भारत त्योहारों की धरती है और हर त्योहार का अपना अलग महत्व है। दीपावली के अगले दिन जो पर्व मनाया जाता है, वह है गोवर्धन पूजा। इसे कई जगहों पर अन्नकूट भी कहा जाता है। लेकिन जब भी लोग इस पर्व के बारे में जानना चाहते हैं, उनके मन में यही सवाल आता है। गोवर्धन पूजा की एकदम सही पूजा विधि क्या है?
अगर आप भी यही जानना चाहते हो तो मैं आपको ऐसे समझाऊँगा जैसे आपसे आमने-सामने बातें कर रहा हूँ। पढ़ने के बाद आपको दूसरी किसी वेबसाइट पर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि यहाँ आपको हर छोटी-बड़ी जानकारी एकदम विस्तार से मिल जाएगी।

गोवर्धन पूजा का महत्व क्यों है?
गोवर्धन पूजा का सीधा संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है। जब इंद्रदेव ने गोकुलवासियों पर ग़ुस्से में लगातार बारिश करनी शुरू की थी, तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर सबको बचाया था। तभी से इस पर्व को मनाने की परंपरा चली आ रही है।
यह पूजा सिर्फ भगवान की कृपा पाने के लिए ही नहीं, बल्कि प्रकृति और अन्न का सम्मान करने का भी तरीका है। यही वजह है कि इसे “अन्नकूट” कहा जाता है। इस दिन सैकड़ों प्रकार के व्यंजन बनाकर भगवान को अर्पित किए जाते हैं।
गोवर्धन पूजा कब की जाती है?
दीपावली के अगले दिन, यानी कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है। हर साल यह तिथि थोड़ी अलग होती है, लेकिन हमेशा दीपावली के अगले ही दिन आती है। ग्रामीण इलाकों में तो यह पर्व और भी ज़्यादा उत्साह के साथ मनाया जाता है, क्योंकि वहाँ लोग सीधे अपने खेतों, पशुओं और प्रकृति से जुड़े होते हैं।
गोवर्धन पूजा की एकदम सही पूजा विधि क्या है?
अब आते हैं असली सवाल पर गोवर्धन पूजा की एकदम सही पूजा विधि क्या है? इसे step by step इस तरह किया जाता है, लेकिन मैं आपको इसे points में dry तरीके से नहीं, बल्कि पूरे flow में समझाता हूँ।
सबसे पहले घर की महिलाएँ सुबह जल्दी उठकर आँगन को साफ करती हैं और उसे गोबर से लीपकर पवित्र बनाती हैं। फिर गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक रूप तैयार किया जाता है। इस गोवर्धन को छोटे-छोटे टीले बनाकर सजाया जाता है। फिर इसके चारों ओर रंगोली बनाई जाती है और फूलों से सजावट की जाती है।
यह भी जानें – दीपावली पर गोधन कब और कैसे मनाया जाता है?
इसके बाद भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गाय-बैलों की पूजा की जाती है। पूजा में रोली, चावल, जल, दूध, दही, गुड़ और मिठाई का इस्तेमाल किया जाता है। खासकर ग्रामीण इलाकों में इस दिन गायों को स्नान कराकर उनके सींगों पर रंग लगाया जाता है और फूलों की माला पहनाई जाती है।
फिर परिवार के लोग गोवर्धन पर्वत की सात बार परिक्रमा करते हैं। इस दौरान गीत गाए जाते हैं और लोग खुश होकर एक-दूसरे को मिठाई बाँटते हैं। उसके बाद भगवान को अन्नकूट यानी तरह-तरह के पकवान चढ़ाए जाते हैं। आखिर में इस भोजन को परिवार और पड़ोसियों में बाँटा जाता है। इसे ही प्रसाद माना जाता है।
गोवर्धन पूजा का धार्मिक और सामाजिक संदेश?
गोवर्धन पूजा सिर्फ धार्मिक महत्व तक सीमित नहीं है। इसका सामाजिक संदेश भी गहरा है। यह पूजा हमें यह सिखाती है कि प्रकृति, अन्न और पशु हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। हम इनका सम्मान करेंगे तो जीवन सुखी रहेगा, और अगर इन्हें भूल गए तो मुश्किलें आ सकती हैं। कृष्ण ने इंद्रदेव का अभिमान तोड़कर यह सिखाया था कि प्रकृति का सम्मान करना चाहिए, न कि उसका शोषण। आज के समय में भी इस पर्व का यही संदेश है कि हमें पर्यावरण और प्रकृति को बचाना है।
गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का महत्व?
इस दिन बनाए गए अन्नकूट का भी खास महत्व है। परिवार की महिलाएँ और पुरुष मिलकर सैकड़ों व्यंजन बनाते हैं और फिर उन्हें गोवर्धन महाराज को अर्पित किया जाता है। यह परंपरा हमें मिलकर रहने, बाँटकर खाने और खुशी साझा करने का संदेश देती है। शहरों में भले ही यह परंपरा थोड़ी सादी हो गई हो, लेकिन गाँवों में आज भी यह उतनी ही भव्यता से निभाई जाती है।
गोवर्धन पूजा से जुड़े 5 रोचक तथ्य?
- गोवर्धन पूजा को भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, कहीं इसे अन्नकूट कहते हैं तो कहीं इसे गोधन पूजा।
- इस दिन गायों को विशेष महत्व दिया जाता है और उन्हें सजाकर पूजा में शामिल किया जाता है।
- मान्यता है कि इस दिन गोवर्धन पूजा करने से घर में कभी अन्न-धन की कमी नहीं होती।
- गोवर्धन पूजा सिर्फ भारत ही नहीं, नेपाल और अन्य हिंदू समुदायों में भी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
- इस दिन बनाए गए अन्नकूट प्रसाद को पूरे गाँव और समाज में बाँटा जाता है ताकि सभी लोग मिलकर खुशी मना सकें।

निष्कर्ष:गोवर्धन पूजा की एकदम सही पूजा विधि क्या है?
तो दोस्त, अब आपको साफ समझ आ गया होगा कि गोवर्धन पूजा की एकदम सही पूजा विधि क्या है? यह पूजा सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन का गहरा संदेश है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति तो है ही, साथ ही प्रकृति, अन्न और पशुओं का महत्व भी जुड़ा हुआ है।
दीपावली के अगले दिन जब आप गोवर्धन पूजा करें, तो सिर्फ विधि-विधान पर ही ध्यान न दें, बल्कि उसके पीछे छिपे संदेश को भी याद रखें। तभी यह पूजा पूरी होगी और आपके जीवन में खुशियाँ और समृद्धि लाएगी।



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