नमस्कार भाइयों तो कैसे हैं आप तो भाइयों आज हम बात करने वाले हैं,Ambe Maa Ki Aarti | अंबे माँ की आरती का महत्व और लाभ चलिए जानते हैं। भारत की संस्कृति और आस्था में माँ दुर्गा का बहुत बड़ा स्थान है। उन्हें शक्ति, भक्ति और करुणा का प्रतीक माना जाता है। माँ दुर्गा के कई स्वरूप हैं और उनमें से एक है अंबे माँ। भक्त मानते हैं कि Ambe Maa Ki Aarti गाने या सुनने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
आरती केवल पूजा का एक हिस्सा नहीं है बल्कि यह भगवान से जुड़ने का सबसे सरल और प्रभावशाली माध्यम है। जब भक्त पूरी श्रद्धा के साथ दीप जलाकर Ambe Maa Ki Aarti गाते हैं, तो पूरा वातावरण भक्ति रस से भर जाता है।
अम्बे माँ की आरती (जय अम्बे गौरी)
आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव कहैं।
जय अम्बे गौरी, मैया…
आरती का पाठ:
जय देवि माँ जगदम्बे माते।
सकल दुःख हरण करन वाली।
भक्त जनन के संकट हरन,
जय अम्बे गौरी मैया।
सिंह पर विराजित माँ जगदम्बे।
सकल जगत में ध्यानी प्यारी।
दुष्ट दलन करन वाली,
जय अम्बे गौरी मैया।
अन्न, जल, वस्त्र दान कर,
भक्तजनन की सहायिका।
संकट मोचन दुःख हरण,
जय अम्बे गौरी मैया।
भक्तों की रक्षा करती,
करुणा की मूरत प्यारी।
सदा प्रसन्न रहो माँ,
जय अम्बे गौरी मैया।
जो कोई भी तुम्हें ध्यावे,
सकल मनोकामना पावे।
दुःख, दरिद्रता मिटावे,
जय अम्बे गौरी मैया।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव कहैं।
Ambe Maa Ki Aarti | अंबे माँ की आरती का महत्व और लाभ

यह भी जानें – हनुमान जी के पिता का नाम क्या था?
Ambe Maa Ki Aarti का महत्व
आरती का अर्थ है “आराधना” यानी ईश्वर के प्रति प्रेम और आभार प्रकट करना। अंबे माँ की आरती का महत्व कई कारणों से खास है:
- शक्ति की प्राप्ति – अंबे माँ शक्ति का रूप हैं। उनकी आरती करने से जीवन में आत्मविश्वास और साहस आता है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश – माना जाता है कि आरती गाने से घर का वातावरण शुद्ध और सकारात्मक हो जाता है।
- भक्ति भाव बढ़ता है – आरती गाते समय भक्त पूरी तरह से माँ की भक्ति में डूब जाते हैं।
- संकट दूर होते हैं – माँ अंबे को संकट हरने वाली माना गया है। उनकी आरती करने से परेशानियां कम होती हैं।
- सुख-समृद्धि का आशीर्वाद – जो भक्त रोजाना या विशेष अवसर पर Ambe Maa Ki Aarti करते हैं, उनके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
Ambe Maa Ki Aarti कब करनी चाहिए?
आरती करने का सही समय भक्तों के लिए बहुत मायने रखता है।
- सुबह सूर्योदय के समय – दिन की शुरुआत भक्ति और सकारात्मकता से होती है।
- शाम सूर्यास्त के बाद – घर का वातावरण पवित्र और शांत हो जाता है।
- नवरात्रि के दिनों में – नवरात्रि पर माँ दुर्गा की पूजा विशेष मानी जाती है और हर दिन आरती की जाती है।
- त्योहारों और व्रतों पर – खासकर अष्टमी और नवमी पर Ambe Maa Ki Aarti करना बहुत फलदायी माना जाता है।
Ambe Maa Ki Aarti करने की विधि
सही तरीके से आरती करने से भक्ति का प्रभाव और भी गहरा हो जाता है।
- सबसे पहले पूजा स्थान को साफ करें और माँ अंबे की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- दीपक में घी या तेल डालकर जलाएं।
- फूल, चंदन और अगरबत्ती अर्पित करें।
- घंटी बजाते हुए पूरी श्रद्धा से आरती शुरू करें।
- आरती के अंत में परिवार और आसपास मौजूद लोगों के साथ प्रसाद बांटें।
Ambe Maa Ki Aarti के फायदे
अंबे माँ की आरती करने से भक्तों को केवल आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है।
- मन शांत होता है – भक्ति संगीत से तनाव और चिंता दूर होती है।
- घर का वातावरण सकारात्मक बनता है – नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है।
- परिवार में एकता आती है – सामूहिक आरती से परिवार के बीच प्रेम और एकता बढ़ती है।
- ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है – भक्ति गीत सुनने से मन एकाग्र होता है।
- भय और अवसाद दूर होते हैं – माँ की आरती से साहस और आत्मबल बढ़ता है।
Ambe Maa Ki Aarti के प्रसिद्ध बोल
भक्तों में कुछ खास आरती बहुत लोकप्रिय हैं, जिन्हें सुनकर मन भावविभोर हो जाता है। उनमें सबसे प्रमुख है:
“अंबे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली…”
यह आरती सदियों से भक्तों द्वारा गाई जा रही है और नवरात्रि में तो हर घर और मंदिर में इसकी गूंज सुनाई देती है।
Ambe Maa Ki Aarti कहां सुनें?
आज के समय में भजनों और आरती को सुनना बहुत आसान हो गया है।
- YouTube – T-Series Bhakti, Sanskar TV और कई अन्य चैनलों पर।
- Music Apps – Spotify, Gaana, Wynk और JioSaavn पर।
- भक्ति ऐप्स – Play Store और App Store पर उपलब्ध Bhakti Sangrah apps।
- लाइव आरती – कई मंदिर लाइव आरती का प्रसारण भी करते हैं।
Ambe Maa Ki Aarti | अंबे माँ की आरती का महत्व और लाभ

यह भी जानें – नैमिषारण्य का एक पवित्र स्थल मिश्रिख में एक दधीचि कुंड है
नवरात्रि में Ambe Maa Ki Aarti का महत्व
नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा की नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर दिन अलग-अलग स्वरूप की आराधना होती है।
- पहले दिन शैलपुत्री माँ की आरती
- दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी माँ की आरती
- तीसरे दिन चंद्रघंटा माँ की आरती
- … और इसी तरह नवमी तक।
लेकिन हर दिन Ambe Maa Ki Aarti विशेष रूप से गाई जाती है क्योंकि यह माँ दुर्गा के सभी स्वरूपों को समर्पित है।
घर पर Ambe Maa Ki Aarti करने के नियम
- आरती से पहले स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
- दीपक में तिल का तेल या घी का उपयोग करें।
- आरती के समय मोबाइल और बाहरी शोर से दूर रहें।
- मन और वाणी दोनों से माँ पर ध्यान केंद्रित करें।
- आरती के बाद परिवार में सभी को प्रसाद दें।
भक्तों यह भी जानें – खाटू श्याम जी की पूजा कैसे करें | पूरी जानकारी
निष्कर्ष: Ambe Maa Ki Aarti | अंबे माँ की आरती का महत्व और लाभ
Ambe Maa Ki Aarti केवल पूजा का एक हिस्सा नहीं बल्कि यह भक्त और माँ अंबे के बीच आध्यात्मिक जुड़ाव का माध्यम है। इसे करने से जीवन में शांति, शक्ति और समृद्धि का अनुभव होता है। चाहे आप मंदिर में हों या घर पर, श्रद्धा से गाई गई आरती हमेशा मन को सुकून और आत्मा को शुद्ध करती है।
भाइयों अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया हो तो कृपया अपना फीडबैक जरूर दें;
धन्यवाद भाइयों



Pingback: माँ दुर्गा जी से क्षमा प्रार्थना कैसे करें? - AyodhyaNaimish.com