नैमिषारण्य में सती का कौन सा भाग गिरा था?

नैमिषारण्य में सती का कौन सा भाग गिरा था?: प्रणाम भक्तों , जैसा कि आप जानते है कि नैमिषारण्य उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित एक अत्यंत प्राचीन और पवित्र तीर्थस्थल है। इस जगह का नाम सुनते ही श्रद्धा और भक्ति की भावना मन में उमड़ पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि यहां आकर मनुष्य अपने समस्त पापों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। नैमिषारण्य सिर्फ एक धार्मिक स्थान ही नहीं बल्कि यह ऋषि-मुनियों की तपोभूमि भी रही है।

हिंदू धर्म में नैमिषारण्य का संबंध सती पीठ से भी है। कहते हैं कि जब भगवान शिव माता सती के शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के अंगों को पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर गिराया। इन्हीं स्थानों को आज हम शक्तिपीठ के नाम से जानते हैं। कुल 51 शक्तिपीठों में से एक नैमिषारण्य भी है।

नैमिषारण्य में सती का कौन सा भाग गिरा था? – से जुड़े कुछ सवाल

सवालजवाब
नैमिषारण्य में सती का कौन सा भाग गिरा थासती का हृदय
नैमिषारण्य शक्ति पीठ कहाँ हैउत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में
सती के अंग कहां-कहां गिरे थेभारत, नेपाल और बांग्लादेश में
सती का हृदय कहां गिरानैमिषारण्य तीर्थ में
सती के अंगों की कहानी क्या हैभगवान शिव के तांडव से सती के शरीर के अंग अलग-अलग स्थानों पर गिरे
शक्ति पीठों की संख्या कितनी है51 मुख्य शक्ति पीठ माने जाते हैं
नैमिषारण्य का धार्मिक महत्व क्या हैयहाँ सती शक्ति पीठ और पवित्र सरस्वती कुंड है
सती शक्ति पीठ उत्तर प्रदेश में कहाँ हैनैमिषारण्य (सीतापुर)
नैमिषारण्य तीर्थ की कथा क्या हैयहाँ ऋषियों ने हज़ारों साल तक तपस्या की और सती का हृदय गिरा था
सती माता का शरीर कैसे बंटाविष्णु के सुदर्शन चक्र से शरीर के अंग अलग हुए

नैमिषारण्य में सती का कौन सा अंग गिरा था?

दोस्तों , आपको बता दें कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, नैमिषारण्य वह पवित्र स्थान है जहां माता सती का हृदय (दिल) गिरा था। इसी कारण यहां शक्ति का विशेष महत्व है और यहां स्थापित देवी को ललिता देवी या हृदयेश्वरी माता कहा जाता है। भक्त मानते हैं कि सती का हृदय यहां गिरने के कारण यह स्थान प्रेम, भक्ति और करुणा का प्रतीक बन गया।

दोस्तों , माना जाता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से यहां पूजा-अर्चना करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। यहां पर देवी ललिता का मंदिर है और बड़ी संख्या में भक्त हर साल यहां दर्शन करने आते हैं।

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नैमिषारण्य का धार्मिक महत्व क्या है?

  1. शक्ति और भक्ति का केंद्र – सती का हृदय यहां गिरने से यह स्थान शक्ति और भक्ति का संगम बन गया है।
  2. ऋषि-मुनियों की तपोभूमि – माना जाता है कि 88,000 ऋषियों ने यहां तपस्या की थी।
  3. पापों से मुक्ति – कहा जाता है कि नैमिषारण्य में स्नान और दर्शन करने से मनुष्य अपने पापों से मुक्त हो जाता है।
  4. मोक्ष का मार्ग – यह स्थान व्यक्ति को जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।

नैमिषारण्य की यात्रा का अनुभव:

नैमिषारण्य आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहां का वातावरण अत्यंत शांति और आध्यात्मिकता से भरा होता है। यहाँ स्थित चक्रतीर्थ, व्यास गद्दी और देवी ललिता मंदिर हर आगंतुक को अपने पवित्र वातावरण से आकर्षित करता है। खासकर नवरात्रि के समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है।

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नैमिषारण्य में माता ललिता की आरती:

जय ललिता माता जय जय ललिता  
सती हृदयेश्वरी जय जय ललिता  

शिव संग रहीं, प्रीति अपार  
हृदय में वास करें, दूर करो संकट भार  

भक्तों की सुनती, करती उपकार  
सुख-समृद्धि देती, मिटा दें दुख अपार  

जय ललिता माता जय जय ललिता  
सती हृदयेश्वरी जय जय ललिता  

निष्कर्ष:

नैमिषारण्य एक ऐसा तीर्थ है जहां इतिहास, भक्ति और आस्था का संगम देखने को मिलता है। यहां माता सती का हृदय गिरने की मान्यता इस स्थान को और भी पवित्र बना देती है। अगर कोई श्रद्धालु अपने जीवन की परेशानियों से मुक्ति चाहता है, तो नैमिषारण्य की यात्रा कर ललिता देवी के चरणों में आस्था प्रकट करना चाहिए। तो भक्तों , कैसा लगा आपको यह आर्टिकल अगर आपको यह अच्छा लगा हो तो आप हमे कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं।

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