धनतेरस मनाने का क्या कारण है?

भारत त्योहारों की धरती है। यहां हर महीने कोई न कोई पर्व आ ही जाता है और हर पर्व के पीछे कोई गहरी आस्था और परंपरा जुड़ी होती है। दीपावली से पहले मनाया जाने वाला धनतेरस भी ऐसा ही खास त्योहार है, जिसे लेकर लोगों के मन में बहुत उत्साह और आस्था रहती है।धनतेरस मनाने का क्या कारण है? इस दिन हर घर में दीप जलाए जाते हैं, खरीदारी होती है और मां लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी शुरू हो जाती है। लेकिन असली सवाल ये है कि आखिर धनतेरस मनाने का कारण क्या है? लोग इस दिन सोना-चांदी क्यों खरीदते हैं? और इस दिन का धार्मिक और पौराणिक महत्व क्या है?

धनतेरस मनाने का क्या कारण है
धनतेरस मनाने का क्या कारण है

धनतेरस का मतलब क्या है?

धनतेरस शब्द दो हिस्सों से मिलकर बना है“धन” यानी समृद्धि, वैभव और संपत्ति, और “तेरस” यानी कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि। यानी कार्तिक कृष्ण पक्ष की तेरहवीं तिथि को धनतेरस कहते हैं। यह वही दिन है जब दीपावली के पांच दिनी पर्व की शुरुआत होती है।

इस दिन का सबसे बड़ा महत्व यह है कि लोग मानते हैं कि इस दिन की गई खरीदारी घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाती है। यही कारण है कि इस दिन से बाजारों की रौनक बढ़ जाती है और हर कोई कुछ न कुछ नया खरीदना चाहता है।

पौराणिक कारण: धनतेरस क्यों मनाया जाता है?

अब बात करते हैं उन पौराणिक कथाओं की जिनकी वजह से धनतेरस का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

1. समुद्र मंथन और धन्वंतरि भगवान

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय अमृत कलश लेकर भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। इन्हें आयुर्वेद और चिकित्सा का देवता माना जाता है। तभी से इस दिन का नाम धनतेरस पड़ा और इसे शुभ माना जाने लगा। लोग मानते हैं कि इस दिन स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करने से भगवान धन्वंतरि का आशीर्वाद मिलता है।

2. यमराज के नाम दीपदान की परंपरा

एक और कथा के अनुसार, इस दिन दीप जलाने की परंपरा इसलिए शुरू हुई क्योंकि राजा हेम के पुत्र को अकाल मृत्यु का शाप मिला था। लेकिन उसकी पत्नी ने पूरे घर को दीपों से रोशन कर दिया और सोने-चांदी के गहनों से रास्ता भर दिया। यमराज जब प्राण लेने आए, तो चमक की वजह से वे अंदर नहीं जा पाए। तभी से धनतेरस पर यम दीपदान की परंपरा शुरू हुई, ताकि घर के सभी सदस्यों की आयु लंबी हो।

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धनतेरस पर खरीदारी क्यों की जाती है?

अब सवाल आता है कि लोग इस दिन खरीदारी क्यों करते हैं। असल में लोग मानते हैं कि धनतेरस पर खरीदी गई कोई भी चीज़ कभी नष्ट नहीं होती बल्कि दोगुनी बढ़ती है। इसी कारण से लोग सोना-चांदी, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक्स और गाड़ियां तक इस दिन खरीदते हैं। खासतौर पर चांदी के सिक्के और सोने के आभूषण खरीदना बेहद शुभ माना जाता है क्योंकि यह माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। आज के समय में भले ही लोग फैशनेबल चीजें खरीदने लगे हों, लेकिन परंपरा वही है।कुछ नया लेकर घर में समृद्धि का स्वागत करना।

धनतेरस की पूजा विधि और परंपरा

इस दिन घर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। लोग मानते हैं कि साफ-सुथरे घर में देवी लक्ष्मी का वास होता है। शाम को मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और यमराज की पूजा की जाती है। घर के द्वार पर दीपक जलाए जाते हैं और अंदर की ओर दक्षिण दिशा में भी एक दीपक रखा जाता है, जिसे यम दीप कहा जाता है। यह दीप मृत्यु के भय को दूर करने का प्रतीक माना जाता है।

धनतेरस का महत्व (Why Dhanteras is Important)

  1. यह दिन दीपावली की शुरुआत का प्रतीक है और पूरे त्योहार का शुभारंभ करता है।
  2. लोग मानते हैं कि इस दिन किया गया दान और खरीदारी जीवन में सुख-समृद्धि लाती है।
  3. यह दिन स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना से भी जुड़ा है क्योंकि यह भगवान धन्वंतरि का प्रकट दिवस है।
  4. घर में दीप जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक माहौल बनता है।
  5. यह दिन सिर्फ आर्थिक समृद्धि ही नहीं बल्कि मानसिक शांति और स्वास्थ्य से भी जुड़ा है।

आधुनिक समय में धनतेरस

पहले लोग धनतेरस पर केवल सोना-चांदी या बर्तन खरीदते थे। लेकिन आजकल इसका दायरा काफी बढ़ गया है। अब लोग मोबाइल, लैपटॉप, गाड़ियां, कपड़े और घर की सजावटी चीजें तक खरीदने लगे हैं। ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर भी इस दिन बड़े-बड़े ऑफर आते हैं। लेकिन चाहे चीज कोई भी हो, असली मायने वही रहते हैं—कुछ नया लेकर घर में खुशियों का स्वागत करना।

धनतेरस से जुड़े 5 रोचक तथ्य

  1. धनतेरस को आयुर्वेद दिवस भी कहा जाता है, क्योंकि भगवान धन्वंतरि को चिकित्सा का जनक माना जाता है।
  2. इस दिन को यम दीपदान दिवस भी कहते हैं, ताकि मृत्यु के भय से मुक्ति मिले।
  3. लोग मानते हैं कि इस दिन तांबे के बर्तन खरीदना सबसे शुभ होता है क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है।
  4. पुराने जमाने में किसान धनतेरस के दिन अपने औजार खरीदते थे और उन्हें पूजा कर खेतों में इस्तेमाल करते थे।
  5. दक्षिण भारत में इस दिन को धनत्रयोदशी कहा जाता है और इसे पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है।

निष्कर्ष:धनतेरस मनाने का क्या कारण है?

धनतेरस सिर्फ सोना-चांदी खरीदने का दिन नहीं है बल्कि यह स्वास्थ्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। यह त्योहार हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में सुख-संपत्ति जितनी जरूरी है, उतना ही जरूरी है स्वास्थ्य और दीर्घायु। जब हम दीप जलाते हैं, तो यह अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का संदेश देता है। तो अगली बार जब आप धनतेरस पर खरीदारी करें, तो सिर्फ परंपरा निभाने के लिए न करें, बल्कि इसे घर में खुशियां और सकारात्मकता लाने का जरिया मानें। यही है धनतेरस मनाने का असली कारण।

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