रंगोली कहाँ बनाई जाती है?

भारत की संस्कृति इतनी रंगीन है कि हर त्योहार, हर अवसर अपनी अलग पहचान रखता है। इन्हीं परंपराओं में से एक है रंगोली बनाना। आपने देखा होगा कि दीपावली हो, शादी-ब्याह का अवसर हो या फिर कोई धार्मिक पूजा, लोग अपने घर के आँगन या दरवाज़े पर खूबसूरत रंगोली ज़रूर सजाते हैं। लेकिन बहुत लोग यह सवाल पूछते हैं। रंगोली कहाँ बनाई जाती है? और क्यों इसका इतना महत्व है? तो चलिए आपको इस विषय में विस्तार से बताते हैं, ताकि पढ़ने के बाद आपके मन में कोई सवाल न बचे।

रंगोली कहाँ बनाई जाती है
रंगोली कहाँ बनाई जाती है

रंगोली का सांस्कृतिक महत्व

रंगोली सिर्फ रंगों से बनी एक डिज़ाइन नहीं है, बल्कि यह हमारी परंपरा और आस्था का प्रतीक है। पुराने समय से ही माना जाता है कि रंगोली घर में सकारात्मक ऊर्जा लाती है और बुरी शक्तियों को दूर रखती है। यही वजह है कि त्योहारों पर सबसे पहले आँगन को साफ किया जाता है और फिर रंगोली बनाई जाती है।

इसके अलावा, रंगोली मेहमानों के स्वागत का भी प्रतीक है। जब कोई आपके घर आता है और दरवाज़े पर रंगोली देखता है, तो उसे अपनापन और खुशी महसूस होती है। यही कारण है कि रंगोली को “सौंदर्य और शुभता का द्वार” कहा जाता है।

रंगोली कहाँ बनाई जाती है?

अब आते हैं असली सवाल पर – रंगोली कहाँ बनाई जाती है?

  1. घर के मुख्य दरवाज़े पर : सबसे ज़्यादा रंगोली घर के मुख्य द्वार पर बनाई जाती है। इसका कारण है कि यह स्थान बाहर से आने वाली हर ऊर्जा का मार्ग होता है। जब दरवाज़े पर रंगोली बनती है, तो यह न केवल घर को आकर्षक बनाती है बल्कि घर में सकारात्मकता भी लाती है।
  2. आँगन में : गाँवों और कस्बों में लोग आँगन में रंगोली बनाते हैं। आँगन घर का केंद्र होता है, और यहीं से पूजा-पाठ, त्यौहार और उत्सव की शुरुआत मानी जाती है। आँगन में बनी रंगोली का आकार भी बड़ा होता है, जो देखने में बेहद सुंदर लगता है।
  3. पूजा स्थान पर : जब घर में किसी देवी-देवता की पूजा होती है, तो पूजा स्थल के सामने भी रंगोली बनाई जाती है। यह स्थान पवित्र माना जाता है और रंगोली से इसकी शोभा और भी बढ़ जाती है।
  4. शादी और विशेष अवसरों पर : शादियों में रंगोली सिर्फ दरवाज़े तक सीमित नहीं रहती, बल्कि मंडप, दूल्हा-दुल्हन के बैठने की जगह और बारात स्वागत स्थल पर भी रंगोली सजाई जाती है। यह परंपरा खासकर दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में बेहद लोकप्रिय है।
  5. दुकानों और कार्यस्थलों पर : दीपावली या अन्य शुभ अवसर पर दुकानों, दफ्तरों और व्यापारिक स्थानों पर भी रंगोली बनाई जाती है। ऐसा करने से माना जाता है कि लक्ष्मी माता प्रसन्न होती हैं और व्यवसाय में तरक्की मिलती है।

रंगोली बनाने की जगह क्यों खास मानी जाती है?

यह सिर्फ सुंदरता की बात नहीं है। दरअसल, रंगोली बनाने की जगह का भी अपना महत्व होता है। जब हम इसे मुख्य द्वार या आँगन में बनाते हैं, तो इसका सीधा संबंध ऊर्जा के प्रवाह से होता है। कहते हैं कि मुख्य द्वार से घर में जो भी शक्ति प्रवेश करती है, वह रंगोली से होकर आती है। यही कारण है कि रंगोली हमेशा प्रवेश द्वार पर बनाई जाती है। यह घर को नकारात्मक ऊर्जा से बचाती है और मेहमानों का स्वागत शुभ संकेतों के साथ करती है। पूजा स्थल पर बनाई गई रंगोली देवी-देवताओं की कृपा पाने का माध्यम मानी जाती है। वहीं शादी और अन्य अवसरों पर रंगोली बनाने का मकसद वातावरण को उत्सवमय और रंगीन बनाना है।

यह भी जानें – दिवाली रंगोली का इतिहास क्या है?

रंगोली से जुड़े धार्मिक विश्वास

रंगोली बनाना केवल एक कला नहीं बल्कि आस्था से जुड़ा काम है। हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि रंगोली बनाना घर में लक्ष्मी माता का स्वागत करने जैसा है। यही वजह है कि दीपावली पर हर घर में रंगोली ज़रूर बनाई जाती है। दक्षिण भारत में इसे “कोलम”, महाराष्ट्र में “रंगोली” और उत्तर भारत में “चौक पुरना” कहा जाता है। अलग-अलग नाम होने के बावजूद इसका उद्देश्य एक ही है – शुभता और समृद्धि लाना।

रंगोली कहाँ बनाई जाती है? परंपराओं में विविधता

भारत के अलग-अलग राज्यों में रंगोली बनाने की परंपरा थोड़ी-थोड़ी बदल जाती है।

  • दक्षिण भारत : यहाँ रोज़ सुबह महिलाएँ घर के दरवाज़े पर चावल के आटे से कोलम बनाती हैं।
  • महाराष्ट्र और गुजरात : यहाँ रंग-बिरंगे पाउडर और फूलों से रंगोली बनाई जाती है।
  • उत्तर भारत : यहाँ त्योहारों और शादियों में बड़े-बड़े आँगनों में रंगोली बनाई जाती है।

इस तरह हर जगह रंगोली का रूप अलग हो सकता है, लेकिन सवाल वही रहता है। रंगोली कहाँ बनाई जाती है? और इसका जवाब है। हर उस जगह पर जहाँ शुभता और सौंदर्य की ज़रूरत हो।

रंगोली से जुड़े 5 रोचक तथ्य

  1. रंगोली का ज़िक्र प्राचीन ग्रंथों और लोककथाओं में भी मिलता है।
  2. पहले रंगोली सिर्फ प्राकृतिक रंगों और चावल के आटे से बनाई जाती थी।
  3. कई जगहों पर माना जाता है कि रंगोली बनाने से घर में कीड़े-मकौड़े नहीं आते क्योंकि चावल के आटे से पक्षी और चींटियाँ भोजन पा लेते हैं।
  4. भारत के अलग-अलग राज्यों में रंगोली के 50 से भी ज़्यादा पारंपरिक डिज़ाइन प्रचलित हैं।
  5. आजकल डिजिटल और LED रंगोली भी लोकप्रिय हो गई है, लेकिन हाथों से बनी रंगोली की बात ही कुछ और होती है।

निष्कर्ष:रंगोली कहाँ बनाई जाती है?

तो दोस्त, अब आपको साफ-साफ समझ आ गया होगा कि रंगोली कहाँ बनाई जाती है? रंगोली सिर्फ दरवाज़े की सजावट नहीं है बल्कि यह हमारी परंपराओं, धार्मिक आस्था और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। चाहे घर का मुख्य द्वार हो, आँगन हो, पूजा का स्थान हो या फिर शादी और त्योहारों का अवसर – रंगोली हर जगह अपनी चमक बिखेरती है।

जब भी अगली बार आप रंगोली बनाओ, तो सिर्फ डिज़ाइन और रंगों पर ध्यान मत देना, बल्कि यह सोचो कि यह परंपरा हमारे जीवन में शुभता और खुशियाँ लाने के लिए कितनी अहम है। यही कारण है कि सदियों से लोग रंगोली बनाते आ रहे हैं और आने वाली पीढ़ियाँ भी इसे अपनाती रहेंगी।

Scroll to Top