भारत त्योहारों की धरती है और यहाँ हर त्योहार अपने साथ कोई न कोई गहरा संदेश लेकर आता है। इन्हीं त्योहारों में से एक है भैया दूज। यह दिन भाई और बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाने का प्रतीक है। आप इसे भाई-बहन के प्यार का त्योहार भी कह सकते हैं। अगर आप यह जानना चाहते हैं कि भैया दूज की पूजा कैसे करते हैं, तो चलिए मैं आपको दोस्ताना अंदाज़ में पूरी जानकारी देता हूँ ताकि आपको किसी और वेबसाइट पर जाने की ज़रूरत ही न पड़े।

भैया दूज का महत्व
भैया दूज को कई राज्यों में “भाई टीका” और “भाऊ बीज” भी कहा जाता है। यह दीपावली के दो दिन बाद आता है। मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने आए थे और बहन ने उन्हें स्नेहपूर्वक भोजन कराया था। तब यमराज ने वचन दिया कि इस दिन जो बहन अपने भाई को भोजन कराएगी और तिलक करेगी, उसके भाई की उम्र लंबी होगी और वह हमेशा खुश रहेगा।
इसी वजह से भैया दूज का दिन भाई-बहन दोनों के लिए बेहद खास माना जाता है। यह त्योहार राखी से थोड़ा अलग है, क्योंकि इसमें सिर्फ रक्षा का वचन ही नहीं बल्कि साथ बैठकर भोजन करने और रिश्ते को और करीब लाने की परंपरा भी जुड़ी है।
भैया दूज की पूजा कैसे करते हैं?
अब बात करते हैं कि आखिर भैया दूज की पूजा कैसे की जाती है। अगर आप पहली बार इस त्योहार को मना रहे हैं या सही तरीके से करना चाहते हैं तो यह जानकारी आपके लिए बहुत काम आएगी।
- सुबह तैयारी करें : सबसे पहले घर की महिलाएँ घर की साफ-सफाई करती हैं और पूजा का स्थान तैयार करती हैं। पूजा का स्थान आमतौर पर आँगन या घर के मंदिर में बनाया जाता है।
- पूजा की थाली सजाएँ : थाली में रोली, चावल, मिठाई, दीपक, फूल और कलावा रखा जाता है। कई जगहों पर सूखा नारियल और सुपारी रखने की भी परंपरा है।
- भाई का स्वागत करें : बहनें अपने भाइयों को आमंत्रित करती हैं और उन्हें चौकी पर बैठाती हैं। फिर उनके हाथ धोकर, पाँव पखारकर सम्मान करती हैं।
- तिलक की परंपरा : बहनें भाई के माथे पर रोली और चावल का तिलक करती हैं। उसके बाद आरती उतारी जाती है और भाई को मिठाई खिलाई जाती है।
- भोजन कराना : भैया दूज का सबसे खास हिस्सा यही होता है कि बहनें भाई को अपने हाथ से भोजन कराती हैं। इसे शुभ माना जाता है और कहा जाता है कि इससे भाई की उम्र लंबी होती है।
- भाई का आशीर्वाद : भाई बहन को उपहार या पैसे देता है और उसकी सुरक्षा और खुशहाली का वचन देता है।
पूजा के समय ध्यान रखने योग्य बातें
कई बार लोग सोचते हैं कि पूजा में क्या ध्यान रखना चाहिए। अगर आप चाहते हैं कि भैया दूज की पूजा पूर्ण फलदायक हो तो इन बातों को ज़रूर ध्यान रखें।
- तिलक करने के लिए रोली और अक्षत (चावल) का प्रयोग ही करें।
- भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बैठाना शुभ माना जाता है।
- पूजा के बाद भाई को मिठाई ज़रूर खिलाएँ, यह परंपरा का अहम हिस्सा है।
- अगर भाई आपके पास नहीं आ सकता तो वीडियो कॉल के ज़रिए भी पूजा की जा सकती है, कई जगह वर्चुअल भैया दूज भी मनाई जाने लगी है।
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भैया दूज और बहनों का स्नेह
भैया दूज सिर्फ एक पूजा-पाठ का दिन नहीं है बल्कि यह भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र और सुख की प्रार्थना करती है। वहीं भाई भी बहन की रक्षा और उसके जीवन की खुशहाली का वचन देता है। गाँवों से लेकर शहरों तक, हर जगह इसका माहौल बहुत खास होता है।
भैया दूज से जुड़े 5 रोचक तथ्य
- नेपाल में भैया दूज को “भाई टीका” कहा जाता है और वहाँ यह पाँच दिन तक चलने वाले तिहार त्योहार का हिस्सा होता है।
- इस दिन भाई के माथे पर लगाया जाने वाला तिलक पाँच रंगों से भी बनाया जाता है।
- कई जगहों पर बहनें भाई को कलावा बाँधती हैं, जिससे उसकी रक्षा हो।
- अगर किसी महिला का भाई नहीं होता, तो वह इस दिन चंद्रमा को अपना भाई मानकर पूजा करती है।
- भैया दूज को “यम द्वितीया” भी कहा जाता है क्योंकि इसका संबंध यमराज और यमुनाजी की कथा से है।

निष्कर्ष:भैया दूज की पूजा कैसे करते हैं?
तो भाई, अब आपको साफ़-साफ़ समझ आ गया होगा कि भैया दूज की पूजा कैसे करते हैं। यह त्योहार सिर्फ पूजा की परंपरा तक सीमित नहीं है बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की मिठास को और गहरा करने का माध्यम है। बहन की दुआओं से भाई की जिंदगी में खुशियाँ आती हैं और भाई के वचन से बहन का जीवन सुरक्षित होता है। इस दिन की खासियत यही है कि चाहे कितनी भी दूरी क्यों न हो, भाई-बहन एक-दूसरे से ज़रूर जुड़ते हैं। यही वजह है कि भैया दूज हर साल और भी ज्यादा उत्साह और प्यार के साथ मनाया जाता है।



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