करवा चौथ की पूजा विधि कैसे की जाती है?

करवा चौथ की पूजा विधि मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए की जाती है। इस दिन महिलाएँ पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं, यानी दिनभर कुछ भी नहीं खाती-पीती। सुबह उठकर वे स्नान करती हैं और खासकर सुंदर साड़ी पहनकर श्रृंगार करती हैं। पूजा के लिए घर में करवा (मिट्टी का बर्तन) तैयार किया जाता है, जिसमें पानी, अक्षत (चावल) और सिंदूर रखा जाता है। शाम को महिलाएँ अपने पति और परिवार के साथ बैठकर व्रत कथा सुनती हैं और करवा चौथ की पूजा करती हैं।

करवा चौथ की पूजा विधि कैसे की जाती है?
करवा चौथ की पूजा विधि कैसे की जाती है?

जब चाँद निकलता है, तभी पूजा का मुख्य हिस्सा होता है। महिलाएँ पहले चाँद को देखकर अराधना करती हैं और फिर अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं। इस दौरान विशेष मंत्र और गीतों का उच्चारण किया जाता है। पूजा में देवी-देवताओं की स्तुति, चाँद की आराधना और पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है। इस दिन का माहौल परिवार में बहुत ही खुशी और भक्ति से भरपूर होता है।

करवा चौथ व्रत का महत्व?

सबसे पहले तो आपको यह जानना ज़रूरी है कि करवा चौथ व्रत इतना खास क्यों है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने वाली स्त्रियाँ अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी दांपत्य जीवन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और चंद्रमा की पूजा करती हैं। इस दिन का महत्व इतना है कि सुहागिनें सूर्योदय से पहले उठकर सरगी खाती हैं और फिर रात तक बिना पानी पिए व्रत रखती हैं।

करवा चौथ की पूजा विधि कैसे की जाती है?-से जुड़े कुछ सवाल

सवालजवाब
करवा चौथ की पूजा विधि क्या है?करवा चौथ व्रत में महिलाएँ दिनभर निर्जला रहती हैं, शाम को सज कर करवा (मिट्टी का पात्र) की पूजा करती हैं और चाँद दिखते ही पूजन करके व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा कैसे करें?चाँद को पानी से धोकर उसे अर्ध्य दें, करवा और पत्नी के लिए विशेष अराधना करें, फिर पति को देख कर व्रत खोलें।
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करवा चौथ व्रत का महत्व क्या है?यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है।
करवा चौथ पूजा में कौन-कौन सी चीजें चाहिए?करवा, सिन्दूर, मिठाई, फूल, चने की दाल, दीपक, चाँद का दर्शन।

करवा चौथ की पूजा विधि कैसे की जाती है?

अब आते हैं असली सवाल पर कि करवा चौथ की पूजा विधि कैसे की जाती है?। दरअसल, यह पूजा एक पारंपरिक क्रम में की जाती है जिसमें सुबह से लेकर रात तक का हर कदम खास माना जाता है।

  1. सुबह सरगी से शुरुआत
    करवा चौथ का दिन सुबह-सुबह सरगी खाने से शुरू होता है। यह सरगी सास की तरफ से दी जाती है और इसमें सूखे मेवे, मिठाई, फल और कभी-कभी पकवान भी होते हैं। सरगी खाकर महिलाएँ पूरे दिन के लिए शक्ति जुटाती हैं।
  2. दिनभर का व्रत
    सरगी के बाद महिलाएँ दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं यानी ना तो खाना खाती हैं और ना ही पानी पीती हैं। इस दौरान वे सजती-संवरती हैं, लाल या पीले रंग के कपड़े पहनती हैं और हाथों में मेहंदी रचाती हैं।
  3. शाम की पूजा की तैयारी
    जब सूरज ढलने लगता है तो घर की महिलाएँ मिलकर पूजा की तैयारी करती हैं। मिट्टी या तांबे के करवे (घड़े) को सजाया जाता है। उसमें पानी भरकर उस पर ढक्कन रखा जाता है। इसके साथ मिट्टी की बनी या चाँदी की प्रतिमा रखकर माता पार्वती, भगवान शिव, गणेश और कार्तिकेय की पूजा की जाती है।
  4. करवा चौथ की कथा सुनना
    इस समय एक महिला करवा चौथ की कथा सुनाती है और बाकी सब महिलाएँ ध्यान से सुनती हैं। कथा सुनने का महत्व है क्योंकि इससे व्रत पूर्ण और सफल माना जाता है।
  5. चंद्रमा की पूजा
    रात को चाँद निकलने पर महिलाएँ चलनी से चाँद को देखती हैं और फिर उसी चलनी से अपने पति का चेहरा देखती हैं। इसके बाद पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तुड़वाता है। यही पल पूरे दिन का सबसे खास और भावुक पल होता है।

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पूजा के दौरान ज़रूरी चीज़ें

करवा चौथ की पूजा करते समय कुछ खास सामान का होना ज़रूरी माना जाता है, जैसे – करवा (घड़ा), दीया, मिठाई, मेहंदी, चुनरी, मिट्टी या चाँदी की प्रतिमा, चावल, रोली, कपूर और मिठाइयाँ। इन चीज़ों से पूजा करने पर व्रत और भी शुभ माना जाता है।

करवा चौथ पूजा का आध्यात्मिक संदेश

असल में यह पूजा सिर्फ रस्मों तक सीमित नहीं है। यह पति-पत्नी के रिश्ते को और गहरा करने का तरीका भी है। जब पत्नी पूरे दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती है, तो यह त्याग और प्रेम का सबसे सुंदर उदाहरण बन जाता है। यही कारण है कि आधुनिक समय में भी करवा चौथ की पूजा का महत्व कम नहीं हुआ, बल्कि और बढ़ा है।

करवा चौथ से जुड़े 5 रोचक तथ्य

  1. करवा चौथ की शुरुआत प्राचीनकाल में सैनिकों की पत्नियों ने की थी ताकि उनके पति सुरक्षित युद्ध से लौट सकें।
  2. इस दिन चंद्रमा को सबसे अहम माना जाता है क्योंकि चाँद को लंबी उम्र और शांति का कारक समझा जाता है।
  3. करवा चौथ का नाम दो शब्दों से बना है – “करवा” यानी घड़ा और “चौथ” यानी कार्तिक मास की चौथ तिथि।
  4. पंजाब और उत्तर भारत में करवा चौथ का उत्सव शादी जैसे ही बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
  5. आजकल सोशल मीडिया और फिल्मों की वजह से यह त्योहार पूरे भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हो गया है।

निष्कर्ष:करवा चौथ की पूजा विधि कैसे की जाती है?

करवा चौथ की पूजा विधि को समझना वैसे तो सरल है, लेकिन इसमें भाव और नियम दोनों का ध्यान रखना ज़रूरी है। इस दिन सुहागिन महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। दिनभर पानी और भोजन से परहेज़ करते हुए महिलाएँ घर की साफ-सफाई करती हैं, सजती-संवरती हैं और शाम को पूजा की तैयारी करती हैं। पूजा में सबसे खास होता है करवा (मिट्टी का मटका), जिसे साफ करके पानी और फलों से सजाया जाता है। महिलाएँ इसे दीपक और मेहंदी से सजाकर भगवान शिव, पार्वती और अपने पति की खुशहाली की प्रार्थना करती हैं।

शाम के समय, जब चाँद दिखाई देता है, तब मुख्य पूजा होती है। महिलाएँ चाँद की पूजा करके उसे अर्ध्य (जल अर्पित करना) देती हैं और फिर अपने पति के हाथ से पहला पानी और भोजन ग्रहण करती हैं। इसके बाद व्रत समाप्त माना जाता है। इस पूरे रिवाज में पति-पत्नी का प्यार और परिवार की एकजुटता झलकती है। करवा चौथ सिर्फ व्रत रखने का नाम नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा त्योहार है जो रिश्तों में मिठास और विश्वास को बढ़ाता है।

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