इंडिया में दीवाली क्यों मनाई जाती है?

नमस्ते, भक्तजनों 

अगर आप भारत के त्योहारों की लिस्ट उठाकर देखें, तो उसमें सबसे बड़ा और सबसे रोशनी वाला त्योहार है। दीवाली। पूरे देश में इसे धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इंडिया में दीवाली क्यों मनाई जाती है? सिर्फ पटाखे जलाने और मिठाई खाने के लिए तो नहीं, इसके पीछे गहरी धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक वजहें छिपी हैं। चलिए आपको आज मैं दोस्त की तरह समझाता हूं, ताकि पढ़ने के बाद आपको दूसरी वेबसाइट पर जाने की ज़रूरत ही न पड़े।

1. रामायण और श्रीराम की अयोध्या वापसी

सबसे पहला कारण, जिसके बारे में आपने बचपन से सुना होगा, वो है भगवान श्रीराम का अयोध्या लौटना। जब श्रीराम ने रावण का वध किया और सीता जी को वापस लाए, तब 14 साल का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। उस दिन अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाकर पूरी नगरी को रोशन कर दिया। तभी से इस दिन को दीपावली यानी दीपों का पर्व कहा जाने लगा।

यह कहानी सिर्फ धर्म से जुड़ी नहीं है, बल्कि इसमें अच्छाई की जीत और बुराई पर विजय का संदेश छुपा है। हर साल जब हम दीवाली मनाते हैं, तो कहीं न कहीं हम उसी जीत को याद करते हैं और अपने जीवन में भी बुराई को मिटाकर अच्छाई अपनाने का संकल्प लेते हैं।

इंडिया में दीवाली क्यों मनाई जाती है
इंडिया में दीवाली क्यों मनाई जाती है

2. माता लक्ष्मी की पूजा

दीवाली का दूसरा सबसे बड़ा महत्व है माता लक्ष्मी का पूजन। इस दिन लोग अपने घरों को साफ-सुथरा रखते हैं, सजावट करते हैं और रात को दीप जलाकर माता लक्ष्मी को अपने घर आमंत्रित करते हैं। मान्यता है कि लक्ष्मी जी घर-घर घूमती हैं और साफ-सुथरे, रोशनी से भरे घरों में प्रवेश करती हैं। इसी वजह से लोग लक्ष्मी पूजा करके धन-धान्य, सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

अगर आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि दीवाली सिर्फ धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक तरह का सकारात्मक ऊर्जा फैलाने वाला पर्व है। घर की सफाई, रोशनी, पूजा-पाठ – सबका मकसद ये है कि नकारात्मकता दूर हो और सकारात्मकता घर में प्रवेश करे।

3. व्यापार और नया साल

भारत के कई हिस्सों में, खासकर गुजरात और राजस्थान में, दीवाली नए साल की शुरुआत भी मानी जाती है। व्यापारी लोग इस दिन अपनी बहीखाता (account books) बदलते हैं और नए व्यापार की शुरुआत करते हैं। इस वजह से दीवाली सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। यानी आप ये कह सकते हैं कि दीवाली खुशियों के साथ-साथ नई उम्मीद और नई शुरुआत का प्रतीक भी है।

4. पौराणिक और सांस्कृतिक कारण

भारत जितना बड़ा देश है, उतनी ही अलग-अलग मान्यताएं हैं। कहीं इसे श्रीराम की वापसी के रूप में, कहीं लक्ष्मी पूजन, तो कहीं भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के विवाह के रूप में मनाया जाता है। वहीं, बंगाल में इसे काली पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। इससे साफ है कि दीवाली सिर्फ एक घटना से नहीं जुड़ी है, बल्कि यह कई मान्यताओं का संगम है। यही वजह है कि यह त्योहार पूरे देश में, अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।

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5. दीवाली और समाजिक जुड़ाव

अब आप सोचिए, साल भर लोग अपनी-अपनी व्यस्त जिंदगी में उलझे रहते हैं। लेकिन जब दीवाली आती है, तो हर कोई अपने घर-परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों से जुड़ता है। घर-घर मिठाइयों का आदान-प्रदान होता है, लोग एक-दूसरे से मिलते हैं। इससे समाज में प्यार, भाईचारे और एकता की भावना मजबूत होती है। आप चाहे किसी भी धर्म या क्षेत्र के हों, दीवाली का त्योहार सबको जोड़ देता है। यही वजह है कि इसे Festival of Lights कहा जाता है।

दीवाली मनाने का असली संदेश?

अगर आप गहराई से सोचेंगे तो दीवाली सिर्फ पटाखों और मिठाइयों तक सीमित नहीं है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि

  1. बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अच्छाई हमेशा जीतती है।
  2. सफाई और प्रकाश से ही सकारात्मक ऊर्जा आती है।
  3. हमें जीवन में हमेशा नई शुरुआत के लिए तैयार रहना चाहिए।
  4. परिवार और समाज का जुड़ाव ही असली खुशी है।

दीवाली से जुड़े 5 रोचक फैक्ट्स?

  1. दीवाली सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, मलेशिया और मॉरीशस जैसे देशों में भी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
  2. सिख धर्म में दीवाली का महत्व इसलिए है क्योंकि इसी दिन गुरु हरगोविंद जी को जेल से रिहा किया गया था।
  3. जैन धर्म में भी दीवाली का खास महत्व है, क्योंकि इसी दिन भगवान महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था।
  4. दीवाली के समय सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह धन की वृद्धि और समृद्धि का प्रतीक है।
  5. इस त्योहार को “Festival of Lights” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का संदेश देता है।

निष्कर्ष:इंडिया में दीवाली क्यों मनाई जाती है?

तो अब आप समझ ही गए होंगे कि इंडिया में दीवाली क्यों मनाई जाती है। यह सिर्फ पटाखों और मिठाइयों का त्योहार नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक घटनाओं, सामाजिक जुड़ाव और सकारात्मक ऊर्जा का संगम है। जब हम अपने घर को रोशनी से सजाते हैं, तो यह सिर्फ बाहर की रोशनी नहीं होती, बल्कि अंदर की अंधकार को मिटाने का प्रतीक भी होती है।

इसलिए अगली बार जब आप दीवाली मनाएं, तो इसे सिर्फ एक त्योहार की तरह न देखें, बल्कि इसके असली संदेश को अपनाएं – अच्छाई को अपनाना, नकारात्मकता को मिटाना और सबके साथ खुशी बांटना। यही दीवाली की असली खूबसूरती है।

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