आपको आखिरी नवरात्रि पर क्या करना चाहिए: प्रणाम भक्तों नवरात्रि के नौ दिन पूरे भक्तिभाव और पूजा-पाठ में बीतते हैं। हर दिन माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा होती है, लेकिन भाई जब आखिरी नवरात्रि आती है यानी महा नवमी, तो उसका महत्व सबसे खास होता है। सवाल यही है कि आखिर हमें इस दिन क्या करना चाहिए ताकि पूजा पूर्ण फल दे और माँ की कृपा हमेशा बनी रहे।

आखिरी नवरात्रि पर करने योग्य काम कौन कौन से हैं?
| सवाल | जवाब |
|---|---|
| आखिरी नवरात्रि का महत्व क्या है? | यह दिन देवी दुर्गा की साधना पूर्ण करने और कन्या पूजन का होता है। |
| कन्या पूजन क्यों किया जाता है? | कन्याओं में मां दुर्गा का स्वरूप मानकर उन्हें भोजन व उपहार दिए जाते हैं। |
| इस दिन क्या विशेष पूजा करनी चाहिए? | दुर्गा सप्तशती का पाठ, हवन और माता को भोग अर्पित करना चाहिए। |
| क्या दान देना जरूरी है? | हाँ, इस दिन अनाज, कपड़े या जरूरतमंदों को भोजन दान करना शुभ माना जाता है। |
| उपवास रखने वालों को क्या करना चाहिए? | नवमी या अष्टमी को कन्या पूजन और भोग लगाने के बाद उपवास का समापन करना चाहिए। |
| क्या परिवार के साथ पूजा करनी चाहिए? | हाँ, परिवार सहित मिलकर पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। |
1. कन्या पूजन करें
भाई, आखिरी नवरात्रि पर कन्या पूजन करना सबसे बड़ा और शुभ कार्य माना जाता है। छोटी बच्चियों को माँ दुर्गा का स्वरूप मानकर उन्हें भोजन, उपहार और आशीर्वाद दें। इससे माँ दुर्गा प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
2. हवन और कलश विसर्जन
महा नवमी पर हवन करना बेहद शुभ होता है। यह नवरात्रि का समापन दर्शाता है। साथ ही, कलश विसर्जन किया जाता है, जिसमें यह माना जाता है कि माँ दुर्गा अपने लोक वापस जाती हैं और अपने भक्तों को सुख-शांति देकर जाती हैं।
3. व्रत का पारण
भाई, जो लोग पूरे नौ दिन का उपवास रखते हैं, उन्हें आखिरी नवरात्रि या दशहरे के दिन पारण करना चाहिए। पारण का मतलब होता है उपवास को पूरा करके सामान्य भोजन ग्रहण करना। इसे नियम और श्रद्धा से करना जरूरी है।
4. दान और सेवा
भाई, नवरात्रि का समापन करते समय दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। भोजन, वस्त्र या धन का दान जरूरतमंदों को करने से माँ की कृपा बनी रहती है। यह आपके पुण्य को कई गुना बढ़ा देता है।
5. आपको आखिरी नवरात्रि पर क्या करना चाहिए (सकारात्मक संकल्प लें)
आखिरी नवरात्रि सिर्फ़ धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है। यह दिन हमें बुराई छोड़ने और अच्छाई अपनाने का संदेश देता है। भाई, इस दिन आप नकारात्मकता को त्यागने और जीवन में नई शुरुआत करने का संकल्प जरूर लें।


