अगर आप भारत के त्योहारों पर नज़र डालें तो आपको हर महीने कोई न कोई उत्सव देखने को मिल जाएगा। लेकिन कुछ त्यौहार ऐसे होते हैं, जिनका इंतजार पूरे साल किया जाता है। उन्हीं खास त्योहारों में से एक है गणेश चतुर्थी। यह पर्व पूरे भारत में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है,गणेश चतुर्थी किस लिए मनाई जाती है? खासकर महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और उत्तर भारत के कई हिस्सों में। लेकिन सवाल यह है कि आखिर गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है? इसका महत्व क्या है? और लोग इसे इतनी श्रद्धा और उत्साह से क्यों मनाते हैं?
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गणेश चतुर्थी का महत्व?
गणेश चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश को समर्पित है। हिंदू धर्म में गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता यानी सभी बाधाओं को दूर करने वाला और शुभारंभ का देवता माना जाता है। किसी भी पूजा या काम की शुरुआत में सबसे पहले गणेश जी का नाम लिया जाता है।
कहा जाता है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी का जन्म हुआ था। इसी दिन को लोग उनके जन्मदिन के रूप में बड़े उत्साह से मनाते हैं। महाराष्ट्र में इसे गणेश उत्सव के रूप में 10 दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान घरों और पंडालों में गणपति की स्थापना की जाती है, पूजा होती है, भजन-कीर्तन होते हैं और अंत में विसर्जन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी किसलिए मनाई जाती है?
अब सवाल ये आता है कि आखिर यह त्योहार किसलिए मनाया जाता है।
- गणेश जी की कृपा प्राप्त करने के लिए : मान्यता है कि इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। लोग नया काम शुरू करने से पहले गणपति की आराधना करते हैं ताकि काम में सफलता मिले।
- धर्म और भक्ति का प्रतीक : यह त्योहार हमें भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति की भावना से जोड़ता है। लोग मिलजुलकर पूजा करते हैं, भक्ति गीत गाते हैं और गणपति को खुश करने की कोशिश करते हैं।
- सामाजिक एकता के लिए : इस पर्व का एक और बड़ा कारण है लोगों को आपस में जोड़ना। जब पंडालों में मूर्ति स्थापना होती है तो पूरा मोहल्ला एक साथ आकर पूजा करता है। यह सामाजिक एकता और भाईचारे की मिसाल पेश करता है।
- संकल्प और नई शुरुआत के लिए : गणेश जी को नई शुरुआत का देवता माना जाता है। इसलिए इस दिन लोग अच्छे संकल्प लेते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करते हैं।
गणेश चतुर्थी का इतिहास और परंपरा?
गणेश चतुर्थी का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन इसे समाज में बड़े स्तर पर मनाने की शुरुआत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की थी। 1893 में उन्होंने इस त्योहार को सार्वजनिक रूप से मनाने की पहल की। उनका मकसद था कि लोग एक जगह इकट्ठा हों, एक-दूसरे से जुड़ें और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ समाज में जागरूकता फैले।
उसके बाद से यह पर्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण बन गया। आज के समय में बड़े-बड़े पंडाल सजाए जाते हैं, मूर्तियों को सजाया जाता है और लोग बप्पा के दरबार में दर्शन करने हजारों-लाखों की संख्या में पहुंचते हैं।
गणेश चतुर्थी मनाने का तरीका?
गणेश चतुर्थी की शुरुआत घर में या पंडाल में गणपति की मूर्ति लाने से होती है। लोग बहुत श्रद्धा से गणेश जी को अपने घर बुलाते हैं और उनके आगमन का स्वागत करते हैं।
- पहले दिन मूर्ति की स्थापना होती है।
- पूजा में मंत्रोच्चार, आरती और प्रसाद का वितरण होता है।
- 10 दिनों तक लोग सुबह-शाम आरती करते हैं।
- विशेष रूप से गणेश जी का प्रिय मोदक प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।
- आखिरी दिन गणपति का विसर्जन किया जाता है, जिसे ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ’ जैसे नारों के साथ पूरा किया जाता है।
गणेश चतुर्थी से जुड़ी मान्यताएँ?
गणेश चतुर्थी के पीछे कई धार्मिक मान्यताएँ भी हैं। माना जाता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कुछ लोग इसे अपने परिवार और व्यापार में सुख-समृद्धि लाने का दिन मानते हैं। इसके अलावा, एक मान्यता यह भी है कि अगर कोई इस दिन व्रत करता है और गणपति की पूजा करता है तो उसे अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
समाज पर इसका प्रभाव?
गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक रूप से भी बहुत मायने रखती है। इस दिन हर वर्ग, हर जाति और हर समुदाय के लोग मिलकर एक साथ जश्न मनाते हैं। यह पर्व लोगों में भाईचारे और एकता की भावना पैदा करता है। साथ ही यह त्योहार पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है क्योंकि अब लोग इको-फ्रेंडली मूर्तियों का इस्तेमाल करने लगे हैं।
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गणेश चतुर्थी से जुड़े 5 रोचक तथ्य?
- गणेश जी को 108 अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे विघ्नहर्ता, गजानन, गणपति, एकदंत आदि।
- माना जाता है कि गणेश जी को मोदक सबसे प्रिय है, इसलिए इस पर्व पर मोदक का विशेष प्रसाद चढ़ाया जाता है।
- महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिन तक बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन कुछ जगहों पर यह पर्व 1, 3, 5 या 7 दिनों तक भी चलता है।
- लोकमान्य तिलक ने 1893 में इस त्योहार को सार्वजनिक आयोजन के रूप में शुरू किया था, ताकि लोग ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एकजुट हो सकें।
- विदेशों में भी गणेश चतुर्थी बहुत लोकप्रिय है। खासकर अमेरिका, मॉरीशस, थाईलैंड और नेपाल में इसे बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

निष्कर्ष: गणेश चतुर्थी किस लिए मनाई जाती है?
अगर आपसे कोई पूछे कि गणेश चतुर्थी किसलिए मनाई जाती है, तो अब आप आसानी से बता सकते हैं कि यह सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि भक्ति, सामाजिक एकता और नई शुरुआत का प्रतीक है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि हर काम की शुरुआत अच्छे विचार और भगवान के आशीर्वाद से करनी चाहिए।
गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता कहा जाता है, और जब हम पूरे मन से उनकी पूजा करते हैं तो जीवन की मुश्किलें हल्की हो जाती हैं। यही वजह है कि हर साल लोग बप्पा का स्वागत बड़ी धूमधाम से करते हैं और उनसे जुड़ने का यह अवसर किसी भी इंसान के लिए बेहद खास बन जाता है।