भारत में जब भी परंपराओं और त्योहारों की बात होती है तो दीपावली का नाम सबसे ऊपर आता है। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि खुशियों, रोशनी और नई उम्मीदों का प्रतीक है। दीपावली के पाँच दिनों के उत्सव में हर दिन का अपना अलग महत्व है। इन्हीं दिनों में से एक दिन गोधन का भी होता है, जिसे कई जगहों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है। लेकिन सवाल यह है कि दीपावली पर गोधन कब और कैसे मनाया जाता है? तो आइए दोस्त की तरह आपको पूरा विस्तार से बताते हैं ताकि पढ़ने के बाद आपको कहीं और जाने की ज़रूरत ही न पड़े।

गोधन क्या है और क्यों मनाया जाता है?
गोधन का सीधा मतलब है – गायों का दान या उनकी पूजा करना। हमारे यहाँ गाय को माता का दर्जा दिया गया है। कहा जाता है कि गाय में सभी देवी-देवताओं का वास होता है, इसी वजह से गो-पूजा का महत्व बहुत ज़्यादा है। दीपावली पर गोधन पूजा करने का सबसे बड़ा कारण है।समृद्धि, शांति और घर में सुख-शांति का आशीर्वाद पाना।
कई जगहों पर इस दिन लोग गायों को सजाते हैं, उनके सींगों पर रंग लगाया जाता है, फूलों की माला पहनाई जाती है और स्वादिष्ट भोजन खिलाया जाता है। ग्रामीण इलाकों में तो इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि जिस घर में गोधन पूजा सही तरीके से की जाती है, वहाँ कभी भी अन्न-धन की कमी नहीं होती।
दीपावली पर गोधन कब मनाया जाता है?
दीपावली का त्योहार पाँच दिनों तक चलता है। धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजा (दीपावली), गोवर्धन पूजा और भाई दूज। गोधन का संबंध सीधे तौर पर गोवर्धन पूजा से है। यानी दीपावली के अगले दिन गोधन किया जाता है। यह दिन कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा तिथि को आता है।
इस दिन गोधन पूजा करने के साथ-साथ गोवर्धन पर्वत की पूजा भी होती है। कई जगहों पर इसे “अन्नकूट” भी कहते हैं, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण को तरह-तरह के पकवान चढ़ाए जाते हैं। यही कारण है कि इस दिन को गोधन पूजा का सबसे शुभ दिन माना जाता है।
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गोधन कैसे मनाया जाता है?
अब बात आती है कि गोधन पूजा आखिर कैसे की जाती है। दरअसल यह परंपरा गाँवों और कस्बों में ज़्यादा जीवंत रूप में दिखाई देती है।
- सबसे पहले सुबह घर की महिलाएँ आँगन को साफ करके गोबर से लीपाई करती हैं।
- फिर गोबर से गोधन (गाय-बैल की प्रतिमा या छोटा सा आकर) बनाया जाता है।
- उसके बाद फूल, रोली, हल्दी, चावल और मिठाई से पूजा की जाती है।
- कई जगहों पर असली गायों की पूजा की जाती है। उन्हें स्नान कराकर सजाया जाता है और फिर भोजन कराया जाता है।
- पूजा के बाद बच्चे और परिवार के लोग गोधन के चारों तरफ घूमते हैं, गीत गाते हैं और मंगलकामना करते हैं।
शहरों में भले ही यह परंपरा थोड़ी कम दिखाई देती हो, लेकिन गाँवों में गोधन पूजा का उत्साह देखने लायक होता है।
गोधन से जुड़ी मान्यताएँ?
गोधन पूजा को लेकर कई धार्मिक मान्यताएँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा भगवान श्रीकृष्ण ने खुद शुरू की थी। इंद्रदेव के अभिमान को तोड़ने और लोगों को बचाने के लिए कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था। तभी से यह परंपरा शुरू हुई।
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि गोधन करने से इंसान के जीवन में पापों का नाश होता है और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। गाँवों में लोग मानते हैं कि इस दिन गायों की पूजा करने से खेतों में पैदावार अच्छी होती है और परिवार पर किसी भी तरह का संकट नहीं आता।
गोधन पूजा का महत्व?
अगर आप सोच रहे हैं कि दीपावली पर गोधन पूजा क्यों इतनी ज़रूरी मानी जाती है, तो इसका जवाब है –
- गोधन पूजा से घर में धन, धान्य और सुख-समृद्धि आती है।
- यह खेती-किसानी और पशुपालन करने वालों के लिए बहुत बड़ा त्योहार है।
- गोधन पूजा से पशुओं के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त किया जाता है।
- धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह पूजा करने से लक्ष्मी माता और गोवर्धन भगवान दोनों का आशीर्वाद मिलता है।
गोधन से जुड़े 5 रोचक तथ्य?
- गोधन पूजा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल में भी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
- कई जगहों पर इस दिन गायों को रंग-बिरंगे कपड़े पहनाए जाते हैं और उनकी झाँकी भी निकाली जाती है।
- गाँवों में बच्चे “गोधन-गोधन” गाते हुए घर-घर जाते हैं और मिठाइयाँ या उपहार इकट्ठा करते हैं।
- गोधन पूजा को कई राज्यों में “गोवर्धन पूजा” और “अन्नकूट” के नाम से भी जाना जाता है।
- धार्मिक मान्यता है कि गोधन पूजा करने वाले परिवार में कभी अन्न की कमी नहीं होती।

निष्कर्ष:दीपावली पर गोधन कब और कैसे मनाया जाता है?
दोस्त, अब आप समझ गए होंगे कि दीपावली पर गोधन कब और कैसे मनाया जाता है। यह सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं बल्कि प्रकृति और पशुधन के प्रति आभार व्यक्त करने का तरीका है। खासतौर पर गाँवों में इसका महत्व बहुत गहरा है क्योंकि वहाँ गायों को परिवार का सदस्य माना जाता है।
गोधन पूजा हमें यह सिखाती है कि हमारी संस्कृति सिर्फ रोशनी और सजावट तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पशु-पक्षियों, खेतों और प्रकृति के प्रति सम्मान भी शामिल है। अगर आप अगली बार दीपावली मनाएँ, तो गोधन पूजा को ज़रूर याद रखें क्योंकि यही वह दिन है जब आप अपने जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आशीर्वाद पा सकते हैं।



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