अगर आप सिख धर्म या भारतीय इतिहास के बारे में थोड़ा भी जानते होंगे तो गुरु ग्रंथ साहिब का नाम जरूर सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि आखिर गुरु ग्रंथ साहिब का इतिहास क्या है? इसे क्यों बनाया गया और क्या चीज़ इसे इतना पवित्र और अनोखा बनाती है?

गुरु ग्रंथ साहिब सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं बल्कि पूरे सिख धर्म का शाश्वत गुरु है। यह किसी इंसान द्वारा दी गई गुरु-गद्दी की तरह नहीं बल्कि हमेशा के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में स्वीकार किया गया है। इस ग्रंथ में जीवन जीने के मूल्य, प्रेम, समानता, सत्य, ईमानदारी और ईश्वर के प्रति भक्ति का अद्भुत संदेश मिलता है।
गुरु ग्रंथ साहिब की शुरुआत कैसे हुई?
गुरु ग्रंथ साहिब का इतिहास सिख धर्म के पहले गुरु गुरु नानक देव जी के समय से शुरू होता है। गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में अनेक शबद, कीर्तन और भक्ति के भजन लिखे, जिनका मकसद था – समाज में फैली बुराइयों जैसे जाति-पाती, भेदभाव और अंधविश्वास को खत्म करना।
लेकिन असली ग्रंथ की शुरुआत 5वें गुरु गुरु अर्जन देव जी ने की। उन्होंने गुरु नानक देव जी और गुरु परंपरा में आए अन्य गुरुओं के उपदेशों को एक जगह संकलित किया। इसी पवित्र संकलन को आदि ग्रंथ कहा गया, जिसे सबसे पहली बार 1604 में सुव्यवस्थित रूप में तैयार किया गया।
इस ग्रंथ को हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर), अमृतसर में स्थापित किया गया और भाई गुरुदास जी ने इसके लेखक के रूप में अहम भूमिका निभाई।
आदि ग्रंथ से गुरु ग्रंथ साहिब तक का सफर?
जब 10वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी का समय आया, तब उन्होंने सिख धर्म को एक नई दिशा दी। उन्होंने कहा कि अब इंसानी रूप में कोई गुरु नहीं होगा। इसके बजाय उन्होंने आदि ग्रंथ में कुछ और संतों के उपदेश जोड़कर इसे पूर्ण रूप गुरु ग्रंथ साहिब के रूप में स्वीकार किया।
✦ वर्ष : 1708
✦ स्थान : नांदेड़ (महाराष्ट्र)
✦ घोषणा : “सब सिखन को हुक्म है, गुरु मान्यो ग्रंथ”
यानि अब यह पवित्र ग्रंथ ही सिखों का शाश्वत गुरु होगा।
गुरु ग्रंथ साहिब में क्या-क्या लिखा है?
गुरु ग्रंथ साहिब में कोई कहानी या क़िस्सों पर आधारित बातें नहीं हैं। इसमें भक्ति, ज्ञान और मानवता का संदेश दिया गया है।
इसमें लगभग:
- 1430 अंग (पृष्ठ)
- 31 राग
- 6000+ शबद
- 36 महान भक्तों, गुरुओं और संतों की वाणी शामिल
सबसे खास बात यह कि इसमें सिर्फ सिख गुरुओं की वाणी ही नहीं बल्कि विभिन्न धर्मों, समुदायों और क्षेत्रों के संतों की वाणी भी शामिल की गई है, जैसे:
✔ कबीर दास
✔ बाबा फरीद
✔ रविदास जी
✔ नामदेव जी
✔ जयदेव जी
आदि
यह बात इसे एक वैश्विक और सर्वमान्य ग्रंथ बनाती है, जो सभी को समान नजर से देखता है।
यह भी जानें – गुरु ग्रंथ साहिब का हिंदी में क्या अर्थ है?
गुरु ग्रंथ साहिब का संदेश?
गुरु ग्रंथ साहिब हमें बताता है कि:
- सभी मनुष्य समान हैं
- एक ही ईश्वर है, जिसका नाम “वाहेगुरु” है
- मेहनत करो, नाम जपो और बांटकर खाओ
- लालच, घृणा, नफरत, हिंसा से दूर रहो
- इंसानियत सबसे ऊपर है
आज के समय में जब लोग जाति-धर्म के आधार पर बंट रहे हैं, गुरु ग्रंथ साहिब हमें भाईचारे और प्रेम का रास्ता दिखाता है।
गुरु ग्रंथ साहिब की भाषा कैसे है?
गुरु ग्रंथ साहिब की भाषा गुरमुखी लिपि में है। इसमें कई भाषाओं का मिश्रण मिलता है जैसे:
- पंजाबी
- ब्रज भाषा
- संस्कृत
- फ़ारसी
- अवधी
यही वजह है कि इसे पढ़ते समय एक संगीतात्मक और आध्यात्मिक अनुभव होता है।
दुनिया में गुरु ग्रंथ साहिब का महत्व?
गुरु ग्रंथ साहिब सिर्फ गुरुद्वारों में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सिख समुदाय के घरों और दिलों में सम्मान के साथ स्थापित है। इसका पाठ करना बहुत पवित्र माना जाता है। हर गुरुद्वारे में सुबह-शाम कीर्तन, अरदास और गुरु की हजूरी में सेवाएं की जाती हैं।
स्वर्ण मंदिर हो या दुनिया का कोई भी गुरुद्वारा – गुरु ग्रंथ साहिब केंद्र में विराजमान रहता है और लोग उनकी हज़ूरी में मत्था टेकते हैं।
गुरु ग्रंथ साहिब के 5 सबसे रोचक फैक्ट्स?
यह दुनिया का इकलौता धार्मिक ग्रंथ है जिसे गुरु का दर्जा दिया गया है।
इसे हमेशा ऊँचे स्थान पर रखा जाता है और इसके ऊपर छत्र और रुमाला साहिब से सम्मान दिया जाता है।
इसे पढ़ने से पहले सिर ढंकना, जूते उतारना और पांव मोड़कर बैठना अनिवार्य माना जाता है।
इसका किसी भी प्रकार से संशोधन, परिवर्तन या नया संपादन पूरी तरह निषिद्ध है।
गुरु ग्रंथ साहिब को रोज सवेरे उद्घाटन और रात में सुखासन की विधि के साथ रखा जाता है, मानो जीवित गुरु हों।

निष्कर्ष:गुरु ग्रंथ साहिब का इतिहास क्या है?
अगर एक लाइन में कहें तो गुरु ग्रंथ साहिब इतिहास नहीं, एक जीवन दर्शन है। यह हमें यह सिखाता है कि जिंदगी बहुत सरल है, बस हमें इंसानियत और सच्चाई का रास्ता नहीं छोड़ना चाहिए। दुनिया में चाहे कितना भी बदलाव क्यों न हो जाए, गुरु ग्रंथ साहिब का संदेश हमेशा लोगों को शांति, प्रेम और भाईचारे की राह दिखाता रहेगा।


