दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है?: प्रणाम दोस्तों , जैसा कि आप जानते है कि दीपावली हमारे देश का सबसे बड़ा और खास त्यौहार माना जाता है। ये सिर्फ रोशनी का त्यौहार नहीं है, बल्कि इसमें हमारी संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं की गहरी झलक भी दिखाई देती है। दीपावली के अगले दिन यानी गोवर्धन पूजा का दिन आता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है? इसकी कहानी और महत्व बहुत ही रोचक है।

दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है? – से जुड़े कुछ सवाल
| सवाल | जवाब |
|---|---|
| गोवर्धन पूजा कब होती है? | दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। |
| गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है? | भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की याद में यह पूजा होती है। |
| गोवर्धन उत्सव का धार्मिक महत्व क्या है? | यह पर्व प्रकृति और गोवर्धन पर्वत की पूजा करके आशीर्वाद लेने का अवसर है। |
| भगवान कृष्ण से इस पूजा का क्या संबंध है? | भगवान कृष्ण ने गांववासियों को गोवर्धन पर्वत के नीचे सुरक्षित किया था, इसलिए उनका सम्मान किया जाता है। |
| पूजा विधि क्या है? | गोबर, मिट्टी या रंग-बिरंगे फूलों से गोवर्धन पर्वत का मॉडल बनाकर पूजा की जाती है। |
| भारत में गोवर्धन पूजा कहाँ मनाई जाती है? | मुख्य रूप से उत्तर भारत के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में। |
| पर्व की जानकारी कैसे हासिल करें? | मंदिरों और धार्मिक वेबसाइट्स पर पूजा तिथियों और विधि की जानकारी मिलती है। |
गोवर्धन पूजा की कहानी क्या है?
दोस्तों , आपको बता दें कि गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। पुराने समय में व्रज के लोग भगवान कृष्ण की पूजा करते थे और अपने आसपास के खेतों, गायों और प्रकृति की सुरक्षा की कामना करते थे। कहते हैं कि इन्द्रदेव से लोग डरते थे क्योंकि वे वर्षा और फसल की उपज को नियंत्रित करते थे। एक बार इन्द्रदेव ने सोचा कि लोग सिर्फ उनकी पूजा करें, लेकिन भगवान कृष्ण ने समझाया कि हमारी पूजा प्रकृति और गोवर्धन पर्वत को करनी चाहिए, क्योंकि यही हमारे जीवन की रक्षा करता है।
दोस्तों , श्रीकृष्ण ने गांववालों को गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी और कहा कि इससे उनका जीवन सुरक्षित रहेगा। इसी वजह से आज भी दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। लोग अपने घरों के आसपास गोवर्धन पर्वत का छोटा सा प्रतिकृति बनाते हैं, उसे गोबर और मिट्टी से सजाते हैं और पूजा करते हैं। इस दिन गायों की भी विशेष पूजा की जाती है, क्योंकि वे हमारी जीवनदायिनी हैं और खेतों में हमारी मदद करती हैं।
गोवर्धन पूजा का महत्व क्या है?
दोस्तों , गोवर्धन पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमें प्रकृति और जानवरों के महत्व का एहसास भी कराता है।
- प्रकृति की पूजा: गोवर्धन पूजा हमें सिखाती है कि हमें अपने आस-पास की प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। खेत, पेड़-पौधे और जल स्रोत हमारे जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं।
- गायों का महत्व: इस दिन गायों की पूजा की जाती है, क्योंकि गाय हमारे लिए दूध और घी जैसी आवश्यक चीज़ें देती हैं। उनके बिना हमारी जीवनशैली अधूरी है।
- श्रीकृष्ण की भक्ति: भगवान कृष्ण ने व्रजवासियों को यह सिखाया कि भक्ति केवल देवी-देवताओं तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि हमें अपनी धरती और जीव-जंतुओं का भी ध्यान रखना चाहिए।
गोवर्धन पूजा का तरीका:
दोस्तों , आपको बता दें कि इस दिन लोग घर में या मंदिर में गोवर्धन पूजा करते हैं। लोग मिट्टी और गोबर से गोवर्धन पर्वत का आकार बनाते हैं और उसके ऊपर विभिन्न अनाज, फूल, दीपक और मिठाई रखकर पूजा करते हैं। पूजा के बाद लोग भोग अर्पित करते हैं और फिर परिवार के सभी सदस्य मिलकर इसे खाते हैं।
गोवर्धन पूजा के साथ ही अन्नकूट का पर्व भी मनाया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के अनाज और व्यंजन भगवान को अर्पित किए जाते हैं। ये हमारी समृद्धि, खुशहाली और एकता का प्रतीक है।
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गोवर्धन पूजा की आरती:
यहाँ गोवर्धन पूजा की सरल आरती दी जा रही है जिसे आप इस दिन घर में गाकर भगवान को प्रसन्न कर सकते हैं।
आरती पाठ:
जय गोवर्धन, जय गिरधारी
जय गिरधर, नंदलाला प्यारे
भक्तों के रक्षक, कंस के संहारक
धरती पर सुख समृद्धि लाने वाले
जय गोवर्धन, जय गिरधारी
निष्कर्ष: दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है?
दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी भी है। ये त्यौहार हमें याद दिलाता है कि प्रकृति और जीव-जंतुओं का सम्मान करना हमारे जीवन का अनिवार्य हिस्सा है। तो दोस्तों , अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो आप हमे कमेन्ट बॉक्स मे जरूर बताएं औरसाथ हिय अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें।



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