नमस्कार हिन्दू भाइयों तो कैसे है आप तो भाइयो आज हम जानने वाले है। Jitiya Vrat Katha क्या है? | जीतिया व्रत की पूरी जानकारी 2025भाइयों भारत त्योहारों और व्रतों का देश है। यहाँ हर पर्व का कोई न कोई धार्मिक महत्व जुड़ा होता है। इन्हीं में से एक है जीतिया व्रत (Jitiya Vrat)। यह व्रत खासतौर पर माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। लेकिन अक्सर लोगों के मन में सवाल आता है – “Jitiya Vrat Katha क्या है?” और इस व्रत को क्यों इतना खास माना जाता है।
Jitiya Vrat Katha क्या है?

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चलिए, इस पोस्ट में हम जीतिया व्रत की कथा, इसका महत्व और इसे करने की विधि विस्तार से जानते हैं।
Jitiya Vrat क्या है?
जीतिया व्रत एक धार्मिक उपवास है, जिसे मुख्यतः बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में माताएँ करती हैं। इस व्रत का उद्देश्य बच्चों की दीर्घायु, स्वास्थ्य और कल्याण की कामना करना है।
- यह व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है।
- इसे “जीवितपुत्रिका व्रत” भी कहा जाता है।
- माताएँ 24 घंटे निर्जल और निराहार रहकर उपवास करती हैं।
Jitiya Vrat Katha क्या है?
कथा सुनने और समझने से व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है। जीतिया व्रत की कथा मुख्य रूप से जिमूतवाहन नामक राजकुमार से जुड़ी हुई है।
कथा का सार:
प्राचीन समय में जिमूतवाहन नाम का एक राजकुमार था। वह बहुत दयालु और धर्मप्रिय था। उसने राजपाट त्यागकर वन में रहने का निर्णय लिया। एक दिन उसने देखा कि नागवंश का एक बूढ़ा व्यक्ति अपने बेटे को रोते हुए विदा कर रहा है। पूछने पर पता चला कि गरुड़ प्रतिदिन एक नाग को भोजन के रूप में खाता है और आज उसके बेटे की बारी थी।
जिमूतवाहन को यह देख कर बहुत दुख हुआ। उसने नाग के स्थान पर स्वयं को गरुड़ के सामने प्रस्तुत कर दिया। जब गरुड़ ने उसे पकड़ लिया, तब जिमूतवाहन ने अपनी दयालुता और धर्म के बारे में बताया। उसकी निःस्वार्थ भावना से गरुड़ प्रसन्न हुआ और उसने नागवंश को खाना छोड़ दिया।
कहा जाता है कि इस निःस्वार्थ बलिदान की वजह से जिमूतवाहन को अमरत्व प्राप्त हुआ और तभी से यह व्रत माताओं द्वारा बच्चों की लंबी उम्र के लिए किया जाने लगा।
Jitiya Vrat का महत्व
- बच्चों की लंबी उम्र – यह व्रत बच्चों की रक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है।
- परिवार की समृद्धि – व्रत रखने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- धार्मिक मान्यता – मान्यता है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियों के बच्चे किसी भी संकट से सुरक्षित रहते हैं।
- नारी शक्ति का प्रतीक – यह व्रत माताओं की त्याग और समर्पण की शक्ति को दर्शाता है।
Jitiya Vrat की पूजा विधि
इस व्रत को सही विधि से करना बहुत ज़रूरी है।
- व्रत से एक दिन पहले माताएँ नहाय-खाय करती हैं यानी स्नान करके सात्विक भोजन करती हैं।
- अष्टमी तिथि को सूर्योदय से पहले स्नान करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं।
- इस दिन निर्जल उपवास रखा जाता है, यानी न तो पानी पिया जाता है और न ही भोजन किया जाता है।
- संध्या समय या रात्रि में माताएँ मंदिर में जाकर जिमूतवाहन की कथा सुनती हैं।
- अगले दिन नवमी को व्रत खोला जाता है और प्रसाद वितरित किया जाता है।
Jitiya Vrat से जुड़े रीति-रिवाज
- इस दिन महिलाएँ जिउतिया गीत गाती हैं, जिसमें लोककथाएँ और धार्मिक भावनाएँ झलकती हैं।
- पूजा में मूली, गाजर, अमरूद और बेलपत्र का उपयोग विशेष रूप से होता है।
- व्रत रखने वाली माताएँ रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर पूजा करती हैं।
- यह व्रत खासकर ग्रामीण इलाकों में बहुत बड़े सामूहिक रूप से किया जाता है।
Jitiya Vrat Katha क्या है? | जीतिया व्रत की पूरी जानकारी 2025

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Jitiya Vrat 2025 की तिथि
- तिथि शुरू: 9 सितंबर 2025, शाम 06:15 बजे
- तिथि समाप्त: 10 सितंबर 2025, शाम 04:50 बजे
- व्रत की मुख्य तिथि: 10 सितंबर 2025, बुधवार
Jitiya Vrat Katha से मिलने वाले लाभ
- बच्चों की सुरक्षा और लंबी आयु।
- माताओं को आत्मिक शांति और शक्ति की प्राप्ति।
- परिवार में एकजुटता और सकारात्मकता का माहौल।
- कठिनाइयों और संकटों से मुक्ति।
- धार्मिक पुण्य और आशीर्वाद की प्राप्ति।
FAQs – Jitiya Vrat Katha क्या है?
Q1. Jitiya Vrat किसके लिए किया जाता है?
बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए।
Q2. Jitiya Vrat Katha में कौन सी कथा सुनाई जाती है?
जिमूतवाहन की कथा, जिसने नागवंश की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया।
Q3. Jitiya Vrat कब रखा जाता है?
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को।
Q4. Jitiya Vrat किस राज्यों में प्रसिद्ध है?
बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में।
Q5. Jitiya Vrat में महिलाएँ क्या करती हैं?
निर्जल उपवास रखती हैं, कथा सुनती हैं और अगले दिन व्रत तोड़ती हैं।
निष्कर्ष: Jitiya Vrat Katha क्या है? | जीतिया व्रत की पूरी जानकारी 2025
तो दोस्तों, अब आप समझ गए होंगे कि Jitiya Vrat Katha क्या है? यह केवल एक धार्मिक व्रत नहीं बल्कि माताओं के अटूट विश्वास और त्याग का प्रतीक है। माताएँ अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करती हैं। जिमूतवाहन की कथा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति और निःस्वार्थता से हर संकट को टाला जा सकता है।
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