अयोध्या से नैमिषारण्य की दूरी कितनी है?

जब भी कोई राम भक्त अयोध्या जाने की सोचता है, उसके मन में एक और नाम घूमता है – नैमिषारण्य धाम
एक तरफ रामलला की जन्मभूमि अयोध्या, दूसरी तरफ ऋषियों की तपस्थली और शक्तिपीठ नैमिषारण्य।
स्वाभाविक बात है कि दिल में सवाल उठता है:

“अयोध्या से नैमिषारण्य की दूरी कितनी है और वहाँ तक कैसे पहुँचा जाए?”

अयोध्या से नैमिषारण्य की दूरी कितनी है (2)
अयोध्या से नैमिषारण्य की दूरी कितनी है

अयोध्या से नैमिषारण्य की दूरी सीधा जवाब?

सबसे पहले आपके मन का मुख्य सवाल क्लियर कर लेते हैं।

  • अयोध्या (राम जन्मभूमि) से नैमिषारण्य धाम की दूरी
    सड़क मार्ग से लगभग 220 से 240 किलोमीटर के बीच मानी जा सकती है।

थोड़ी बहुत दूरी का फर्क इसलिए आता है, क्योंकि:

  • आप अयोध्या के किस पॉइंट से चल रहे हैं
  • किस रूट से जा रहे हैं (लखनऊ होते हुए या किसी और रास्ते से)
  • बीच में कितने स्टॉप लेते हैं

आमतौर पर अगर आप कार से नॉर्मल स्पीड में जाते हैं,
तो यह सफर करीब 5 से 6 घंटे में आराम से पूरा हो सकता है।

यानी इतना भी दूर नहीं कि थकान से बेहाल हो जाएँ,
और इतना भी कम नहीं कि “बस अभी पहुँच गए” वाली फीलिंग आए।
एकदम मिडिल लेवल की परफेक्ट धार्मिक यात्रा।

अयोध्या से नैमिषारण्य जाने का सबसे आसान रूट?

अब बात करते हैं कि वहाँ तक जाएँ कैसे।
क्योंकि सिर्फ दूरी जानने से काम पूरा नहीं होता,
रूट साफ होना भी ज़रूरी है।

अधिकतर लोग यह रास्ता लेते हैं:

अयोध्या → लखनऊ → सीतापुर → नैमिषारण्य

इसे ही सबसे आसान और सुविधाजनक रूट माना जाता है।

  • अयोध्या से लखनऊ – लगभग 130–140 किमी के आसपास
  • लखनऊ से सीतापुर – तकरीबन 80–90 किमी
  • सीतापुर से नैमिषारण्य – करीब 35–40 किमी

इन सब को जोड़ो तो कुल सफर लगभग 220–260 किलोमीटर के बीच हो जाता है,
आप किस रूट और मोड़ से चल रहे हैं, इस पर थोड़ा फर्क पड़ सकता है।

इस रूट की खास बात यह है कि:

  • ज़्यादातर हिस्सा हाइवे पर आता है
  • लखनऊ के रास्ते होने से खाने, रुकने और बाकी सुविधाएँ आसानी से मिल जाती हैं
  • सीतापुर से नैमिषारण्य वाला हिस्सा भी आम तौर पर मैनेज हो जाता है

अगर आप फैमिली, बुज़ुर्ग या बच्चों के साथ जा रहे हैं
तो यही रूट आपको सुकून देगा।

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किन–किन तरीकों से जा सकते हैं कार, बस, ट्रेन

अब बात करते हैं कि आप किस–किस तरीके से सफर कर सकते हैं।
यह चीज़ आपके बजट, कम्फर्ट और टाइम पर निर्भर करती है।

1. कार से जाना

अगर आपके पास अपनी कार है या आप टैक्सी बुक कर रहे हैं,
तो यह सबसे आरामदायक तरीका हो सकता है।

  • सुबह अयोध्या से आराम से निकलिए
  • रास्ते में ज़रूरत के हिसाब से रुकिए
  • 5–6 घंटे में नैमिषारण्य पहुँच सकते हैं

फायदे:

  • पूरा कंट्रोल आपके हाथ में रहता है
  • जहाँ मन करे, चाय–नाश्ता कर सकते हैं
  • बुज़ुर्गों और बच्चों के लिए भी कम परेशान करने वाला सफर

बस ध्यान रखिए:

  • गाड़ी का फ्यूल फुल रखिए
  • गूगल मैप में नैमिषारण्य या माँ ललिता देवी मंदिर सेट कर सकते हैं
  • गर्मी के समय पानी–बिस्किट वगैरह साथ रखें

2. बस से यात्रा

जिनके पास कार नहीं है या जो पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाना चाहते हैं,
उनके लिए बस भी अच्छा ऑप्शन है।

आमतौर पर तरीका कुछ ऐसा हो सकता है:

  • अयोध्या से पहले लखनऊ के लिए बस पकड़ें
  • लखनऊ से सीतापुर के लिए दूसरी बस
  • सीतापुर से नैमिषारण्य तक लोकल बस, टैक्सी या शेयर ऑटो

यह तरीका थोड़ा समय ज़्यादा ले सकता है,
लेकिन जेब पर हल्का पड़ता है।

रास्ते में लोकल बस स्टैंड वाली हलचल,
छोटे शहरों के दृश्य, रास्ते के ढाबे –
ये सब मिलकर सफर को थोड़ा देसी और मजेदार भी बना देते हैं।

3. ट्रेन + रोड का कॉम्बो

कुछ लोग सीधे अयोध्या से सीतापुर या लखनऊ तक ट्रेन से आते हैं,
फिर वहाँ से बस या टैक्सी के जरिये नैमिषारण्य जाते हैं।

खास तौर पर:

  • सीतापुर स्टेशन से नैमिषारण्य लगभग 35–40 किमी के आसपास है
  • वहाँ से आपको टैक्सी, ऑटो या लोकल बस जैसी सुविधाएँ मिल जाती हैं

ये तरीका उन लोगों के काम आता है
जिन्हें ट्रेन का सफर अच्छा लगता है
या लंबा रोड जर्नी थोड़ा मुश्किल महसूस होता है।

कुल कितना समय लग सकता है?

थोड़ा टाइम का अंदाज़ा भी क्लियर कर लेते हैं,
ताकि आप अपना पूरा दिन प्लान कर सकें।

  • अगर आप कार से सीधे चलते हैं
    तो लगभग 5–6 घंटे का समय मानकर चलिए।
  • अगर सफर में बस बदलनी है,
    या पहले ट्रेन, फिर बस लेनी है,
    तो कुल मिलाकर 6–8 घंटे या उससे थोड़ा अधिक लग सकता है,
    क्योंकि बीच–बीच में वेटिंग और स्टॉप ज़्यादा रहते हैं।

इसीलिए बेहतर यही रहता है कि:

  • अगर एक ही दिन में आना–जाना है,
    तो सुबह काफी जल्दी निकलिए।
  • और अगर आप रिलैक्स होकर घूमना चाहते हैं,
    तो नैमिषारण्य या रास्ते में कहीं रुकने का प्लान भी बना सकते हैं।

नैमिषारण्य में क्या–क्या देखने लायक है?

सिर्फ “दूरी कितनी है” जानकर अगर आप लौट आए
तो सफर अधूरा रह जाएगा।
नैमिषारण्य एक ऐसा तीर्थ है
जहाँ कई महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल हैं।

यहाँ कुछ मुख्य स्थल हैं जहाँ ज़रूर जाना चाहिए:

1. चक्रतीर्थ

नैमिषारण्य की पहचान ही कही जाए तो वह चक्रतीर्थ से ही है।
मान्यता है कि यही स्थान पृथ्वी का नाभि बिंदु माना जाता है।
यहाँ एक बड़ा सा कुंड है, जहाँ तीर्थयात्री स्नान करते हैं।
सकून भरा वातावरण, मंदिरों की घंटियाँ, मंत्रों का उचारण –
ये सब मिलकर मन को शांत कर देते हैं।

2. माँ ललिता देवी मंदिर

नैमिषारण्य में स्थित माँ ललिता देवी मंदिर
शक्ति के प्रमुख पीठों में से एक माना जाता है।
कहा जाता है कि यहाँ देवी सती के शरीर का एक अंग गिरा था,
इसी वजह से यह शक्तिपीठ बना।
दर्शन के समय जो भक्ति का माहौल मिलता है,
वह दिल को गहराई से छू जाता है।

3. व्यास गद्दी

नैमिषारण्य को ऋषियों की तपस्थली भी माना जाता है।
यहाँ व्यास गद्दी नामक जगह है,
जहाँ यह माना जाता है कि महर्षि व्यास ने
पुराणों का उपदेश दिया और कथा श्रवण कराया।
धार्मिक कथाओं में जिसका ज़िक्र आप सुनते आए होंगे,
उसकी वास्तविक झलक यहाँ देखने को मिलती है।

4. अन्य मंदिर और घाट

नैमिषारण्य क्षेत्र में कई और छोटे–बड़े मंदिर, कुंड और घाट हैं,
जहाँ आप शांत बैठकर भजन, कीर्तन और ध्यान कर सकते हैं।
यहाँ का माहौल शहर की भागदौड़ से बिल्कुल अलग
एक आध्यात्मिक शांति देता है।

भोजन और रुकने की सुविधा

नैमिषारण्य कोई बहुत बड़ा आधुनिक शहर नहीं है,
लेकिन तीर्थयात्रियों के लिए काफी सुविधाएँ मौजूद हैं।

  • साधारण धर्मशालाएँ
  • छोटे–मोटे लॉज
  • कुछ गेस्ट हाउस
  • मंदिरों के आसपास प्रसाद और भंडारे
  • रोड के किनारे छोटे–छोटे होटल और ढाबे

अगर आप कम बजट में यात्रा कर रहे हैं
तो ये सब जगहें काफी काम की हैं।

खाने में आमतौर पर:

  • पूड़ी–सब्जी
  • खिचड़ी
  • कढ़ी–चावल
  • चाय–नाश्ता
    जैसे सिंपल और सैट्लिंग ऑप्शन्स मिल जाते हैं।

अगर आपको ज़्यादा प्रीमियम होटल या मॉडर्न स्टे चाहिए,
तो बेहतर है कि आप लखनऊ या सीतापुर में ठहरने का प्लान करें,
और वहाँ से नैमिषारण्य के लिए डे–ट्रिप करें।

अयोध्या से नैमिषारण्य जाने का सही समय?

अब मौसम की बात भी ज़रूरी है,
क्योंकि तीर्थ यात्रा में मौसम बहुत असर डालता है।

  • अक्टूबर से मार्च तक का समय
    मौसम के हिसाब से सबसे अच्छा माना जा सकता है।
    न ज्यादा गर्मी, न ज्यादा उमस, सफर आरामदायक रहता है।
  • अप्रैल से जून
    इन महीनों में उत्तर भारत में गर्मी तेज रहती है।
    अगर आप इसी समय जा रहे हैं
    तो सुबह जल्दी या शाम को दर्शन का टाइम रखें,
    दोपहर की धूप से थोड़ा बचकर चलें।
  • खास पर्व, अमावस्या, पूर्णिमा, नवरात्र आदि में
    यहाँ अच्छी–खासी भीड़ रहती है।
    उस समय भक्ति–भाव और माहौल तो बहुत अच्छा होता है,
    लेकिन भीड़ के कारण थोड़ी तैयारी ज़्यादा रखनी पड़ती है।

अयोध्या और नैमिषारण्य दो पवित्र धाम, एक ही यात्रा?

दिलचस्प बात यह है कि
अयोध्या और नैमिषारण्य दोनों ही
रामायण और पुराणों से जुड़े हुए पवित्र स्थल हैं।

  • अयोध्या – भगवान श्रीराम की जन्मभूमि
  • नैमिषारण्य – वह धाम जहाँ अनेक ऋषियों ने
    कथा, यज्ञ, तपस्या और धर्मचर्चा की

कई श्रद्धालु अपनी यात्रा ऐसे प्लान करते हैं कि
पहले अयोध्या में रामलला, हनुमानगढ़ी आदि के दर्शन,
फिर उसी ट्रिप में नैमिषारण्य धाम भी कवर कर लेते हैं।

एक तरह से यह
“राम भक्ति और ऋषि परंपरा”
दोनों को एक साथ नमन करने जैसा हो जाता है।

  1. बहुत से लोग मानते हैं कि
    अयोध्या और नैमिषारण्य की यात्रा
    जीवन की एक बड़ी आध्यात्मिक यात्रा मानी जाती है,
    जहाँ भक्ति, ज्ञान और शांति तीनों का संगम मिलता है।
  2. नैमिषारण्य में चक्रतीर्थ के आसपास
    सुबह–सुबह और शाम के समय
    मंत्रों की धुन और घंटियों की आवाज़
    एक अलग ही वातावरण बना देती है,
    जिसे महसूस करना किताबों से ज़्यादा ज़रूरी है।
  3. कई पुरानी कथाओं में
    नैमिषारण्य को ऐसी जगह बताया गया है
    जहाँ देव–ऋषि इकट्ठे होते थे
    और यहीं से धर्म–शास्त्रों की शिक्षा फैली।
  4. अयोध्या से नैमिषारण्य तक जाते हुए
    रास्ते में छोटे कस्बों, खेतों और गाँवों के नज़ारे
    एक असली देसी इंडिया वाली फीलिंग देते हैं,
    जो आम शहर की लाइफ से बहुत अलग होती है।
  5. बहुत से श्रद्धालु यह मानकर चलते हैं कि
    अगर जीवन में कम–से–कम एक बार
    अयोध्या और नैमिषारण्य दोनों धाम के दर्शन हो जाएँ,
    तो यह जीवन की एक बड़ी आध्यात्मिक पूँजी बन जाती है।

निष्कर्ष :अयोध्या से नैमिषारण्य की दूरी कितनी है?

अब आपके मन में यह बात साफ हो जानी चाहिए
कि अयोध्या से नैमिषारण्य की दूरी लगभग 220–240 किलोमीटर के बीच है,
जो कार, बस या ट्रेन+रोड के जरिये आराम से तय की जा सकती है।

लेकिन असली बात सिर्फ किलोमीटर की नहीं है,
बल्कि उस भाव की है जिसके साथ आप यह सफर करते हैं।

अगर आप सही प्लानिंग के साथ निकलें:

  • समय का ध्यान रखें
  • मौसम के अनुसार तैयारी करें
  • अपनी सेहत और परिवार की ज़रूरतों को देखकर रूट तय करें

तो अयोध्या से नैमिषारण्य की यह यात्रा
आपके लिए सिर्फ एक ट्रिप नहीं,
बल्कि एक यादगार आध्यात्मिक अनुभव बन सकती है।

अगर आप चाहें तो अगली बार मैं
नैमिषारण्य में एक दिन में कौन–कौन से स्थल कवर करें,
इस पर भी एक डिटेल आर्टिकल तैयार कर सकता हूँ,
ताकि आपकी पूरी तीर्थ यात्रा और भी आसान हो जाए।

2 thoughts on “अयोध्या से नैमिषारण्य की दूरी कितनी है?”

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