नैमिषारण्य के बारे में क्या खास है?: प्रणाम भक्तों , जैसा कि आप जानते है कि आज भी भारत की धरती पर ऐसे कई पवित्र स्थान मौजूद हैं, जिनके बारे में सुनते ही श्रद्धा और आस्था का भाव जाग उठता है। इन्हीं में से एक है नैमिषारण्य, जिसे आम भाषा में नैमिष भी कहा जाता है। यह स्थान उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले में गोमती नदी के किनारे स्थित है। धार्मिक मान्यता है कि यहाँ पर ऋषियों और मुनियों ने हजारों सालों तक तपस्या की और यहीं से कई ग्रंथों की रचना भी हुई।
दोस्तों , कहा जाता है कि जो व्यक्ति एक बार भी नैमिषारण्य में आकर स्नान करता है, उसे जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए इसे मोक्षदायी तीर्थ भी कहा जाता है।

नैमिषारण्य का धार्मिक महत्व क्या है?
- पुराणों का उद्गम स्थल – माना जाता है कि महर्षि व्यास ने यहाँ पर बैठकर अठारह पुराणों का वाचन किया था।
- ऋषि-मुनियों की तपोभूमि – यह स्थान हजारों ऋषि-मुनियों का आश्रय स्थल रहा है। यहीं पर 88,000 ऋषियों ने तप किया था।
- चक्रतीर्थ – नैमिषारण्य का सबसे प्रमुख स्थान है “चक्रतीर्थ”, जहाँ पर भगवान विष्णु का चक्र गिरा था। आज भी यहाँ पर बड़ी संख्या में भक्त स्नान करने आते हैं।
- गोमती नदी का उद्गम – मान्यता है कि गोमती नदी का उद्गम भी नैमिषारण्य से ही हुआ है।
- संतों का मेल – यहाँ साल भर संत-महात्मा आते रहते हैं और कथा, प्रवचन तथा साधना में लीन रहते हैं।
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नैमिषारण्य की खास बातें?
- तीर्थों का तीर्थ – स्कंद पुराण में नैमिषारण्य को “तीर्थों का तीर्थ” बताया गया है।
- मोक्ष की प्राप्ति – मान्यता है कि यहाँ पर स्नान करने और दर्शन करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- पौराणिक कथा – कथा है कि एक बार देवताओं ने ऋषियों से पूछा कि ऐसा कौन सा स्थान है जहाँ वे आसानी से तप कर सकें। तभी भगवान विष्णु का चक्र घूमते-घूमते यहाँ आकर ठहर गया और यही स्थान नैमिषारण्य कहलाया।
- सत्संग का केंद्र – आज भी यहाँ पर बड़े-बड़े यज्ञ, कथा और संत सम्मेलनों का आयोजन होता रहता है।
नैमिषारण्य की यात्रा का अनुभव कैसा है?
दोस्तों , जब कोई भक्त यहाँ पहुँचता है तो उसे सबसे पहले शांति और आध्यात्मिकता का एहसास होता है। चक्रतीर्थ का जल, मंदिरों की घंटियों की आवाज़ और साधु-संतों की वाणी मिलकर ऐसा माहौल बनाते हैं कि मन खुद-ब-खुद श्रद्धा से झुक जाता है। यहाँ आने वाले लोग केवल पूजा ही नहीं करते, बल्कि ध्यान, जप और साधना में भी लीन रहते हैं।
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नैमिषारण्य की आरती:
नैमिषारण्य आरती
जय नैमिष धाम, मोक्षदायी धाम,
तेरी महिमा अपरम्पार।
ऋषि-मुनि जहाँ तप करें,
पावन हो सबका संसार।।
जय-जय चक्रतीर्थ पावन,
हरो जन की सारी पीर।
तेरे दर्शन मात्र से ही,
मिलता है जीवन का नीर।।
गोमती मैया संग बही,
शांति लाए हर दिल में।
नैमिष धाम तेरा दरबार,
बसता सदा श्रद्धा के मन में।।
निष्कर्ष: नैमिषारण्य के बारे में क्या खास है?
नैमिषारण्य सिर्फ एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि यह आस्था और अध्यात्म की जीवंत धरोहर है। यहाँ आकर इंसान खुद को भगवान के और करीब महसूस करता है। चाहे वह पापों से मुक्ति की बात हो, मोक्ष की कामना हो या मन की शांति, नैमिषारण्य हर किसी को वह सब कुछ देता है जिसकी तलाश में लोग मंदिरों और तीर्थों का रुख करते हैं। यही वजह है कि इसे भारत का सबसे पावन और विशेष धार्मिक स्थल माना जाता है। तो भक्तों अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो आप हमे कमेन्ट बॉक्स मे जरूर बताएं।



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