अगर तुम भगवान हनुमान के भक्त हो तो ये सवाल ज़रूर कभी न कभी तुम्हारे मन में आया होगा कि “हनुमान जी की आरती करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?”
कई लोग आरती तो करते हैं, लेकिन उन्हें यह ठीक से पता नहीं होता कि आरती शुरू करने से पहले, बीच में और अंत में कौन से मंत्र बोले जाएं जिससे पूजा पूरी और फलदायी हो।
तो चलो, आज इसे आसान भाषा में समझते हैं ताकि अगली बार जब तुम आरती करो, तो मन में कोई उलझन न रहे और भक्ति का अनुभव और गहरा हो जाए।

हनुमान जी की आरती का असली मतलब क्या है?
आरती का मतलब सिर्फ दीपक जलाना या घी का दिया घुमाना नहीं है। इसका अर्थ होता है। प्रभु के प्रति अपनी श्रद्धा और आभार प्रकट करना।
जब हम हनुमान जी की आरती करते हैं, तो असल में हम उनसे यह कह रहे होते हैं कि “हे बजरंगबली, हमारी रक्षा करो, हमें शक्ति और साहस दो ताकि हम जीवन के हर संकट से पार पा सकें।” हनुमान जी शक्ति, बुद्धि, भक्ति और विनम्रता के प्रतीक हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा से उनकी आरती करता है, उसके जीवन से भय और बाधाएँ स्वतः दूर हो जाती हैं।
आरती शुरू करने से पहले कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
आरती शुरू करने से पहले मन को एकाग्र करना बहुत जरूरी होता है। इसलिए सबसे पहले हाथ जोड़कर “ध्यान मंत्र” बोला जाता है। यह मंत्र हनुमान जी के स्वरूप का ध्यान करने के लिए होता है।
ध्यान मंत्र:
ॐ आंजनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि।
तन्नो हनुमान् प्रचोदयात्॥
इस मंत्र का अर्थ है —
“हम भगवान हनुमान का ध्यान करते हैं जो पवनदेव के पुत्र हैं। वे हमें सही बुद्धि और शक्ति प्रदान करें।”
यह मंत्र आरती से पहले बोलना बहुत शुभ माना जाता है। इससे मन शांत होता है और भक्ति का भाव जाग्रत होता है।
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आरती करते समय बोले जाने वाला मुख्य मंत्र?
जब तुम आरती शुरू करते हो, तो हनुमान जी के सामने दीपक, कपूर या घी का दिया जलाकर, घंटी बजाते हुए नीचे दिया गया “हनुमान आरती मंत्र” बोला जाता है:
आरती मंत्र:
आरती कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
जाके बल से गिरवर कांपे,
रोग दोष जाके निकट न झांके।अंजनि पुत्र महा बलदायी,
संतन के प्रभु सदा सहाई।
दे वीरा रघुनाथ पठाए,
लंका जारि सिया सुधि लाए।लाय संजीवन लखन जियाए,
श्रीरघुबीर हरषि उर लाए।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई,
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।सहस बदन तुम्हरो जस गावैं,
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।
संकादिक ब्रह्मादि मुनीसा,
नारद सारद सहित अहीसा।यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते,
कवि कोबिद कहि सके कहाँ ते।
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा,
राम मिलाय राजपद दीन्हा।तुम्हरो मंत्र विभीषण माना,
लंकेश्वर भए सब जग जाना।
युग सहस्त्र जोजन पर भानू,
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं,
जलधि लांघि गए अचरज नाहीं।
दुर्गम काज जगत के जेते,
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।राम दुआरे तुम रखवारे,
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना,
तुम रक्षक काहू को डरना।आपन तेज सम्हारो आपै,
तीनों लोक हांक ते कांपै।
भूत पिशाच निकट नहिं आवै,
महावीर जब नाम सुनावै।नासै रोग हरै सब पीरा,
जपत निरंतर हनुमत बीरा।
संकत से हनुमान छुड़ावै,
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।आरती कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
यह पूरी आरती मंत्र के रूप में गाई जाती है और अंत में “जय हनुमान जी महाराज की” बोलकर समापन किया जाता है।
आरती के अंत में कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
आरती पूरी होने के बाद एक छोटा सा समर्पण मंत्र बोलना चाहिए।
इससे पूजा का फल पूर्ण माना जाता है।
समर्पण मंत्र:
ॐ हनुमंते नमः।
संकट कटे मिटे सब पीरा,
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
यह मंत्र हनुमान जी को प्रणाम करने और उनसे आशीर्वाद मांगने का प्रतीक है। इसे आरती के बाद बोलने से पूजा संपन्न होती है।
हनुमान जी की आरती करते समय ध्यान में रखने योग्य बातें?
जब तुम आरती करो, तो यह केवल एक क्रिया न होकर पूरी श्रद्धा से किया गया भाव होना चाहिए।
यहाँ कुछ बातें याद रखना ज़रूरी हैं:
- आरती से पहले स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करो। इससे मन और शरीर दोनों शुद्ध रहते हैं।
- हनुमान जी को सिंदूर, चमेली का तेल, और लाल फूल अर्पित करो। ये उनकी प्रिय चीजें हैं।
- आरती के समय दीपक दक्षिणावर्त (घड़ी की दिशा में) घुमाओ, यह शुभ माना जाता है।
- मन में कोई लालच या दिखावा न रखो। सच्चे दिल से किया गया भक्ति कर्म ही फल देता है।
- अंत में प्रसाद और जल ग्रहण करो। इसे भगवान का आशीर्वाद मानो।
हनुमान आरती करने का सबसे शुभ समय?
वैसे तो हनुमान जी की आरती किसी भी समय की जा सकती है, लेकिन सबसे शुभ समय माने गए हैं:
- सुबह सूर्योदय के समय : नए दिन की शुरुआत शक्ति और उत्साह से होती है।
- शाम सूर्यास्त के बाद : जब दिन खत्म होता है, तब आरती करने से मन में शांति आती है।
- मंगलवार और शनिवार : ये दिन हनुमान जी को समर्पित हैं और इन पर आरती का विशेष फल मिलता है।
5 रोचक तथ्य हनुमान आरती और मंत्र से जुड़े?
- हनुमान जी का नाम लेने मात्र से भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियाँ पास नहीं आतीं।
- हनुमान जी की आरती अगर मंगलवार या शनिवार को की जाए, तो इसका फल कई गुना बढ़ जाता है।
- “आरती कीजै हनुमान लला की” आरती तुलसीदास जी द्वारा रची गई है।
- हनुमान जी को सूर्यदेव का शिष्य माना जाता है, इसलिए सूर्यास्त के बाद की गई आरती विशेष रूप से प्रभावी होती है।
- संकटमोचन शब्द सबसे पहले हनुमान जी के लिए ही इस्तेमाल किया गया, जिसका अर्थ है – जो संकट दूर करता है।

निष्कर्ष:हनुमान जी की आरती करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
अब जब तुम्हें यह पूरी तरह पता चल गया कि हनुमान जी की आरती करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए, तो अगली बार जब तुम आरती करो तो यह ध्यान मंत्र, आरती मंत्र और समर्पण मंत्र जरूर बोलो।
हनुमान जी की पूजा का असली अर्थ सिर्फ दीपक जलाना नहीं बल्कि भक्ति और सच्चे मन से जुड़ना है।
अगर तुम जीवन में किसी संकट, भय या परेशानी से गुजर रहे हो, तो नियमित रूप से हनुमान चालीसा और हनुमान आरती करना शुरू करो। तुम देखोगे कि धीरे-धीरे आत्मविश्वास और शक्ति तुम्हारे भीतर खुद बढ़ने लगेगी।



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