हाथ में है।
इस श्लोक का अर्थ जीवन के लिए सबसे बड़ा सबक?
अगर आप इसे रोज़मर्रा की ज़िंदगी में समझें तो, इसका मतलब बहुत गहरा है।
कृष्ण का यह प्रसिद्ध श्लोक हमें बताता है कि
- कर्म ही सबसे बड़ा धर्म है। अगर हम अपने काम को ईमानदारी से करते हैं, तो सफलता अपने आप आएगी।
- फल की चिंता करने से मन विचलित होता है। जब हम हर समय सोचते रहते हैं कि नतीजा क्या होगा, तो हमारा ध्यान कर्म से हट जाता है।
- भगवान परिणाम के स्वामी हैं। हमें सिर्फ मेहनत करनी है, बाकी का निर्णय ऊपर वाला करेगा।
कृष्ण का यह संदेश केवल अर्जुन के लिए नहीं, बल्कि हर उस इंसान के लिए था जो किसी मुश्किल में होता है, जो किसी निर्णय के बीच उलझा होता है।
भगवद् गीता में इस श्लोक का महत्व
महाभारत के युद्ध के मैदान में जब अर्जुन निराश और हतोत्साहित हो गए थे, तब श्रीकृष्ण ने यह श्लोक सुनाया था।
यह सिर्फ युद्ध के लिए नहीं था — यह “जीवन के युद्ध” के लिए था।
कृष्ण ने कहा कि अगर इंसान अपने कर्तव्य से भागेगा तो वह कभी शांति नहीं पा सकेगा। हमें अपने कर्म के प्रति समर्पित रहना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।
यही कारण है कि “कर्मण्येवाधिकारस्ते” श्लोक आज भी हर जीवन दर्शन, मैनेजमेंट, मोटिवेशन और स्पिरिचुअलिटी की जड़ में है।
कृष्ण के अन्य प्रसिद्ध श्लोक जो जीवन बदल देते हैं?
हालाँकि “कर्मण्येवाधिकारस्ते” सबसे प्रसिद्ध श्लोक है, लेकिन कुछ और श्लोक भी हैं जो उनके विचारों को और गहराई से समझाते हैं।
- “यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत…”
(गीता 4.7)
मतलब – जब-जब धरती पर अधर्म बढ़ता है, तब-तब मैं धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेता हूँ। - “वासुदेवः सर्वमिति…”
(गीता 7.19)
मतलब – आखिर में ज्ञानी व्यक्ति यही समझता है कि सारा संसार भगवान वासुदेव का ही रूप है। - “सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज…”
(गीता 18.66)
मतलब – सारे धर्मों को छोड़कर केवल मेरी शरण में आ जाओ, मैं तुम्हें सब पापों से मुक्त कर दूँगा।
ये श्लोक भी कृष्ण के जीवन दर्शन को समझाते हैं, लेकिन “कर्मण्येवाधिकारस्ते” श्लोक को सबसे महत्वपूर्ण इसलिए माना गया क्योंकि यह जीवन जीने की कला सिखाता है।
यह भी जानें – श्री कृष्ण की भक्ति कैसे करें?
इस श्लोक से हमें क्या सीख मिलती है?
अगर आप इस श्लोक को सही मायनों में समझ लेंगे, तो यह आपकी सोच बदल देगा।
कृष्ण का यह प्रसिद्ध श्लोक सिखाता है कि
- मेहनत करो लेकिन परिणाम की चिंता मत करो। क्योंकि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।
- असफलता अंत नहीं, अनुभव की शुरुआत है।
- हर स्थिति में कर्म करते रहना ही सच्ची भक्ति है।
- ईश्वर पर भरोसा रखो। जब तुम कर्म कर रहे हो, तो भगवान तुम्हारे साथ है।
यह श्लोक हमें मानसिक शांति देता है और हमें सिखाता है कि जीवन में सकारात्मकता और संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है।
कृष्ण के प्रसिद्ध श्लोक से जुड़ी 5 रोचक बातें
- यह श्लोक सिर्फ हिंदू धर्म तक सीमित नहीं है। इसे आज दुनिया के कई मोटिवेशनल स्पीकर, लाइफ कोच और लीडर अपने भाषणों में उद्धृत करते हैं।
- महात्मा गांधी ने भी कहा था कि “गीता का यह श्लोक मेरे जीवन का मार्गदर्शक है।”
- “कर्मण्येवाधिकारस्ते” को अब कई देशों की यूनिवर्सिटीज में मैनेजमेंट स्टडीज़ का हिस्सा बनाया गया है।
- यह श्लोक सिर्फ धर्म नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन (Philosophy) है जो हर युग में लागू होता है।
- कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस श्लोक को रोज़ मन में दोहराता है, उसके जीवन में डर और असफलता का प्रभाव कम हो जाता है।

निष्कर्ष:कृष्ण का प्रसिद्ध श्लोक कौन सा है?
तो भाई, अब आपको साफ समझ में आ गया होगा कि भगवद गीता के श्लोक और खासतौर पर कृष्ण का यह प्रसिद्ध श्लोक क्यों इतना खास है। यह गीता का श्लोक हमें बस एक ही बात सिखाता है – जीवन में सिर्फ अपना कर्म ईमानदारी से करो, फल की चिंता मत करो। क्योंकि जब आप सच्चे मन से कर्म करते हैं, तो ब्रह्मांड खुद आपके लिए रास्ते बना देता है।
श्रीकृष्ण का यही संदेश गीता के श्लोक के माध्यम से आज भी हर युग, हर इंसान और हर परिस्थिति में उतना ही लागू होता है। चाहे आप भगवत गीता श्लोक संस्कृत में समझें या गीता श्लोक इन हिंदी में पढ़ें, सीख वही है – कर्म करो, फल की इच्छा छोड़ो।
अगर आप कभी निराश हों या जीवन में दिशा न मिल रही हो, तो बस इस कृष्ण श्लोक को याद करें:
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन…”
यह भगवद गीता श्लोक आपको फिर से खड़ा कर देगा, आत्मविश्वास देगा और यह याद दिलाएगा कि जब तक आप कर्मरत हैं, तब तक भगवान आपके साथ हैं।
इसलिए इन भगवत गीता के श्लोक को सिर्फ पढ़ें नहीं, अपनाएं। कृष्ण श्लोक इन हिंदी में मिलने से यह और भी आसान हो गया है। इन्हें अपनी ज़िन्दगी में उतारिए, और खुद देखिए यह चमत्कार।
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