हनुमान जी के पिता का नाम क्या था?

जब भी भगवान हनुमान जी का नाम लिया जाता है, हमारे मन में एक ऐसी छवि बनती है जो साहस, शक्ति, भक्ति और निष्ठा का प्रतीक है। हनुमान जी को “राम भक्त” और “अंजनीपुत्र” भी कहा जाता है। लेकिन बहुत से लोग यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि आखिर हनुमान जी के पिता कौन थे और उनका नाम क्या था। धार्मिक ग्रंथों में इस बारे में विस्तार से बताया गया है, और अगर आप भी इस प्रश्न का सही उत्तर जानना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं।

हनुमान जी के पिता का नाम क्या था
हनुमान जी के पिता का नाम क्या था

दरअसल, हनुमान जी के पिता का नाम केसरी था। यही कारण है कि उन्हें “केसरी नंदन” भी कहा जाता है। उनकी माता का नाम अंजना था, और इसी वजह से हनुमान जी को “अंजनीपुत्र” कहा जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि केसरी कौन थे, उनका वंश क्या था और उनका जीवन कैसा था? आइए इस पूरे रहस्य को विस्तार से समझते हैं।

हनुमान जी के पिता केसरी कौन थे?

हनुमान जी के पिता केसरी एक वानर राजा थे। वे बहुत ही पराक्रमी, वीर और धर्मनिष्ठ शासक थे। केसरी का निवास स्थान ऋष्यमूक पर्वत के पास कहा जाता है। पुराणों और रामायण के अनुसार, केसरी वानर समुदाय के एक प्रभावशाली योद्धा थे और उनका नाम दूर-दूर तक प्रसिद्ध था।

आपने अक्सर सुना होगा कि हनुमान जी को “पवनपुत्र” भी कहा जाता है। इसका कारण यह है कि उनके जन्म में पवन देव (वायु देवता) का भी महत्वपूर्ण योगदान था। लेकिन हनुमान जी के वास्तविक पिता केसरी ही थे। इसीलिए भक्त लोग उन्हें कई नामों से याद करते हैं। “केसरी नंदन”, “अंजनीपुत्र”, और “पवनपुत्र”।

माता अंजना और हनुमान जी का जन्म

हनुमान जी की माता का नाम अंजना था। अंजना एक अप्सरा थीं, जिन्हें एक शाप के कारण धरती पर जन्म लेना पड़ा। वे अत्यंत रूपवान और धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। अंजना ने भगवान शिव की आराधना की थी ताकि उन्हें एक महान और शक्तिशाली पुत्र की प्राप्ति हो सके।

भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें एक वरदान दिया कि उन्हें एक ऐसा पुत्र प्राप्त होगा जो अत्यंत बलवान, बुद्धिमान और वीर होगा। इसी वरदान और पवन देव की कृपा से हनुमान जी का जन्म हुआ। इसलिए हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार भी माना जाता है।

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केसरी नंदन क्यों कहा जाता है?

हनुमान जी को “केसरी नंदन” कहने का अर्थ है। केसरी के पुत्र। केसरी ने अपने पराक्रम और साहस से वानर समाज में एक विशेष स्थान बनाया था। उनके पुत्र के रूप में हनुमान जी का जन्म होना कोई साधारण बात नहीं थी।

रामायण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में हनुमान जी का परिचय देते समय अक्सर कहा जाता है।
राम दूत अतुलित बल धामा, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।
इस चौपाई में भी स्पष्ट है कि हनुमान जी के नाम के साथ माता-पिता दोनों का उल्लेख किया जाता है।

हनुमान जी का व्यक्तित्व और पिता से जुड़ी शिक्षाएं

हनुमान जी में जो पराक्रम और साहस देखने को मिलता है, उसका एक बड़ा हिस्सा उनके पिता केसरी से मिला था। एक योद्धा परिवार में जन्म लेने के कारण बचपन से ही उनमें साहस, निडरता और वीरता की झलक थी। वहीं, माता अंजना से उन्हें भक्ति और आध्यात्मिक शक्ति मिली।

इस तरह, हनुमान जी का जीवन यह सिखाता है कि किसी भी व्यक्ति के अंदर पिता से साहस और माता से संस्कार दोनों का मेल होना जरूरी है। शायद यही कारण है कि हनुमान जी आज भी “शक्ति और भक्ति” का अद्वितीय संगम माने जाते हैं।

क्यों कहा जाता है पवनपुत्र?

बहुत से लोग यहां भ्रमित हो जाते हैं कि अगर हनुमान जी के पिता केसरी थे, तो फिर उन्हें पवनपुत्र क्यों कहा जाता है। इसका कारण यह है कि हनुमान जी के जन्म में वायु देव का विशेष योगदान था। कथा के अनुसार, जब अंजना माता ने भगवान शिव की आराधना की, तो उस समय वायु देव ने शिव के आशीर्वाद को उनके गर्भ में पहुंचाया। इसी वजह से हनुमान जी को “पवनपुत्र” भी कहा जाता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनके पिता केसरी नहीं थे। वे उनके वास्तविक पिता थे, जबकि पवन देव उनके जन्मदाता के रूप में पूजनीय माने जाते हैं।

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख

रामायण, पुराण और अन्य कई धार्मिक ग्रंथों में केसरी का उल्लेख मिलता है। वे न केवल हनुमान जी के पिता थे, बल्कि एक आदर्श योद्धा और धर्मनिष्ठ राजा भी थे। उनका जीवन यह बताता है कि वीरता और धर्म पालन दोनों साथ-साथ चल सकते हैं।

आज भी जब लोग हनुमान जी को “केसरी नंदन” कहकर याद करते हैं, तो यह केवल एक नाम नहीं बल्कि पिता के सम्मान का प्रतीक है। यह हमें भी यह सिखाता है कि हमें अपने माता-पिता के नाम को गर्व से लेना चाहिए।

हनुमान जी से जुड़े 5 रोचक तथ्य

  1. हनुमान जी को एक साथ कई नामों से जाना जाता है। अंजनीपुत्र, केसरी नंदन, पवनपुत्र, महावीर और बजरंगबली।
  2. उनके पिता केसरी एक पराक्रमी वानर राजा थे, जिनकी वीरता का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है।
  3. हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां रुद्र अवतार माना जाता है।
  4. बाल्यकाल में हनुमान जी ने सूर्य को फल समझकर निगल लिया था, जिसके कारण उन्हें अद्भुत शक्तियों का आशीर्वाद मिला।
  5. हनुमान जी आज भी अमर हैं और कहा जाता है कि वे हर जगह अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

निष्कर्ष:हनुमान जी के पिता का नाम क्या था?

अब आपके मन में यह सवाल बिल्कुल साफ हो गया होगा कि हनुमान जी के पिता का नाम केसरी था। इसलिए उन्हें “केसरी नंदन” कहा जाता है। उनकी माता का नाम अंजना था और पवन देव की कृपा से उनका जन्म हुआ, इसलिए वे “पवनपुत्र” भी कहलाए।

हनुमान जी की कथा केवल एक धार्मिक कहानी नहीं है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि एक इंसान के जीवन में माता-पिता का कितना बड़ा योगदान होता है। केसरी और अंजना जैसे माता-पिता के संस्कारों की वजह से ही हनुमान जी इतने महान बने। अगर आप हनुमान जी के नाम का सच्चा अर्थ समझना चाहते हैं, तो आपको उनके माता-पिता के योगदान को भी जानना जरूरी है। और यही इस लेख का मुख्य उद्देश्य था कि आपको पूरी जानकारी दी जाए, ताकि आपको दूसरी वेबसाइट पर जाकर खोजने की ज़रूरत ही न पड़े।

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