करवा चौथ में छलनी से चांद और पति का दर्शन क्यों किया जाता है?

भारत में जब भी पति-पत्नी के रिश्ते की बात आती है तो सबसे पहले करवा चौथ का ज़िक्र जरूर होता है। ये सिर्फ एक व्रत नहीं है बल्कि प्यार, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। करवा चौथ हर साल खासकर उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।करवा चौथ में छलनी से चांद और पति का दर्शन क्यों किया जाता है? इस दिन सुहागिन औरतें दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चांद का दर्शन करके और पति को देख कर अपना व्रत खोलती हैं।

आपने देखा होगा कि इस मौके पर एक खास परंपरा निभाई जाती है। औरतें छलनी से पहले चांद और फिर अपने पति का चेहरा देखती हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों किया जाता है? इसके पीछे सिर्फ आस्था नहीं बल्कि कई सांकेतिक अर्थ भी छुपे हुए हैं।

करवा चौथ में छलनी से चांद और पति का दर्शन क्यों किया जाता है
करवा चौथ में छलनी से चांद और पति का दर्शन क्यों किया जाता है

करवा चौथ व्रत का महत्व

करवा चौथ का व्रत औरतें अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती हैं। यह व्रत प्राचीन काल से चला आ रहा है। माना जाता है कि जब औरत अपने पति की लंबी उम्र के लिए तपस्या करती है तो उसका असर जरूर होता है। इस दिन का व्रत पूरे दिन बिना पानी पिए और बिना कुछ खाए रखा जाता है।

रात को जब चांद निकलता है, तब औरतें छलनी से चांद का दर्शन करती हैं और फिर पति को देखकर अपने उपवास को तोड़ती हैं। यही परंपरा करवा चौथ को और भी खास बनाती है।

छलनी से चांद और पति का दर्शन क्यों किया जाता है?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर औरतें छलनी से ही क्यों देखती हैं। दरअसल, हिंदू मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा को सौंदर्य, शांति और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। औरत जब छलनी से चांद को देखती है, तो इसका मतलब होता है कि वह अपने जीवन में सारी बुरी चीजों को छानकर केवल अच्छाइयों को ही अपनाना चाहती है।

छलनी का काम होता है छानना, यानी अच्छे को रखना और बुरे को अलग करना। ठीक उसी तरह, करवा चौथ की रात छलनी से चांद देखने का अर्थ है कि जीवन की सारी कठिनाइयों, दुखों और नकारात्मकताओं को दूर करके केवल पति का साथ, उसकी लंबी उम्र और सुख-शांति की कामना की जाती है।

इसके बाद जब औरत उसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखती है तो उसका सीधा मतलब होता है कि उसके लिए पति ही सबसे बड़ा सुख और जीवन का आधार है। मानो वह कह रही हो – “मेरे लिए सब कुछ तुम हो और मैं अपनी सारी खुशियां तुम्हारे नाम करती हूँ।” यही वजह है कि छलनी का ये प्रतीकात्मक महत्व करवा चौथ को और भी खूबसूरत बना देता है।

धार्मिक और पौराणिक मान्यता

कहा जाता है कि छलनी से चांद और पति को देखने की परंपरा पौराणिक काल से जुड़ी हुई है। लोककथाओं में एक कहानी आती है कि एक बार एक पत्नी ने छलनी से चांद देखने की परंपरा निभाई और पति के लंबे जीवन की प्रार्थना की, उसके बाद उसका पति किसी बड़ी विपत्ति से बच गया। तभी से यह मान्यता और भी मजबूत हो गई कि छलनी से दर्शन करना शुभ और मंगलकारी होता है।

चंद्रमा को भगवान शिव का प्रिय माना गया है और वह अमृत का प्रतीक है। जब औरत चंद्रमा को देखती है तो मानो वह जीवन में अमृत की कामना करती है, और जब छलनी से अपने पति को देखती है तो इसे अमृत समान मानकर अपनी जिंदगी उसे समर्पित कर देती है।

छलनी का वैज्ञानिक पहलू

अगर बात वैज्ञानिक दृष्टिकोण से की जाए तो छलनी से चांद देखने का भी एक अलग महत्व है। दरअसल, छलनी से देखने पर चांद की रोशनी हल्की और मुलायम लगती है। ये रोशनी आँखों को आराम देती है और देखने वाले को एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव कराती है। जब औरत इस रोशनी में अपने पति को देखती है, तो मन में एक अलग ही सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। यही वजह है कि ये परंपरा सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन से भी जुड़ी हुई है।

पति का छलनी से दर्शन करने का महत्व

पति का छलनी से दर्शन करना करवा चौथ की सबसे खास रस्मों में से एक है। इसका मतलब ये है कि औरत अपने पति को चंद्रमा की तरह पवित्र, उज्ज्वल और अनमोल मानती है। पति का चेहरा चांद की रोशनी से घिरा हुआ जब छलनी से दिखाई देता है तो वह और भी खूबसूरत लगता है। यही पल पति-पत्नी के रिश्ते को और गहरा और आत्मीय बना देता है।

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ये रस्म केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि इसमें गहरे रिश्ते और अपनापन छुपा हुआ है। छलनी मानो एक प्रतीक है कि औरत ने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन के लिए सारे बुरे विचारों और दुखों को छान दिया है।

आधुनिक समय में करवा चौथ और छलनी की परंपरा

आजकल भले ही जमाना बदल गया हो, पर करवा चौथ की परंपरा आज भी उतनी ही श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाई जाती है। कई जगह तो अब पति भी अपनी पत्नियों के लिए व्रत रखने लगे हैं ताकि बराबरी और आपसी प्रेम का संदेश जा सके। लेकिन छलनी से देखने की परंपरा आज भी कायम है क्योंकि यह सिर्फ एक रस्म नहीं बल्कि भावनाओं का प्रतीक है।

कई लोग इसे फैशन या फोटो खिंचवाने के नजरिए से भी निभाते हैं, लेकिन असल में इसका महत्व बहुत गहरा है। जब आप छलनी से चांद और अपने जीवनसाथी को देखते हैं, तो वह पल हमेशा यादगार बन जाता है।

करवा चौथ से जुड़े 5 रोचक तथ्य

  1. करवा चौथ का व्रत सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है।
  2. पहले के समय में औरतें अपने पति के साथ-साथ सैनिक भाइयों की लंबी उम्र के लिए भी यह व्रत रखती थीं।
  3. करवा चौथ की रात चांद को छलनी से देखने की परंपरा सिर्फ भारत में ही देखने को मिलती है, दूसरे देशों में इस तरह की कोई परंपरा नहीं है।
  4. करवा चौथ के मौके पर सास अपनी बहू को ‘सरगी’ देती है जिसमें फल, मिठाई और सूखे मेवे होते हैं।
  5. आजकल कई कपल्स करवा चौथ को एक फेस्टिवल ऑफ लव की तरह भी मानते हैं और पति-पत्नी दोनों मिलकर व्रत रखते हैं।

निष्कर्ष:करवा चौथ में छलनी से चांद और पति का दर्शन क्यों किया जाता है?

करवा चौथ की परंपरा केवल उपवास रखने या रस्म निभाने तक सीमित नहीं है। इसमें पति-पत्नी के रिश्ते की गहराई, विश्वास और एक-दूसरे के प्रति समर्पण छुपा हुआ है। छलनी से चांद और फिर पति का चेहरा देखना एक खूबसूरत प्रतीक है जो यह बताता है कि जीवन में सारी नकारात्मकता को छानकर केवल अपने साथी के साथ प्यार और खुशियों को अपनाना ही सबसे बड़ा सुख है।

अगर आप भी करवा चौथ का व्रत रखते हैं तो अगली बार जब छलनी से चांद और अपने पति को देखें, तो याद रखें कि यह सिर्फ एक रस्म नहीं बल्कि आपके रिश्ते का सबसे पवित्र और प्यार भरा पल है। यही वजह है कि करवा चौथ आज भी लाखों दिलों को जोड़ने वाला त्योहार माना जाता है।

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