धनतेरस पूजा का समय – सही समय और विधि : प्रणाम दोस्तों आप मे आप सभी को बताएगे की धनतेरस, दिवाली महोत्सव का पहला और सबसे शुभ दिन माना जाता है। इसे धन की देवी – धनलक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा के लिए समर्पित किया जाता है। इस दिन का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टि से है, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी इसे विशेष माना जाता है। पुराने समय से यह परंपरा रही है कि इस दिन सोना, चाँदी या अन्य मूल्यवान वस्तुएँ खरीदना शुभ होता है।
धनतेरस पर पूजा करने का समय, जिसे मuhurta कहा जाता है, बेहद महत्वपूर्ण है। सही समय पर पूजा करने से घर में धन, सुख और समृद्धि बढ़ती है।

1. धनतेरस पूजा का शुभ समय
धनतेरस की पूजा अमावस्या के दिन की जाती है, जो अक्तूबर या नवंबर माह में आती है। इस दिन का समय मुख्य रूप से संध्या और रात के बीच माना जाता है।
2025 में धनतेरस की तारीख और शुभ समय निम्नानुसार हो सकते हैं:
- धनतेरस तिथि: अमावस्या की पूर्व संध्या
- पूजा प्रारंभ: प्रातःकाल से संध्या तक
- शुभ मुहूर्त: सामान्यतः संध्या 4:30 बजे से लेकर रात्रि 8:00 बजे तक
ध्यान रखें कि यह समय स्थानीय सूर्य उदय और सूर्यास्त के अनुसार बदल सकता है। इसलिए अपने क्षेत्र का पंचांग देखना आवश्यक है।
यह भी जानें – श्री कृष्ण की भक्ति कैसे करें?
2. धनतेरस पूजा की तैयारी
धनतेरस पूजा से पहले कुछ तैयारियाँ करनी जरूरी हैं:
- घर की सफाई: पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें। यह शुभता और सकारात्मक ऊर्जा के लिए आवश्यक है।
- पूजा की सामग्री:
- सोने या चाँदी के सिक्के/गहने
- दीपक, अगरबत्ती और धूप
- फल, मिठाई और जल
- लाल या पीले रंग का वस्त्र
- भगवान धनलक्ष्मी और कुबेर की प्रतिमा या चित्र
- ध्यान और मनोयोग: पूजा करते समय मन को एकाग्र करना बेहद जरूरी है।
3. धनतेरस पूजा का महत्व
धनतेरस केवल धन की प्राप्ति का दिन नहीं है। इसके कई आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहलू हैं:
- धनलक्ष्मी की आराधना: धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करना घर में समृद्धि और खुशहाली लाता है।
- कुबेर पूजन: कुबेर जी को धन का संरक्षक माना जाता है। उनकी पूजा से वित्तीय स्थिरता बढ़ती है।
- सोना-चाँदी खरीदना: परंपरा के अनुसार इस दिन सोना या चाँदी खरीदना शुभ माना जाता है। यह न केवल निवेश होता है, बल्कि घर में धन की वृद्धि का प्रतीक भी है।
4. धनतेरस पूजा का समय क्यों महत्वपूर्ण है?
शास्त्रों के अनुसार, पूजा का समय सही मुहूर्त होना चाहिए ताकि देवी-देवताओं की कृपा अधिक से अधिक प्राप्त हो। गलत समय पर पूजा करने से उसका लाभ सीमित हो सकता है।
- सुबह का समय: दिन के आरंभ में पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
- संध्या का समय: सूर्यास्त के बाद की पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है।
- रात्रि का समय: रात्रि के पहले भाग में पूजा करना भी शुभ माना जाता है।
धनतेरस का शुभ समय पंचांग अनुसार हर वर्ष बदलता रहता है, इसलिए वर्ष विशेष का समय देखना आवश्यक है।
5. धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस पूजा करने की सरल विधि इस प्रकार है:
- स्नान और वस्त्र: पूजा से पहले स्वच्छ स्नान करें और लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल की तैयारी: घर के पूर्व दिशा में पूजा स्थल तैयार करें। वहाँ देवी लक्ष्मी और कुबेर की प्रतिमा रखें।
- दीप और धूप: दीपक जलाएं और अगरबत्ती से वातावरण को पवित्र करें।
- धन और सिक्के: सोना, चाँदी या अन्य धन-related वस्तुएँ पूजा स्थल पर रखें।
- फूल और मिठाई: देवी को पुष्प और मिठाई अर्पित करें।
- आरती: पूजा के अंत में लक्ष्मी और कुबेर की आरती करें।
6. धनतेरस पर कुछ विशेष उपाय
- नए बर्तन या सामान की खरीदारी: इस दिन नए बर्तन, गहने या निवेश के साधन खरीदना शुभ माना जाता है।
- वित्तीय योजना बनाना: धनतेरस के दिन अपने वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखकर योजना बनाना लाभकारी होता है।
- दान और परोपकार: इस दिन गरीबों को दान देने से सुख और समृद्धि बढ़ती है।

यह भी जानें – श्री कृष्ण की भक्ति कैसे करें?
7. समापन
धनतेरस पूजा का सही समय और विधि जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आर्थिक और मानसिक दृष्टि से भी लाभकारी है।
सही समय पर पूजा और मनोयोग से धनलक्ष्मी और कुबेर की कृपा प्राप्त होती है, घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
धनतेरस केवल धन की वृद्धि का पर्व नहीं है, बल्कि यह सकारात्मक ऊर्जा, सच्चाई और आध्यात्मिक समृद्धि का प्रतीक भी है।


