करवा चौथ का व्रत हर सुहागिन स्त्री के लिए बेहद खास माना जाता है। इस दिन महिलाएँ दिनभर निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं। व्रत का सबसे मुख्य हिस्सा चंद्रमा की पूजा होती है। जब शाम को चाँद निकलता है तो महिलाएँ छलनी से चंद्रमा को देखती हैं और फिर अपने पति का दर्शन करके अर्घ्य अर्पित करती हैं। अर्घ्य देने के लिए एक लोटे में पानी, थोड़े चावल, फूल और दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्पित किया जाता है। इसके बाद महिलाएँ अपने पति से आशीर्वाद लेती हैं और फिर व्रत खोलती हैं।

इस पूजा में खास ध्यान यह दिया जाता है कि श्रद्धा और भावनाओं से चंद्रमा की आराधना की जाए। पूजा थाली में रोली, चावल, दीया और मिठाई रखी जाती है। पहले चंद्रमा को अर्घ्य देकर प्रार्थना की जाती है कि घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे और पति की उम्र लंबी हो। उसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोला जाता है। यही परंपरा करवा चौथ की पूजा को पवित्र और खास बनाती है।
करवा चौथ और चंद्रमा की पूजा का महत्व
करवा चौथ सिर्फ व्रत रखने का नाम नहीं है, बल्कि यह पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन की खुशहाली का प्रतीक है। इस दिन महिलाएँ सूर्योदय से लेकर चंद्रमा निकलने तक बिना अन्न-जल के रहती हैं। चाँद निकलने का इंतज़ार इसलिए किया जाता है क्योंकि हिंदू परंपरा में चंद्रमा को शीतलता, शांति और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करने से पति की आयु लंबी होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। इसलिए चाँद का इंतज़ार पूरे दिन का सबसे अहम पल होता है।
करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा कैसे करें? –से जुड़े कुछ सवाल
| सवाल | जवाब |
|---|---|
| करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा कैसे करें? | चाँद निकलने के बाद छलनी से देखकर अर्घ्य दें और पूजा करें |
| करवा चौथ पूजा विधि क्या है? | सुबह सरगी से व्रत शुरू कर, शाम को चाँद देखकर व्रत तोड़ा जाता है |
| करवा चौथ का महत्व क्या है? | यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखा जाता है |
| करवा चौथ पर चाँद देखने की विधि क्या है? | छलनी से पहले पति का चेहरा और फिर चाँद देखकर पूजा होती है |
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करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा कैसे करें?
अब सबसे ज़रूरी बात पर आते हैं। आखिर चंद्रमा की पूजा करने का सही तरीका क्या है। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं:
- चाँद निकलने का इंतज़ार करें : करवा चौथ की पूजा शाम को चाँद निकलने के समय की जाती है। इसलिए महिलाएँ छत या आँगन में इकट्ठी होकर चंद्रमा उदय का इंतज़ार करती हैं।
- करवे और थाली की तैयारी : पूजा के लिए एक थाली सजाई जाती है जिसमें दीपक, रोली, चावल, चंदन, फल और मिठाई रखी जाती है। इसके अलावा एक करवा (मिट्टी या पीतल का घड़ा) में पानी भरकर रखा जाता है।
- चलनी से चाँद देखना : जब चंद्रमा निकल आता है, तो महिलाएँ सबसे पहले छलनी (चलनी) से चाँद को देखती हैं। उसके बाद उसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखती हैं।
- अर्घ्य देना : चंद्रमा की पूजा के बाद करवे से पानी लेकर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। यह सबसे अहम हिस्सा होता है। मान्यता है कि इससे पूजा पूरी मानी जाती है।
- पति की पूजा और आशीर्वाद : इसके बाद महिलाएँ अपने पति को तिलक करती हैं, आरती उतारती हैं और उनके हाथ से जल ग्रहण करके व्रत खोलती हैं।
इस पूरी प्रक्रिया में जो सबसे खास बात है, वह है श्रद्धा और आस्था। अगर आपका मन साफ है और भावनाएँ सच्ची हैं, तो पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।
करवा चौथ की पूजा सामग्री
कई बार महिलाएँ सोचती हैं कि आखिर चंद्रमा की पूजा के लिए क्या-क्या सामान चाहिए। तो भाई, यहाँ मैं आपको छोटा सा लिस्ट देता हूँ ताकि तैयारी पूरी रहे:
- करवा (मिट्टी/पीतल का घड़ा)
- छलनी (चलनी)
- दीपक, रोली, कुमकुम, चावल
- नारियल, मिठाई और फल
- पूजा की थाली
- पति के लिए तिलक का सामान (अक्षत और रोली)
करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा क्यों ज़रूरी है?
अब सवाल यह है कि आखिर इस व्रत में सिर्फ चंद्रमा की पूजा क्यों की जाती है। दरअसल, चंद्रमा को आयु और सौभाग्य का देवता माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा करने से पति का जीवन लंबा होता है और पत्नी का सौभाग्य अखंड रहता है।
इसके अलावा वैज्ञानिक दृष्टि से भी चाँद का मन और शरीर पर गहरा असर माना गया है। कहते हैं कि पूर्णिमा और अमावस्या का असर हमारी सेहत और मानसिक स्थिति पर पड़ता है। इसी वजह से करवा चौथ के दिन चाँद की पूजा को बेहद शुभ माना जाता है।
करवा चौथ और चंद्रमा पूजा से जुड़े 5 रोचक तथ्य
- करवा चौथ का व्रत सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और नेपाल के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है।
- इस व्रत की परंपरा महाभारत काल से जुड़ी मानी जाती है, जब द्रौपदी ने अपने पति अर्जुन की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखा था।
- करवा चौथ की रात को आसमान में दिखने वाला चाँद पति-पत्नी के रिश्ते का गवाह माना जाता है।
- कई जगहों पर महिलाएँ चाँद निकलने से पहले ही लोकगीत गाते हुए जश्न मनाती हैं।
- करवा चौथ पर पति खुद पत्नी को पहला निवाला खिलाता है, इसे प्रेम और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।

निष्कर्ष: करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा कैसे करें?
करवा चौथ सिर्फ एक व्रत भर नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच के अटूट विश्वास और प्रेम का प्रतीक है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि इसे सौभाग्य और लंबी उम्र का वरदान देने वाला माना गया है। जब चंद्रमा उदय होता है, तब व्रत रखने वाली महिलाएँ छलनी से पति का चेहरा देखकर और चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूरा करती हैं। यह क्षण पूरे दिन की तपस्या को सार्थक बनाता है और रिश्ते में एक नई ऊर्जा भर देता है।
आधुनिक समय में भले ही जीवनशैली बदल गई हो, लेकिन करवा चौथ की पूजा की परंपराएँ आज भी उतनी ही आस्था और भावनाओं के साथ निभाई जाती हैं। असल मायने में यह पर्व पति-पत्नी के रिश्ते में समर्पण, विश्वास और प्यार को और गहरा करता है। इसलिए, चंद्रमा की पूजा करते समय केवल रीति-रिवाज ही नहीं, बल्कि दिल से की गई प्रार्थना और श्रद्धा ही इस पर्व को और खास बना देती है।



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