अगर आपने कभी खाटू श्याम जी का नाम सुना है तो आपको पता ही होगा कि ये मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गाँव में स्थित है। कहते हैं कि श्याम बाबा यानि भगवान श्रीकृष्ण के ही रूप में यहाँ उनकी पूजा होती है और लोग उन्हें बेहद श्रद्धा से “खाटू श्याम” कहकर पुकारते हैं। यहाँ पर हर दिन हजारों भक्त आते हैं और सबसे खास रस्मों में से एक है श्याम बाबा का अभिषेक।
अभिषेक का मतलब होता है भगवान को स्नान कराना या उनके विग्रह (प्रतिमा) पर विशेष तरीके से दूध, दही, शहद, घी, गंगा जल और चंदन आदि से स्नान कराना। लेकिन खाटू श्याम मंदिर का अभिषेक सिर्फ साधारण प्रक्रिया नहीं है, ये एक तरह से आस्था और भक्ति का उत्सव है।
खाटू श्याम मंदिर में अभिषेक की शुरुआत कैसे होती है
सुबह-सुबह जब मंदिर के पट खोले जाते हैं तो सबसे पहले भगवान का मंगला आरती होता है। इसके बाद पुजारीगण विशेष तरीके से श्याम बाबा को स्नान कराते हैं। स्नान करने के लिए अलग-अलग पवित्र द्रव्यों का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे : दूध, दही, घी, शहद और शुद्ध जल। इसे पंचामृत भी कहते हैं।

पंचामृत से श्याम बाबा का अभिषेक करते वक्त मंत्रोच्चारण भी होते रहते हैं। यह सिर्फ पूजा नहीं बल्कि भक्तों के लिए भावनाओं का संगम है। जब मंदिर में गूंजते हुए भजन और घंटियों की आवाज़ के बीच अभिषेक किया जाता है तो हर भक्त को ऐसा लगता है मानो वो खुद भी भगवान के चरणों में बैठा हो।
अभिषेक की पूरी प्रक्रिया
अभिषेक एक-एक चरण में होता है और हर चरण का अलग महत्व है।
- गंगा जल से शुद्धिकरण : सबसे पहले श्याम बाबा के विग्रह को गंगाजल से स्नान कराया जाता है। गंगाजल को पवित्र माना जाता है और ये चरण शुद्धिकरण का होता है।
- दूध से स्नान : इसके बाद बाबा को दूध से स्नान कराया जाता है। दूध शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
- दही और शहद : फिर दही और शहद से अभिषेक किया जाता है। मान्यता है कि ये समृद्धि और मधुरता का प्रतीक है।
- घी और चंदन : घी से स्नान कराने के बाद चंदन और सुगंधित द्रव्यों का लेप किया जाता है। इससे भगवान को ठंडक मिलती है और माहौल भी सुगंधित हो जाता है।
- विशेष फूल और जल : अंत में विशेष पुष्पों और जल से स्नान कराकर भगवान को सुंदर वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं।
अभिषेक के बाद बाबा की शृंगार आरती होती है। इस समय भक्तों को बाबा के सुंदर स्वरूप के दर्शन मिलते हैं।
अभिषेक का महत्व क्यों है?
अभिषेक सिर्फ पूजा की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसे करने के पीछे गहरा आध्यात्मिक भाव जुड़ा हुआ है। भक्त मानते हैं कि बाबा को स्नान कराते वक्त उनके सारे दुःख और तकलीफें भी धुल जाती हैं। इसी वजह से बहुत से लोग अपने हाथों से अभिषेक करने की इच्छा रखते हैं।लेकिन खाटू श्याम मंदिर में रोज़ का अभिषेक पुजारियों द्वारा ही किया जाता है। भक्त केवल विशेष अवसरों पर या दान-पुण्य के तहत अभिषेक का हिस्सा बन सकते हैं।
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खाटू श्याम मंदिर में अभिषेक देखने का सही समय?
अगर आप खाटू श्याम जी का अभिषेक देखना चाहते हैं तो सुबह का समय सबसे उत्तम है। प्रातः काल में जब मंदिर खुलता है तो अभिषेक की प्रक्रिया शुरू होती है। इस समय का वातावरण बहुत ही शांत, भक्ति से भरा और दिव्य होता है। रविवार और खास मौकों जैसे एकादशी, पूर्णिमा और फाल्गुन मेला पर भक्तों की भीड़ ज़्यादा होती है। इन दिनों अभिषेक देखने का अनुभव और भी अलग होता है।
भक्तों के अनुभव?
कई भक्त कहते हैं कि जब वो पहली बार श्याम बाबा का अभिषेक देखते हैं तो आँखों से आँसू अपने आप निकल आते हैं। ये आँसू दुख के नहीं बल्कि भक्ति और प्रेम के होते हैं। वहाँ का माहौल इतना पवित्र और भावुक होता है कि कोई भी भक्त खुद को रोक नहीं पाता। कहते हैं कि जिस किसी को भी बाबा के अभिषेक के दर्शन करने का सौभाग्य मिलता है, उसकी ज़िंदगी में सकारात्मक ऊर्जा और शांति आ जाती है।

5 रोचक तथ्य खाटू श्याम मंदिर के अभिषेक से जुड़े?
- खाटू श्याम जी का अभिषेक करने के लिए पंचामृत का इस्तेमाल होता है, जिसमें पाँचों तत्वों का महत्व माना जाता है।
- हर साल फाल्गुन मेले में विशेष अभिषेक होता है, जिसे देखने के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं।
- मंदिर में उपयोग होने वाला जल और द्रव्य पूरी तरह शुद्ध और पवित्र जगह से लाए जाते हैं।
- अभिषेक के बाद जो पंचामृत बचता है, उसे भक्त प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
- माना जाता है कि खाटू श्याम जी के अभिषेक के दर्शन मात्र से मनोकामना पूरी होती है।
निष्कर्ष:खाटू श्याम मंदिर में अभिषेक कैसे होता है? पूरी जानकारी
खाटू श्याम मंदिर में अभिषेक एक साधारण पूजा नहीं बल्कि आस्था और प्रेम का प्रतीक है। सुबह के समय जब बाबा को पंचामृत स्नान कराया जाता है, तो हर तरफ दिव्यता और भक्ति का माहौल होता है। अगर आप कभी खाटू श्याम मंदिर जाएँ तो कोशिश कीजिए कि आप इस अभिषेक के दर्शन ज़रूर करें। ये अनुभव आपको जीवनभर याद रहेगा।
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