जब भी वृंदावन का नाम आता है, तो सबसे पहले मन में भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी का ख्याल आता है। यहीं पर बना प्रेम मंदिर आज दुनिया भर के भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस भव्य मंदिर का इतिहास भी उतना ही खास है जितना इसका वैभव? चलिए, आपको एक-एक बात ऐसे बताते हैं प्रेम मंदिर का इतिहास क्या है? जैसे आप मेरे साथ मंदिर की सैर कर रहे हों।वृंदावन में स्थित प्रेम मंदिर एक भव्य और अद्भुत मंदिर है, जिसे जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने बनवाया था। इस मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 2001 में शुरू हुआ और करीब 11 सालों की मेहनत के बाद इसे 2012 में भक्तों के लिए खोला गया।

सफेद संगमरमर से बने इस मंदिर की खूबसूरती ऐसी है कि इसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। इसमें भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के जीवन से जुड़ी लीलाओं को बहुत ही सुंदर तरीके से चित्रित किया गया है। रात के समय जब यह मंदिर रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगाता है तो इसकी भव्यता और भी बढ़ जाती है।
इतिहास के अनुसार, प्रेम मंदिर सिर्फ पूजा-पाठ का स्थान नहीं है, बल्कि इसे भारतीय संस्कृति और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसकी नक्काशी, दीवारों पर उकेरी गई मूर्तियाँ और विशाल प्रांगण प्रेम और भक्ति का संदेश देते हैं। खास बात यह है कि यह मंदिर प्रेम और समर्पण के भाव को दर्शाने के लिए बनाया गया है, जिससे भक्त भगवान के दिव्य स्वरूप से जुड़ाव महसूस कर सकें। यही कारण है कि इसे “प्रेम का मंदिर” कहा जाता है।
प्रेम मंदिर का निर्माण और शुरुआत
प्रेम मंदिर की नींव साल 2001 में जगद्गुरु श्री कृपालु महाराज जी ने रखी थी। उनका सपना था कि वृंदावन में ऐसा मंदिर बने, जो सिर्फ ईश्वर के प्रेम और भक्ति का प्रतीक ही न रहे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी भक्ति के महत्व का संदेश दे। इस मंदिर का निर्माण करीब 11 साल तक चला और 17 फरवरी 2012 को इसे जनता के लिए खोल दिया गया।
मंदिर को बनाने में पूरी तरह से सफेद संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है। खास बात ये है कि इस संगमरमर पर बेहद बारीक नक्काशी की गई है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के जीवन से जुड़ी झलकियां दिखाई देती हैं। दिन में जब सूरज की रोशनी इस पर पड़ती है तो संगमरमर की चमक देखने लायक होती है और रात को लाइटिंग के साथ यह मंदिर किसी स्वप्नलोक जैसा नजर आता है।
मंदिर की वास्तुकला
प्रेम मंदिर को देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि इसे बनाने में कितनी बारीकी और धैर्य से काम किया गया है। मंदिर पूरी तरह से नक्काशीदार पत्थरों से बना है। बाहर की दीवारों पर रासलीला, गोवर्धन उठाते श्रीकृष्ण, और कालिया नाग पर नृत्य जैसे दृश्य उकेरे गए हैं।
मंदिर की ऊंचाई करीब 125 फीट है और इसका विस्तार 54 एकड़ में फैला हुआ है। चारों ओर बने बगीचे, फव्वारे और झांकियां इसे और भी दिव्य बनाते हैं। यहां पर घूमते हुए ऐसा लगता है मानो आप किसी स्वर्गिक लोक में आ गए हों।
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प्रेम मंदिर का धार्मिक महत्व
अब बात करें इसके धार्मिक महत्व की, तो इसका नाम ही सब कुछ कहता है – “प्रेम”। यहां आने वाले भक्तों को सिर्फ पूजा-पाठ का ही नहीं बल्कि भक्ति के असली अर्थ का अनुभव होता है। यह मंदिर सिर्फ एक इमारत नहीं बल्कि भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के बीच के दिव्य प्रेम का प्रतीक है।
कहते हैं कि जो भक्त यहां सच्चे मन से आते हैं और प्रेमभाव से प्रार्थना करते हैं, उन्हें भगवान का आशीर्वाद अवश्य मिलता है। यही वजह है कि यहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु हर साल आते हैं।
प्रेम मंदिर की खास झांकियां
मंदिर का असली आकर्षण है इसकी झांकियां और लाइट शो। शाम को जब मंदिर में लाइटिंग होती है, तो पूरा वातावरण मंत्रमुग्ध कर देता है।
- श्रीकृष्ण की रासलीला – यहां पर बनी मूर्तियां इतनी जीवंत लगती हैं कि लगता है मानो अभी श्रीकृष्ण बांसुरी बजाने लगेंगे और गोपियां नृत्य करने लगेंगी।
- गोवर्धन पर्वत उठाते कृष्ण – यह झांकी भी बेहद लोकप्रिय है। भगवान के बचपन के उस महान कार्य को यहां बारीकी से दर्शाया गया है।
ऐसी कई झांकियां और मूर्तियां हैं जो आपको भगवान की दिव्य लीलाओं से जोड़ देती हैं।
प्रेम मंदिर और पर्यटक
आज के समय में प्रेम मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि पर्यटन का भी बड़ा केंद्र बन चुका है। वृंदावन आने वाला कोई भी पर्यटक प्रेम मंदिर देखे बिना नहीं लौटता। खासकर छुट्टियों और त्योहारों पर यहां अपार भीड़ होती है।
यहां पर आने के बाद लोग फोटोग्राफी करना नहीं भूलते, क्योंकि मंदिर का हर कोना फोटो खिंचवाने लायक होता है। हालांकि मंदिर के नियम भी हैं और भक्तों को उनका पालन करना चाहिए।
प्रेम मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें
अब आप सोच रहे होंगे कि प्रेम मंदिर में ऐसा क्या खास है जो इसे इतना लोकप्रिय बनाता है। चलिए, आपको 5 रोचक तथ्य बताते हैं जो शायद आपको अभी तक नहीं पता होंगे।
- प्रेम मंदिर को बनाने में करीब 100 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
- इसे बनाने में राजस्थान और मथुरा के सैकड़ों कारीगरों ने 11 साल तक लगातार काम किया।
- मंदिर में इस्तेमाल हुआ सफेद संगमरमर मकराना (राजस्थान) से लाया गया था, वही जगह जहां से ताजमहल के लिए भी पत्थर आया था।
- यह मंदिर रात को LED लाइटिंग से जगमगाता है और दूर से देखने पर किसी सपनों के महल जैसा लगता है।
- मंदिर परिसर में लगे फव्वारे और झांकियां हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

निष्कर्ष:प्रेम मंदिर का इतिहास क्या है?
अगर आप पूछें कि प्रेम मंदिर का इतिहास क्या है, तो इसका सीधा सा उत्तर है – यह सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि ईश्वर के प्रेम, भक्ति और आस्था की जीवंत मिसाल है। इसे बनाने का उद्देश्य यही था कि आने वाली पीढ़ियां भक्ति के महत्व को समझें और भगवान से अपने रिश्ते को और गहरा करें।
जब आप प्रेम मंदिर जाते हैं, तो वहां की शांति, भव्यता और दिव्यता आपको भीतर तक छू जाती है। चाहे आप भक्त हों या सिर्फ पर्यटक, एक बार इस मंदिर को देखने के बाद आप इसे कभी नहीं भूल सकते।