भैया दूज का शुभ समय क्या है? पूरी जानकारी

भारत में त्योहारों की कोई कमी नहीं है। हर महीने, हर ऋतु में कोई न कोई पर्व आता है और हर त्योहार अपने साथ खुशियाँ, रिश्तों की मिठास और एक नई ऊर्जा लेकर आता है। इन्हीं खूबसूरत त्योहारों में से एक है भैया दूज। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित होता है और रक्षाबंधन की तरह ही इसमें भाई-बहन के बीच का प्यार और अपनापन दिखता है।

भैया दूज का शुभ समय क्या है पूरी जानकारी
भैया दूज का शुभ समय क्या है पूरी जानकारी

अब आपके मन में सवाल ज़रूर होगा कि भैया दूज का शुभ समय क्या है? क्योंकि इस दिन पूजा करने और तिलक करने का समय बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। सही मुहूर्त में किया गया तिलक ही शुभ फल देता है और भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना पूरी करता है।

भैया दूज का महत्व?

भैया दूज, दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। यह सिर्फ पूजा का दिन नहीं है बल्कि भाई और बहन के बीच रिश्ते को और गहरा करने का अवसर है।

कहावत है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने आए थे। यमुनाजी ने उनका स्वागत तिलक करके किया और तभी से इस दिन को यम द्वितीया भी कहा जाने लगा। माना जाता है कि इस दिन बहन के घर जाकर तिलक करवाने वाला भाई दीर्घायु होता है और उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।

भैया दूज का शुभ समय क्या है?

अब आते हैं उस सबसे बड़े सवाल पर जो हर कोई जानना चाहता है। भैया दूज का शुभ समय क्या है?

  1. भैया दूज का तिलक दोपहर या अपराह्न काल में किया जाना सबसे उत्तम माना जाता है।
  2. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन द्वितीया तिथि के दौरान भाई-बहन का मिलना और तिलक करना बेहद शुभ होता है।
  3. तिलक का समय हर साल बदलता रहता है, इसलिए पंचांग देखना ज़रूरी है।
  4. अगर किसी कारण से आप शुभ मुहूर्त चूक जाते हैं, तो द्वितीया तिथि रहते हुए किसी भी समय तिलक किया जा सकता है।

यानी अगर आप सोच रहे हैं कि सिर्फ एक ही निश्चित समय होता है तो ऐसा नहीं है। मुख्य बात यह है कि तिलक द्वितीया तिथि में होना चाहिए।

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भैया दूज की पूजा विधि?

अब जब आपको यह पता चल गया कि भैया दूज का शुभ समय क्या है, तो यह भी जान लीजिए कि पूजा कैसे की जाती है। सुबह-सुबह घर की महिलाएँ पूजा की तैयारी करती हैं। बहन अपने भाई के लिए थाली सजाती है जिसमें

  • रोली
  • अक्षत (चावल)
  • दीपक
  • मिठाई
  • नारियल
  • कलश और पानी

ये सारी चीज़ें रखी जाती हैं। भाई को आमंत्रित करके बहन पहले उसकी आरती उतारती है, फिर तिलक करती है और मिठाई खिलाती है। इसके बाद भाई बहन को उपहार देता है और उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करता है।

भैया दूज का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व?

भाई, अगर गौर से देखो तो भैया दूज सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है। यह भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है और भाई बहन की रक्षा का वचन देता है।

शहरों में भले ही लोग इसे थोड़ा सिंपल तरीके से मनाते हों, लेकिन गाँवों और कस्बों में इसका उत्साह देखने लायक होता है। कहीं पर बड़े भोज का आयोजन किया जाता है, कहीं पर परिवारजन एक साथ इकट्ठा होकर तिलक करते हैं।

भैया दूज का शुभ समय क्यों ज़रूरी है?

आप सोच रहे होंगे कि आखिर इतना ज़ोर शुभ समय पर क्यों दिया जाता है। इसका कारण है कि हिंदू परंपरा में हर काम का एक सही समय माना जाता है। जब सही समय पर पूजा की जाती है तो उसका फल कई गुना बढ़ जाता है।

  • मान्यता है कि अगर भैया दूज का तिलक द्वितीया तिथि में किया जाए तो भाई की उम्र लंबी होती है।
  • सही समय पर पूजा करने से घर में खुशियाँ और समृद्धि बनी रहती है।
  • अगर गलत समय पर तिलक किया जाए तो पूजा का पूरा फल नहीं मिलता।

इसलिए, हर साल लोग पंचांग देखकर या पंडित से पूछकर यह सुनिश्चित करते हैं कि भैया दूज का शुभ समय क्या है।

भैया दूज से जुड़े 5 रोचक तथ्य?

  1. भैया दूज को नेपाल में “भाई टीका” कहा जाता है और वहाँ बहन भाई के माथे पर सात रंगों का तिलक लगाती है।
  2. महाराष्ट्र और गोवा में इसे “भाऊ बीज” कहा जाता है।
  3. बंगाल में इसे “भ्रातृ द्वितीया” कहा जाता है।
  4. मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने आए थे और तभी से यह पर्व मनाया जाने लगा।
  5. कई राज्यों में इस दिन भाई को बहन के घर भोजन करने की परंपरा है।

निष्कर्ष:भैया दूज का शुभ समय क्या है? पूरी जानकारी

तो दोस्त, अब आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा कि भैया दूज का शुभ समय क्या है? यह त्योहार सिर्फ एक धार्मिक रिवाज़ नहीं बल्कि भाई-बहन के रिश्ते का सबसे सुंदर प्रतीक है। शुभ मुहूर्त में किया गया तिलक भाई की लंबी उम्र और बहन के सुख-समृद्ध जीवन की गारंटी माना जाता है।

भैया दूज हमें यह सिखाता है कि रिश्ते सिर्फ शब्दों से नहीं निभते बल्कि प्यार, विश्वास और परंपराओं से मज़बूत होते हैं। अगर आप चाहते हैं कि यह त्योहार आपके जीवन में और भी खुशियाँ लेकर आए, तो इसे पूरे उत्साह, सही विधि और शुभ समय में ज़रूर मनाइए।

2 thoughts on “भैया दूज का शुभ समय क्या है? पूरी जानकारी”

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