अगर आप कभी मंदिर गए हों या सुबह-सुबह पूजा-पाठ के समय ध्यान लगाया हो, तो आपने ज़रूर एक मंत्र सुना होगा “ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।” यही है असली गायत्री मंत्र, जो ऋग्वेद का सबसे प्रसिद्ध मंत्र माना जाता है। असली गायत्री मंत्र क्या है? पूरी जानकारी इस मंत्र का अर्थ है। “हम उस परम ज्योतिर्मय सृजनकर्ता का ध्यान करते हैं जो हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करे।” गायत्री मंत्र सिर्फ एक मंत्र नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है जो मन, बुद्धि और आत्मा को पवित्र करता है।

गायत्री मंत्र का जप करने से मन में शांति, आत्मविश्वास और सकारात्मकता आती है। यह मंत्र सूर्य देव यानी ‘सविता’ को समर्पित है, इसलिए इसे सुबह सूर्योदय के समय जपना सबसे शुभ माना जाता है। वेदों में कहा गया है कि जो व्यक्ति नियमपूर्वक गायत्री मंत्र का उच्चारण करता है, उसकी बुद्धि तेज़ होती है और जीवन में सही दिशा मिलती है। इस मंत्र का जप केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मानसिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
गायत्री मंत्र की पहचान असली गायत्री मंत्र क्या है?
सबसे पहले तो समझ लेते हैं कि असली गायत्री मंत्र कौन-सा है। कई लोग इंटरनेट पर अलग-अलग रूप में मंत्र पढ़ते हैं, लेकिन असली और प्रामाणिक गायत्री मंत्र वही है जो ऋग्वेद में वर्णित है।
असली गायत्री मंत्र (Rigveda Mantra):
“ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥”
यह वही असली मंत्र है जिसे सविता देव यानी सूर्य भगवान को समर्पित किया गया है। इसका अर्थ बहुत ही गहरा और सुंदर है।
गायत्री मंत्र का अर्थ (Meaning in Simple Hindi)
अगर इसे सरल भाषा में समझें तो इसका मतलब होता है —
“हे परम प्रकाश स्वरूप भगवान, जो तीनों लोकों – भूः (पृथ्वी), भुवः (आकाश), स्वः (स्वर्ग) – के स्वामी हैं, हम आपके उस दिव्य तेज का ध्यान करते हैं जो हमारे बुद्धि को सदा सही दिशा में प्रेरित करे।”
यानि, यह मंत्र किसी चीज़ की मांग नहीं करता, बल्कि सही सोच और बुद्धि की प्रेरणा के लिए प्रार्थना करता है। यही इसकी सबसे बड़ी खूबसूरती है।
गायत्री मंत्र का महत्व
अब ज़रा सोचिए भाई, अगर कोई मंत्र सिर्फ आपकी बुद्धि को उजागर करे, आपके अंदर की सोच को साफ़ करे, तो उससे बड़ा वरदान क्या हो सकता है। गायत्री मंत्र को “मां गायत्री” कहा जाता है क्योंकि इसे माँ की तरह पूजते हैं — जो अपने बच्चे को ज्ञान देती है और बुरे रास्ते से बचाती है।
कुछ खास बातें इसके महत्व से जुड़ी:
- यह मंत्र मन, वाणी और कर्म तीनों को पवित्र करता है।
- कहा जाता है कि इसे रोज़ जपने से ध्यान, आत्मविश्वास और मानसिक शांति मिलती है।
- योग और ध्यान करने वाले साधक इसे अपने मन को एकाग्र करने के लिए प्रयोग करते हैं।
- गायत्री मंत्र हर धर्म या जाति के व्यक्ति के लिए उपयोगी है क्योंकि यह किसी देवी-देवता से ज़्यादा ऊर्जा और प्रकाश का प्रतीक है।
गायत्री मंत्र जपने का सही तरीका
अब जब आपने समझ लिया कि असली गायत्री मंत्र क्या है, तो ज़रूरी है कि इसे जपने का तरीका भी सही हो। क्योंकि किसी भी मंत्र की शक्ति तभी प्रकट होती है जब उसे विधि से किया जाए।
जप का सही तरीका:
- सुबह सूर्योदय के वक्त या शाम को सूर्यास्त के समय मंत्र जप करना सबसे शुभ माना गया है।
- जप करने से पहले स्नान करें, मन को शांत रखें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
- आसन पर बैठकर 108 बार (माला के अनुसार) जप करना सबसे अच्छा होता है।
- जप करते समय मन में सूर्य के तेज की कल्पना करें और आंखें बंद रखें।
- सबसे जरूरी बात, यह मंत्र मन से श्रद्धा और विश्वास के साथ बोलें, तभी इसका असर गहरा होता है।
यह भी जानें – गायत्री मंत्र जपने का सही तरीका क्या है?
असली गायत्री मंत्र से क्या लाभ होते हैं?
गायत्री मंत्र को “महामंत्र” कहा जाता है क्योंकि इसका प्रभाव शरीर और मन दोनों पर होता है। विज्ञान भी मानता है कि जब इस मंत्र का उच्चारण सही तरीके से किया जाता है तो यह शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है और मानसिक तनाव को कम करता है।
- यह तनाव, चिंता और डर को कम करता है।
- इसके नियमित जप से स्मरण शक्ति और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है।
- इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनता है।
- यह आत्मा को शुद्ध करता है और व्यक्ति के अंदर संयम और शांति लाता है।
- सबसे खास बात – यह जीवन में आध्यात्मिक जागरूकता पैदा करता है।
असली गायत्री मंत्र की उत्पत्ति
गायत्री मंत्र का उल्लेख सबसे पहले ऋग्वेद (तीसरे मंडल के 62वें सूक्त) में मिलता है। इसे विश्वामित्र ऋषि ने प्रसारित किया था। कहा जाता है कि विश्वामित्र जी को यह मंत्र तपस्या के दौरान दिव्य प्रेरणा से प्राप्त हुआ था। तभी से यह मंत्र हर युग में विद्यमान है।
भारत की प्राचीन परंपराओं में यह मंत्र इतना महत्वपूर्ण है कि इसे “वेदमाता गायत्री” कहा गया है। यानी सारे वेदों का सार इसमें समाया है।
असली गायत्री मंत्र और आधुनिक जीवन
भाई, आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जब मन हर वक्त किसी न किसी चिंता में डूबा रहता है, ऐसे में गायत्री मंत्र एक मानसिक औषधि की तरह काम करता है।
सुबह बस पाँच मिनट का जप भी दिनभर की थकान और तनाव को कम कर देता है।
आपको किसी धार्मिक पंडित या विशेष स्थान पर जाने की ज़रूरत नहीं, बस मन में सच्ची श्रद्धा होनी चाहिए। यह मंत्र आपको अंदर से मजबूत और बाहर से शांत बनाता है।
असली गायत्री मंत्र से जुड़े 5 रोचक तथ्य
- गायत्री मंत्र को सभी वेदों का सार माना गया है – यानी यह ब्रह्मज्ञान का आधार है।
- यह मंत्र सिर्फ मनुष्यों के लिए ही नहीं, बल्कि कहा जाता है कि देवता भी इसका जप करते हैं।
- प्राचीन समय में ब्राह्मणों के लिए “उपनयन संस्कार” में यह मंत्र सीखना अनिवार्य था।
- गायत्री मंत्र में कुल 24 अक्षर होते हैं, जो 24 देव शक्तियों का प्रतीक हैं।
- इसे “सविता देवता” को समर्पित माना गया है, जो सूर्य के प्रकाश और ज्ञान के स्रोत हैं।

निष्कर्ष: असली गायत्री मंत्र क्या है? पूरी जानकारी
अगर हम पूरे विषय को समझें तो असली गायत्री मंत्र सिर्फ कुछ शब्दों का समूह नहीं, बल्कि यह एक ऐसी दिव्य ध्वनि है जो हमारे मन, बुद्धि और आत्मा को शुद्ध करती है। “ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्” ये शब्द हमारे भीतर की सकारात्मक ऊर्जा को जागृत करते हैं। इसे बोलने, सुनने या जपने से व्यक्ति के भीतर एक अद्भुत शांति, एकाग्रता और आत्मबल पैदा होता है।
गायत्री मंत्र को वेदों में “मंत्रराज” कहा गया है, यानी सभी मंत्रों का राजा। इसका नियमित जप न केवल धार्मिक दृष्टि से शुभ होता है, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी मन को शांत और एकाग्र बनाता है। चाहे आप विद्यार्थी हों, गृहस्थ हों या कोई साधक – यदि आप इसे सच्चे मन से जपें तो जीवन में संतुलन, ज्ञान और आत्मविश्वास बढ़ता है। यही कारण है कि इसे “सबसे पवित्र और शक्तिशाली मंत्र” माना गया है।



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