भाई दूज सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की गहरी भावना को जताने का दिन है। अगर आप सोच रहे हैं कि भाई दूज क्यों मनाते हैं, तो चलिए मैं आपको ऐसे समझाता हूँ जैसे हम बैठकर चाय के साथ बातें कर रहे हों। भारत में भाई दूज हर साल दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह दिन भाई-बहन के अटूट प्रेम और भाई की लंबी उम्र की कामना करने के लिए समर्पित है। बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक करती हैं, मिठाई खिलाती हैं और भाई की सुरक्षा और खुशहाली की प्रार्थना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहन को उपहार देकर उसके प्रति प्यार और सम्मान जताता है।

भाई दूज की धार्मिक और पौराणिक कहानी
भाई दूज के पीछे कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। इनमें सबसे प्रचलित कहानी यमराज और यमुनाजी की है। कहा जाता है कि यमराज (मृत्यु के देवता) अपनी बहन यमुनाजी के घर आए थे। यमुनाजी ने उनका अच्छे से स्वागत किया, तिलक किया और भोजन कराया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने उन्हें वचन दिया कि हर भाई दूज को अपनी बहन के घर आने पर बहन की लंबी उम्र और खुशहाली की रक्षा करेंगे।
इसीलिए इस दिन बहनें अपने भाई के लिए तिलक करती हैं और लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह सिर्फ प्यार का प्रतीक नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते में विश्वास, सुरक्षा और कर्तव्य का भी प्रतीक है।
भाई दूज क्यों मनाते हैं सांस्कृतिक महत्व
- भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाना
भाई दूज भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने का दिन है। यह दिन याद दिलाता है कि चाहे कितनी भी दूरियां हों, भाई-बहन का प्यार और सम्मान हमेशा बना रहना चाहिए। - भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना
बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक कर उन्हें सुरक्षा और लंबी उम्र का आशीर्वाद देती हैं। यह कामना सिर्फ आध्यात्मिक नहीं है, बल्कि एक पारिवारिक संस्कार भी है। - सामाजिक और पारिवारिक समरसता
भाई दूज का उत्सव परिवार और समाज में भाई-बहन के रिश्तों को जोड़ने का काम करता है। गाँवों और शहरों में लोग इस दिन एक-दूसरे के घर जाकर मिलते हैं और परिवारिक बंधन मजबूत करते हैं। - त्योहारों के श्रृंगार और खुशियाँ
दीपावली के त्योहार की रौनक भाई दूज के साथ पूरी होती है। इस दिन घर सजाया जाता है, मिठाई बनती है, और पूरे परिवार में खुशी का माहौल होता है।
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भाई दूज कैसे मनाते हैं
भाई दूज मनाने की रीतियाँ हर राज्य और परिवार में थोड़ी अलग हो सकती हैं, लेकिन मूल रूप से कुछ खास क्रियाएँ होती हैं:
- सुबह बहनें भाई को आमंत्रित करती हैं और उनके स्वागत में तिलक करती हैं।
- तिलक और पूजा थाली में मिठाई, रोली, हल्दी, फूल और दीपक होते हैं।
- भाई अपनी बहन को उपहार देता है, जैसे कपड़े, गहने या कोई जरुरी चीज।
- कुछ जगहों पर बहन अपने भाई के लिए विशेष भोजन तैयार करती हैं, और साथ में परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल होते हैं।
- इस दिन गीत और भजन गाए जाते हैं और परिवार में आनंद और उल्लास का माहौल बनता है।
भाई दूज का असली मकसद सिर्फ उपहार देना या लेना नहीं है, बल्कि एक-दूसरे के प्रति प्रेम और जिम्मेदारी का प्रदर्शन करना है।
भाई दूज और अन्य त्योहारों से तुलना
भाई दूज को अक्सर रक्षा बंधन से जोड़ा जाता है, लेकिन यह अलग है।
- रक्षा बंधन श्रावण मास में मनाया जाता है और इसमें भाई को रक्षा सूत्र बांधा जाता है।
- भाई दूज दीपावली के दिन मनाया जाता है और इसमें भाई को तिलक और बहन का आशीर्वाद मिलता है।
इससे साफ है कि दोनों त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाते हैं, लेकिन समय, पूजा विधि और महत्व अलग-अलग हैं।

भाई दूज से जुड़े 5 रोचक तथ्य
- भाई दूज को भारत के लगभग सभी राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे तुज भैया (उत्तर भारत), भैयाजी का तीज (राजस्थान), और यम द्वितीया (कुछ जगहों पर)।
- पुराने समय में बहनें इस दिन भाई को अपने घर बुलाकर तिलक करती थीं, लेकिन अब शहरों में भाई बहन अपने घर या वीडियो कॉल से भी यह त्यौहार मना सकते हैं।
- कई जगहों पर भाई दूज पर भाई-बहन एक-दूसरे के लिए हर्बल या पारंपरिक उपहार देते हैं।
- धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भाई की रक्षा करने वाला बहन हमेशा यमराज के संरक्षण में रहता है।
- भाई दूज का पर्व सिर्फ व्यक्तिगत संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और परिवार के मेलजोल का भी प्रतीक है।
निष्कर्ष:भाई दूज क्यों मनाते हैं? पूरी जानकारी
अब आप समझ गए होंगे कि भाई दूज क्यों मनाते हैं। यह दिन सिर्फ तिलक और उपहार का नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती, प्रेम, सुरक्षा और पारिवारिक समरसता का प्रतीक है।भाई दूज हमें यह याद दिलाता है कि रिश्तों को समय देना और उनका सम्मान करना बहुत ज़रूरी है। चाहे हम कितने भी व्यस्त हों, भाई दूज जैसे अवसर हमें यह सोचने का मौका देते हैं कि परिवार हमारे जीवन का सबसे अहम हिस्सा है।



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