हैलो दोस्तों आप सभी जानते है भारत एक ऐसा देश है जिसकी पहचान उसकी विविधता, संस्कृति और परंपराओं से होती है। यहाँ हर त्यौहार अपने साथ सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व लेकर आता है। इन्हीं में सबसे प्रमुख त्योहार है दिवाली (दीपावली)। इसे “रोशनी का पर्व” भी कहा जाता है। दिवाली मनाने के मुख्य रीति-रिवाज || पूरी जानकारी आसान भाषा मैं दिवाली का सबसे बड़ा आकर्षण न केवल घर-घर में जगमगाते दीपक हैं, बल्कि इससे जुड़े मुख्य रीति-रिवाज भी हैं, जो हर घर को पवित्रता, आनंद और सकारात्मकता से भर देते हैं।

आइए विस्तार से जानते हैं कि दिवाली किन-किन प्रमुख रीति-रिवाजों और परंपराओं से मिलकर बनती है।
दिवाली का आरंभिक महत्व को समझे टॉपिक के जरिए
दिवाली सिर्फ पटाखे और रोशनी का नाम नहीं है। इसके पीछे धार्मिक कथाएँ और आस्थाएँ जुड़ी हैं।
- रामायण प्रसंग: भगवान श्रीराम का अयोध्या लौटना और नगरवासियों का दीप जलाकर स्वागत करना।
- लक्ष्मी पूजन: धन और समृद्धि की देवी माँ लक्ष्मी का स्वागत।
- जैन धर्म: भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में।
- सिख धर्म: बंधी छोड़ दिवस के रूप में।
इन मान्यताओं ने दिवाली को “अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने” का प्रतीक बना दिया।
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दिवाली के पाँच मुख्य दिन और उनकी परंपराएँ सहित जानकारी
दिवाली एक दिन का त्योहार नहीं बल्कि पाँच दिनों तक चलने वाला पर्व है। हर दिन का अपना महत्व और रिवाज है।
1. धनतेरस
- धनतेरस के दिन लोग सोना-चाँदी, बर्तन और कीमती सामान खरीदते हैं।
- मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएँ जीवन में स्थायी समृद्धि लाती हैं।
- घर की सफाई और मुख्य द्वार पर रंगोली बनाने की परंपरा भी इसी दिन से शुरू होती है।
2. नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली)
- इसे “रूप चौदस” भी कहते हैं।
- इस दिन प्रातःकाल स्नान करके तेल का लेप लगाने और दीप जलाने की परंपरा है।
- मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर संसार को भयमुक्त किया था।
3. मुख्य दिवाली (लक्ष्मी पूजा)
- दिवाली की रात सबसे महत्वपूर्ण होती है।
- लोग घरों को साफ-सुथरा रखकर, दीयों और लाइटों से सजाते हैं।
- रात को माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर जी की पूजा की जाती है।
- हर घर, दुकान और प्रतिष्ठान में लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियाँ स्थापित कर विधि-विधान से पूजा की जाती है।
4. गोवर्धन पूजा / अन्नकूट
- अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है।
- इस दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए अन्नकूट (विभिन्न प्रकार के व्यंजन) बनाकर चढ़ाते हैं।
- इसे प्रकृति और अन्न के प्रति आभार प्रकट करने का दिन भी माना जाता है।
5. भाई दूज
- यह दिन भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने के लिए समर्पित है।
- बहन अपने भाई को तिलक लगाकर दीर्घायु की कामना करती है और भाई उपहार देता है।
दिवाली के प्रमुख रीति-रिवाज कोन कोन है
1. घर की सफाई और सजावट
- लक्ष्मी माता के स्वागत के लिए घरों की पूरी तरह सफाई की जाती है।
- दीवारों को रंगा जाता है, दरवाजों पर बंदनवार और तोरण सजाए जाते हैं।
- रंगोली बनाना दिवाली का खास आकर्षण है, जो सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का प्रतीक है।
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2. दीपक और रोशनी
- मिट्टी के दीये जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
- आजकल LED लाइट्स और इलेक्ट्रिक झालर का प्रयोग भी होता है, लेकिन मिट्टी के दीपक का महत्व आज भी सबसे बड़ा है।
- दीपक जलाना अंधकार, अज्ञान और नकारात्मकता को दूर करने का प्रतीक है।
3. लक्ष्मी-गणेश पूजा
- यह पूजा हर घर, दुकान और कार्यालय में की जाती है।
- पूजन सामग्री में चावल, हल्दी, रोली, मिठाई, नारियल और धूप-दीप का विशेष महत्व होता है।
- इस दिन नए खाते खोलने और “मुहूर्त ट्रेडिंग” करने की परंपरा भी है।
4. पटाखे और उत्सव
- पटाखे दिवाली की पहचान रहे हैं।
- बच्चों से लेकर बड़े तक आतिशबाज़ी का आनंद लेते हैं।
- हालांकि अब लोग पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए ग्रीन पटाखों का प्रयोग करने लगे हैं।
5. मिठाइयाँ और पकवान
- दिवाली बिना मिठाइयों के अधूरी मानी जाती है।
- गुझिया, लड्डू, काजू कतली, बर्फी और नमकीन व्यंजन बनाना एक परंपरा है।
- पड़ोसियों और रिश्तेदारों को मिठाइयाँ बाँटने का चलन भी सामाजिक मेल-जोल बढ़ाता है।
6. उपहार और रिश्तों में मिठास
- परिवार और दोस्तों को उपहार देना दिवाली का अहम हिस्सा है।
- कपड़े, मिठाइयाँ, सजावटी वस्तुएँ और इलेक्ट्रॉनिक्स उपहार में दिए जाते हैं।
- यह परंपरा रिश्तों को गहरा और मजबूत बनाती है।
7. मुहूर्त ट्रेडिंग और नए आरंभ
- दिवाली की शाम को शेयर बाजार में एक विशेष परंपरा होती है जिसे मुहूर्त ट्रेडिंग कहा जाता है।
- व्यापारी वर्ग के लिए दिवाली नए साल की शुरुआत मानी जाती है।
बदलते समय में दिवाली के रीति-रिवाज पर क्या क्या प्रभाव
समय के साथ दिवाली मनाने के तरीकों में बदलाव आया है।
- ईको-फ्रेंडली दिवाली – लोग अब मिट्टी के दीयों, कागज के लालटेन और प्राकृतिक सजावट पर जोर दे रहे हैं।
- डिजिटल शुभकामनाएँ – सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स के जरिए बधाइयाँ भेजना आम हो गया है।
- ऑनलाइन शॉपिंग और गिफ्ट कार्ड – उपहार देने के लिए लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करने लगे हैं।
- विदेशों में दिवाली – भारतीय समुदाय दुनिया भर में बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित करता है।
दिवाली के सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव क्या होते है
- यह त्योहार परिवार और समाज को जोड़ता है।
- लोगों में आपसी भाईचारा और प्रेम बढ़ता है।
- आर्थिक दृष्टि से दिवाली कारोबारियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण अवसर है।
- यह त्योहार भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान भी है।

10 रोचक तथ्य – दिवाली के रीति-रिवाजों से जुड़े और आगे बड़े
- अयोध्या में हर साल लाखों दीये जलाकर विश्व रिकॉर्ड बनाए जाते हैं।
- नेपाल में दिवाली को “तिहार” कहा जाता है।
- इंडोनेशिया और मलेशिया में भी दिवाली मनाई जाती है।
- इस दिन जुआ खेलना शुभ माना जाता है।
- सोना-चाँदी खरीदना परंपरा है।
- कई जगह दिवाली को नए साल की शुरुआत माना जाता है।
- शेयर बाजार में मुहूर्त ट्रेडिंग केवल दिवाली के दिन होती है।
- मिठाइयों की बिक्री दिवाली पर सबसे ज्यादा होती है।
- पटाखों का प्रयोग अब ग्रीन क्रैकर्स से हो रहा है।
- दिवाली पाँच दिनों तक चलने वाला सबसे बड़ा भारतीय पर्व है।
Also read – करवा चौथ पर मेहंदी क्यों लगाते हैं?
निष्कर्ष दिवाली मनाने के मुख्य रीति-रिवाज
तो दोस्तों आप सभी जानते है दिवाली के रीति-रिवाज सिर्फ धार्मिक या परंपरागत महत्व तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये हमें सामाजिक जुड़ाव, भाईचारे, सकारात्मकता और सांस्कृतिक गर्व का संदेश देते हैं। दिवाली मनाने का असली अर्थ यह है कि हम अपने जीवन से अंधकार, आलस्य और नकारात्मकता को हटाकर रोशनी, ऊर्जा और उत्साह को अपनाएँ।
दिवाली मनाने के मुख्य रीति-रिवाज || पूरी जानकारी आसान भाषा मैं
धन्यवाद दोस्तों


