भारत की संस्कृति में अगर सजावट और परंपरा की बात की जाए तो रंगोली का नाम सबसे पहले आता है। हर त्योहार पर आपने घर के आँगन या दरवाज़े पर रंग-बिरंगी आकृतियाँ ज़रूर देखी होंगी। ये सिर्फ सजावट भर नहीं होतीं बल्कि हमारे जीवन में शुभता, समृद्धि और सकारात्मकता लाने का प्रतीक मानी जाती हैं।

अब असली सवाल यही है कि रंगोली कितने प्रकार की होती है? क्योंकि अक्सर हम रंगोली को बस एक ही तरह का समझ लेते हैं। रंगों से बनी डिज़ाइन। लेकिन हकीकत यह है कि रंगोली कई प्रकार की होती है और हर एक का अपना महत्व और बनाने का तरीका होता है। चलिए दोस्त की तरह आपको पूरी जानकारी देते हैं।
रंगोली का महत्व क्यों है?
सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि रंगोली सिर्फ सजावट नहीं है। पुराने समय से ही माना जाता है कि घर के आँगन में रंगोली बनाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। यही कारण है कि दीपावली, होली, ओणम, पोंगल जैसे त्योहारों पर रंगोली बनाना परंपरा बन गई है। इसके अलावा, रंगोली हमारी कला और रचनात्मकता को भी दर्शाती है। यह ऐसा माध्यम है जहाँ आप अपनी भावनाओं को आकृतियों और रंगों के जरिए ज़ाहिर कर सकते हो।
रंगोली कितने प्रकार की होती है?
अब आते हैं असली टॉपिक पर। रंगोली कितने प्रकार की होती है? तो इसका जवाब है। रंगोली कई तरह की होती है और अलग-अलग राज्यों और परंपराओं में इसके अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं।
1. पारंपरिक रंगोली
यह सबसे पुरानी और सबसे आम रंगोली है। इसमें फूलों, पत्तियों, गोबर या चावल के आटे से आकृतियाँ बनाई जाती थीं। आज भी गाँवों में लोग पारंपरिक रंगोली ही बनाते हैं। इसका उद्देश्य घर को पवित्र बनाना और देवी-देवताओं का स्वागत करना होता है।
Also read – रंगोली बनाने की जगह और उनका महत्व
2. रंगों वाली रंगोली
आजकल सबसे ज़्यादा लोकप्रिय यही रंगोली है। बाज़ार में मिलने वाले अलग-अलग रंगों से इसे बनाया जाता है। इसमें डिजाइन की कोई सीमा नहीं होती आप फूल, पक्षी, ज्यामितीय आकृतियाँ या देवी-देवताओं की तस्वीरें तक बना सकते हैं।
3. फूलों की रंगोली
फूलों की पंखुड़ियों से बनाई गई रंगोली बहुत आकर्षक लगती है। खासकर ओणम त्योहार में केरल में फूलों की रंगोली (जिसे “पुक्कलम” कहा जाता है) बहुत मशहूर है। इस तरह की रंगोली देखने में जितनी सुंदर होती है, उतनी ही इसकी खुशबू पूरे वातावरण को ताज़गी से भर देती है।
4. धान्य या अनाज से बनी रंगोली
कई जगहों पर लोग चावल, गेहूँ, दाल, मसाले या अनाज से रंगोली बनाते हैं। इसका महत्व यह होता है कि अन्न को देवताओं को अर्पित किया जाए। साथ ही यह पर्यावरण के अनुकूल और बहुत ही पारंपरिक तरीका है।
5. थीम आधारित रंगोली
आजकल क्रिएटिविटी का ज़माना है, इसलिए लोग थीम आधारित रंगोली भी बनाने लगे हैं। जैसे आज़ादी दिवस पर तिरंगा रंगोली, क्रिकेट मैच पर स्पोर्ट्स थीम रंगोली या किसी सामाजिक संदेश वाली रंगोली। यह रंगोली न सिर्फ सुंदर दिखती है बल्कि एक संदेश भी देती है।
6. डिजिटल या LED रंगोली
तकनीक के ज़माने में रंगोली भी मॉडर्न हो चुकी है। बाज़ार में आपको LED वाली इलेक्ट्रॉनिक रंगोली भी मिल जाएगी जिसे बस सजावट के लिए रखा जाता है। इसे बनाने में मेहनत कम लगती है लेकिन यह आकर्षक दिखती है।
7. धार्मिक प्रतीकों वाली रंगोली
कई लोग रंगोली में ओम, स्वस्तिक, श्री या देवी-देवताओं के चिह्न बनाते हैं। इसे बहुत शुभ माना जाता है। खासकर पूजा-पाठ या धार्मिक कार्यक्रमों में इस तरह की रंगोली बनाई जाती है।
रंगोली बनाने के फायदे?
- रंगोली घर में सकारात्मक ऊर्जा लाती है।
- यह त्योहारों को और सुंदर बनाती है।
- परिवार और बच्चों में क्रिएटिविटी बढ़ाती है।
- रंगोली बनाने से पारंपरिक कला जिंदा रहती है।
- यह देवी-देवताओं के स्वागत का प्रतीक है।

रंगोली से जुड़े 5 रोचक तथ्य?
- रंगोली को अलग-अलग राज्यों में अलग नाम से जाना जाता है। जैसे महाराष्ट्र में “रंगोली”, दक्षिण भारत में “कोलम”, बिहार-उत्तर प्रदेश में “अरिपन” और केरल में “पुक्कलम”।
- दुनिया के कई देशों ने भारत की रंगोली परंपरा को अपनाया है और अब इसे ग्लोबल लेवल पर “सैंड आर्ट” और “फ्लोरल आर्ट” के नाम से जाना जाता है।
- पुराने समय में रंगोली सिर्फ सफेद चावल के आटे से बनाई जाती थी ताकि चींटियाँ और पक्षी भी उससे अन्न ग्रहण कर सकें।
- राजस्थान में “मंडाना” नाम की रंगोली बहुत प्रसिद्ध है, जो दीवारों और फर्श पर बनाई जाती है।
- रंगोली को वास्तु शास्त्र में भी शुभ माना जाता है क्योंकि यह घर में शांति और सुख-समृद्धि लाती है।
निष्कर्ष:रंगोली कितने प्रकार की होती है?
अब आपको पता चल गया होगा कि रंगोली कितने प्रकार की होती है और हर प्रकार का अपना महत्व होता है। पारंपरिक रंगोली से लेकर फूलों की रंगोली और मॉडर्न LED रंगोली तक – हर एक में हमारी संस्कृति और कला की झलक मिलती है।
रंगोली सिर्फ रंगों का खेल नहीं है बल्कि यह हमारी संस्कृति, हमारी आस्था और हमारी रचनात्मकता की पहचान है। अगली बार जब आप कोई त्योहार मनाएँ, तो ज़रूर कोशिश करें कि रंगोली बनाकर अपने घर के दरवाज़े पर न सिर्फ सजावट करें बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और खुशियों को भी आमंत्रित करें।



Pingback: भाई दूज कब है 2025 || पूरी जानकारी - AyodhyaNaimish.com