नमस्कार हिन्दू भाइयों तो कैसे है आप तो भाइयों आज हम जानने वाले है। महाभारत का युद्ध क्यों हुआ | आखिर क्या कारण था चलिए जानते है। भाइयों भारत के सबसे प्राचीन और महान ग्रंथों में से एक है महाभारत। इसे सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन भी कहा जाता है। इस महाग्रंथ में राजनीति, धर्म, नैतिकता और जीवन के गहरे संदेश छिपे हुए हैं। लेकिन जब भी महाभारत की चर्चा होती है, सबसे बड़ा सवाल यही उठता है – महाभारत का युद्ध क्यों हुआ?
महाभारत का युद्ध क्यों हुआ | आखिर क्या कारण था

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आइए इस सवाल का जवाब विस्तार से समझते हैं।
महाभारत युद्ध का पृष्ठभूमि
महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में लड़ा गया था, जिसमें पांडव और कौरव आमने-सामने थे। यह युद्ध सिर्फ दो परिवारों का झगड़ा नहीं था, बल्कि धर्म और अधर्म की लड़ाई थी।
लेकिन इस युद्ध तक बात क्यों पहुँची? आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि भाइयों के बीच खून-खराबा मच गया? इसके कई कारण थे जिन्हें हम एक-एक करके समझेंगे।
1. उत्तराधिकार का विवाद
महाभारत युद्ध का सबसे बड़ा कारण था – राजगद्दी का विवाद।
- पांडव और कौरव दोनों ही हस्तिनापुर की गद्दी के वारिस थे।
- दुर्योधन चाहता था कि हस्तिनापुर का राजा वही बने, क्योंकि वह सबसे बड़ा कौरव था।
- लेकिन पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर को भी उत्तराधिकारी माना जा रहा था।
यहीं से दोनों परिवारों में तनाव शुरू हो गया।
2. दुर्योधन का अहंकार और ईर्ष्या
दुर्योधन हमेशा पांडवों से जलता था।
- वह अर्जुन की वीरता, भीम की शक्ति और युधिष्ठिर की धर्मनिष्ठा को सहन नहीं कर पाता था।
- उसे लगता था कि पांडव हर जगह उससे आगे हैं।
- इसी ईर्ष्या ने उसके मन में घृणा और द्वेष भर दिया।
युद्ध की जड़ें दुर्योधन के इसी अहंकार और जलन में छिपी हुई थीं।
3. जुए का खेल – निर्णायक मोड़
महाभारत युद्ध का सबसे बड़ा और तात्कालिक कारण बना जुए का खेल।
- दुर्योधन और शकुनि ने चालाकी से पांडवों को जुए में हराया।
- युधिष्ठिर ने अपनी सारी संपत्ति, राज्य, भाई और यहाँ तक कि द्रौपदी तक हार दी।
- द्रौपदी का चीरहरण सभा में हुआ, जिसने पांडवों और कौरवों के बीच दुश्मनी को और गहरा कर दिया।
यह अपमान युद्ध का सबसे बड़ा कारण बना।
4. द्रौपदी का बदला
जुए के खेल में द्रौपदी का अपमान पूरी तरह से महाभारत युद्ध की नींव बन गया।
- द्रौपदी ने प्रतिज्ञा ली थी कि वह अपने खुले हुए बाल तभी बांधेगी जब दुशासन के खून से उन्हें धोएगी।
- यह प्रतिज्ञा पांडवों को युद्ध की ओर खींच लाई।
5. अधर्म और धर्म की लड़ाई
महाभारत का युद्ध सिर्फ गद्दी या अपमान का बदला लेने के लिए नहीं था।
- यह युद्ध धर्म और अधर्म के बीच था।
- श्रीकृष्ण ने भी पांडवों का साथ इसलिए दिया क्योंकि वे धर्म के मार्ग पर चल रहे थे।
- दुर्योधन ने सत्ता पाने के लिए हर गलत रास्ता अपनाया, जबकि पांडव न्याय और धर्म की रक्षा करना चाहते थे।
6. समझौते का असफल प्रयास
युद्ध से पहले कई बार समझौते की कोशिश हुई।
- श्रीकृष्ण स्वयं शांति-दूत बनकर हस्तिनापुर गए और पांडवों के लिए सिर्फ पाँच गाँव मांगे।
- लेकिन दुर्योधन ने एक इंच भी जमीन देने से मना कर दिया।
- उसने गर्व से कहा – “बिना युद्ध के पांडवों को सुई की नोंक के बराबर भी जमीन नहीं दूँगा।”
दुर्योधन की इस जिद ने युद्ध को निश्चित कर दिया।
महाभारत का युद्ध क्यों हुआ | आखिर क्या कारण था

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7. शकुनि की राजनीति
शकुनि महाभारत युद्ध का बड़ा कारण था।
- उसने दुर्योधन को भड़काया और पांडवों को हमेशा फँसाने की चाल चली।
- उसकी साजिशों ने कौरव और पांडवों के बीच दुश्मनी को और गहरा कर दिया।
8. भाग्य और समय का खेल
महाभारत के ग्रंथ में कहा गया है कि यह युद्ध कलीयुग की शुरुआत का संकेत था।
- युद्ध नियति में लिखा हुआ था।
- पांडव और कौरव सिर्फ उस समय और स्थान के पात्र थे।
निष्कर्ष: महाभारत का युद्ध क्यों हुआ | आखिर क्या कारण था
अब सवाल का जवाब साफ है – महाभारत का युद्ध क्यों हुआ?
यह युद्ध कई कारणों का परिणाम था –
- सत्ता की लालसा,
- दुर्योधन का अहंकार,
- शकुनि की चालें,
- द्रौपदी का अपमान,
- और धर्म-अधर्म की टकराहट।
महाभारत युद्ध हमें यह सिखाता है कि लालच, ईर्ष्या और अन्याय कभी स्थायी नहीं रह सकते। अंत में धर्म की ही जीत होती है।
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