दीवाली पर दीपक क्यों जलाते हैं?

जब भी दीवाली आती है तो पूरा माहौल रोशनी, रंगोली और मिठाइयों से भर जाता है। हर घर के दरवाजे पर दीपक जलते हैं, छत पर कतार में दिए सजते हैं और मोहल्ला मानो चांदनी रात की तरह जगमगाने लगता है। लेकिन कभी आपने सोचा है कि हम दीवाली पर दीपक क्यों जलाते हैं?दीवाली पर दीपक क्यों जलाते हैं? सिर्फ सजावट या खूबसूरती के लिए, या इसके पीछे कोई गहरी मान्यता भी है?

दरअसल, दीवाली का त्योहार सिर्फ रोशनी और खुशियों का नहीं बल्कि आध्यात्मिक, धार्मिक और वैज्ञानिक कारणों से भी जुड़ा है। दीपक का जलाना एक परंपरा है, जिसके पीछे कई मान्यताएँ और तथ्य हैं। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

दीवाली पर दीपक क्यों जलाते हैं
दीवाली पर दीपक क्यों जलाते हैं

अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक?

दीवाली को “प्रकाश पर्व” भी कहा जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि यह अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। जब भगवान श्रीराम चौदह साल का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे, तब पूरे नगरवासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। उस दिन अयोध्या नगरी दीपमालाओं से जगमगा उठी थी। तभी से यह परंपरा शुरू हुई कि दीवाली पर दीप जलाकर अंधकार को दूर किया जाए।

यह परंपरा हमें याद दिलाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों, अंत में सत्य और प्रकाश ही जीतते हैं। दीया जलाना सिर्फ घर को रोशन करना नहीं बल्कि मन को भी सकारात्मक ऊर्जा से भर देना है।

लक्ष्मी जी का स्वागत?

दीवाली की रात को माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और जिन घरों में साफ-सफाई होती है और जहां दीपक जलते हैं, वहां वे स्थायी रूप से निवास करती हैं। यही कारण है कि दीवाली पर घर-घर में दीये जलाए जाते हैं।

कहा जाता है कि दीपक की रोशनी से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और उस घर में धन, सुख-समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देती हैं। इसलिए दीवाली पर दीप जलाना सिर्फ सजावट नहीं बल्कि लक्ष्मी जी का स्वागत करने का तरीका भी है।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व?

दीपक जलाने का संबंध धर्म और अध्यात्म दोनों से है। हिंदू धर्म में अग्नि और प्रकाश को पवित्र माना गया है। दीपक जलाना मतलब ईश्वर को समर्पण करना और यह संकेत देना कि हम अपने जीवन से अज्ञान का अंधेरा मिटाकर ज्ञान की रोशनी लाना चाहते हैं।

आध्यात्मिक दृष्टि से दीपक की लौ इंसान की आत्मा का प्रतीक मानी जाती है। जैसे दीपक अपने आसपास का अंधेरा मिटा देता है, वैसे ही अगर इंसान सही मार्ग पर चलता है तो समाज से बुराइयाँ मिट जाती हैं।

वैज्ञानिक कारण भी हैं?

अगर आप सोचते हैं कि दीप जलाना सिर्फ धार्मिक मान्यता है तो ऐसा नहीं है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। पुराने समय में जब बिजली नहीं थी, तो दीवाली पर घर-आंगन में दीप जलाने से वातावरण में रोशनी फैल जाती थी और अंधकार में छिपे कीट-पतंगे, जीव-जंतु दूर रहते थे।

साथ ही सरसों के तेल या घी के दीपक से निकलने वाला धुआं वातावरण को शुद्ध करता है। यह घर के नकारात्मक तत्वों और कीड़ों को दूर करने में मदद करता है। यानी यह परंपरा हमारे स्वास्थ्य और स्वच्छता से भी जुड़ी है।

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घर और रिश्तों में सकारात्मकता?

आपने देखा होगा कि जब भी हम दीप जलाते हैं, तो माहौल अचानक से बदल जाता है। दीए की हल्की-सी लौ दिल को सुकून देती है और वातावरण में शांति का अहसास कराती है। यही वजह है कि दीवाली पर दीपक जलाना घर-परिवार में सकारात्मकता और खुशहाली लाने का प्रतीक माना जाता है।

दीवाली की रात जब पूरा घर रोशनी से भर जाता है, तो मन से तनाव और नकारात्मकता दूर हो जाती है। यही वजह है कि दीपक जलाना रिश्तों में भी मिठास घोलने का काम करता है।

आधुनिक समय में दीये का महत्व?

आजकल भले ही बिजली की लाइटें, LED और सजावट के नए-नए तरीके आ गए हों, लेकिन दीये का महत्व अब भी वही है। असली आनंद तो मिट्टी के दीपक जलाने में ही है। क्योंकि यह हमारी परंपरा को जीवित रखते हैं और हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखते हैं।

दीवाली पर लाखों LED लाइटें जल जाएं, परंतु एक मिट्टी का दिया उस अपनत्व और परंपरा की याद दिलाता है, जो हमें पीढ़ियों से मिली है। यही कारण है कि हर कोई चाहे आधुनिक सजावट कर ले, लेकिन दीपक जलाना नहीं भूलता।

5 रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  1. पहला दीपोत्सव : माना जाता है कि भगवान राम के अयोध्या लौटने पर पहली बार दीप जलाए गए और वही “पहला दीपोत्सव” था।
  2. दीपक का तेल और बाती : सरसों का तेल और रुई की बाती से जलाए गए दीपक को सबसे शुभ माना जाता है।
  3. दक्षिण भारत की परंपरा : कुछ जगहों पर दीवाली की सुबह तेल का दीपक जलाना जरूरी माना जाता है, ताकि दिनभर घर में सकारात्मकता बनी रहे।
  4. दीपक और पंचतत्व : दीपक का आधार (मिट्टी) पृथ्वी तत्व को, तेल जल तत्व को, बाती वायु तत्व को, आग अग्नि तत्व को और रोशनी आकाश तत्व को दर्शाती है।
  5. दीये की लौ की दिशा : मान्यता है कि दीये की लौ अगर पूर्व दिशा में जलाई जाए तो यह ज्ञान का प्रतीक है और उत्तर दिशा में जलाई जाए तो धन-समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।

निष्कर्ष:दीवाली पर दीपक क्यों जलाते हैं?

तो अब आपको साफ समझ आ गया होगा कि दीवाली पर दीपक जलाने की परंपरा सिर्फ दिखावे के लिए नहीं है, बल्कि इसके पीछे धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हैं। दीपक जलाना अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का संदेश है, लक्ष्मी जी का स्वागत है और वातावरण को शुद्ध करने का भी तरीका है।

इसलिए जब अगली बार आप दीवाली पर दीया जलाएं तो सिर्फ इसे एक रस्म न मानें, बल्कि उसके पीछे छिपे अर्थ को समझें। यह छोटा-सा दीपक आपको याद दिलाता है कि जीवन में हर अंधेरा खत्म होकर रोशनी जरूर फैलती है।

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