भारत त्योहारों की धरती है और यहां हर पर्व के पीछे कोई न कोई रोचक कहानी छिपी होती है। दीपावली से पहले आने वाला धनतेरस भी ऐसा ही खास त्योहार है। बहुत लोग इसे सिर्फ खरीदारी का दिन मानते हैं, लेकिन असल में इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं।धनतेरस की असली कहानी क्या है? इस दिन लोग सोना-चांदी, बर्तन और घर की जरूरी चीजें खरीदते हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर धनतेरस मनाने की असली कहानी क्या है? अगर आप भी ये जानना चाहते हैं कि धनतेरस क्यों मनाई जाती है, इसके पीछे क्या मान्यताएं हैं और इसे खास क्यों माना जाता है,

1. धनतेरस और भगवान धन्वंतरि की कथा
धनतेरस का सबसे पहला संबंध भगवान धन्वंतरि से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि जब समुद्र मंथन हुआ था, तब उस दौरान कई दिव्य वस्तुएं निकलीं। इन्हीं में से एक थे भगवान धन्वंतरि, जो अपने हाथों में अमृत कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद और चिकित्सा का देवता माना जाता है। कहते हैं कि उनके आने का दिन ही धनतेरस था, इसीलिए इस दिन को “धन्वंतरि त्रयोदशी” भी कहा जाता है।
आपने गौर किया होगा कि आज भी डॉक्टर और वैद्य भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं, और धनतेरस के दिन उनकी विशेष आराधना का महत्व होता है। इसलिए इस दिन से जुड़ा संदेश सिर्फ सोना-चांदी खरीदने का नहीं है, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य की भी कामना की जाती है।
2. राजा हिमा के बेटे की कहानी
धनतेरस की दूसरी लोकप्रिय कथा राजा हिमा के बेटे से जुड़ी हुई है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राजा हिमा के बेटे की शादी के चौथे दिन उसकी मृत्यु सांप के काटने से होने वाली थी। लेकिन उसकी पत्नी ने एक चाल चली। उसने घर के बाहर ढेर सारे सोने-चांदी के गहने और दीपक जलाकर रख दिए। फिर उसने अपने पति को जागृत रखा और पूरी रात गीत-संगीत सुनाती रही।
जब यमराज उस युवक की जान लेने के लिए नाग के रूप में पहुंचे, तो उनकी आंखें सोने-चांदी की चमक और दीपकों की रोशनी से चकाचौंध हो गईं। वे अंदर प्रवेश नहीं कर पाए और सुबह होते ही वापस लौट गए। इस तरह राजा हिमा के बेटे की जान बच गई। इसी वजह से धनतेरस पर दीपक जलाने और धन खरीदने की परंपरा शुरू हुई।
3. क्यों खरीदते हैं लोग सोना-चांदी और बर्तन?
अब आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिर क्यों इस दिन हर कोई सोना-चांदी, बर्तन या घर की चीजें खरीदने पर जोर देता है। दरअसल, यह परंपरा राजा हिमा की कथा और भगवान धन्वंतरि की कथा से ही निकली है। मान्यता है कि इस दिन की गई कोई भी खरीदारी शुभ फल देती है और घर में सुख-समृद्धि बढ़ाती है।
सोना-चांदी तो हमेशा से लक्ष्मी का प्रतीक माने जाते हैं, इसलिए लोग इसे विशेष रूप से खरीदते हैं। वहीं, बर्तन खरीदने की परंपरा इसलिए है क्योंकि भगवान धन्वंतरि अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसी कलश की स्मृति में आज भी लोग इस दिन नए बर्तन खरीदते हैं।
4. धनतेरस का आध्यात्मिक महत्व
अगर आप सिर्फ खरीदारी की सोच तक सीमित रहते हैं तो शायद असली महत्व आपसे छूट जाता है। धनतेरस का असली संदेश है – स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करना। इस दिन लोग भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, ताकि घर में सेहत और सुख-समृद्धि दोनों का वास बना रहे।
यह भी जानें – धनतेरस मनाने का क्या कारण है?
एक और बात जो लोग अक्सर भूल जाते हैं, वो यह कि धनतेरस पर सिर्फ भौतिक धन ही नहीं, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य और मानसिक शांति को भी महत्व दिया जाता है। क्योंकि अगर आपके पास ढेर सारा पैसा है लेकिन स्वास्थ्य अच्छा नहीं है, तो उसका कोई खास फायदा नहीं होता।
5. आधुनिक दौर में धनतेरस
आजकल धनतेरस एक बड़ा शॉपिंग फेस्टिवल बन चुका है। बाजारों में जबरदस्त भीड़ होती है, ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर भारी डिस्काउंट मिलते हैं और हर कोई अपने बजट के हिसाब से खरीदारी करता है। लेकिन अगर आप गहराई से देखें तो यह दिन सिर्फ खरीदारी का नहीं है, बल्कि परिवार को जोड़ने, घर में सकारात्मकता लाने और अपनी आस्थाओं को जीवित रखने का भी अवसर है।
5 रोचक फैक्ट्स धनतेरस से जुड़े
- धनतेरस को “धन्वंतरि त्रयोदशी” भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे।
- यमराज के नाम से दीप जलाने की परंपरा भी इसी दिन से जुड़ी है। लोग घर के बाहर दक्षिण दिशा में दीपक रखते हैं ताकि अकाल मृत्यु का भय दूर हो।
- धनतेरस पर सोना खरीदना सबसे शुभ माना जाता है, लेकिन अगर कोई इसे खरीद न सके तो स्टील, तांबे या पीतल के बर्तन भी खरीदना उतना ही फलदायी होता है।
- भारत में ज्वेलरी शॉप्स की सबसे ज्यादा बिक्री इसी दिन होती है। ऐसा माना जाता है कि पूरे साल की कमाई का बड़ा हिस्सा ज्वैलर्स को धनतेरस से ही मिलता है।
- धनतेरस से दीपावली की शुरुआत होती है, और इसे पूरे पांच दिवसीय पर्व का पहला दिन माना जाता है।

निष्कर्ष:धनतेरस की असली कहानी क्या है?
तो अब आपको साफ हो गया होगा कि धनतेरस की असली कहानी सिर्फ खरीदारी तक सीमित नहीं है। इसके पीछे भगवान धन्वंतरि की कथा, राजा हिमा के बेटे की कहानी और यमराज से जुड़ी परंपराएं हैं। यह दिन हमें ये संदेश देता है कि असली धन सिर्फ सोना-चांदी नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, खुशियां और परिवार का साथ है।
जब आप अगली बार धनतेरस मनाएं, तो सिर्फ खरीदारी तक न रुकें। घर में दीप जलाएं, भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की पूजा करें और अपने परिवार के साथ समय बिताएं। यही इस त्योहार का असली सुख है।



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