नैमिषारण्य का इतिहास क्या है: नमस्कार दोस्तों , आज हम बात करेंगे सीतापुर जिले के सबसे फेमस और पवित्र स्थान नैमिषारण्य की। तो चलिए जानते है कि इसके इतने फेमस होने का कारण और इतिहास क्या है कैसे यह एक पवित्र स्थान बन गया।
भारत की धरती पर हजारों ऐसे पवित्र स्थल हैं जिनका जिक्र पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। इन्हीं पवित्र स्थलों में से एक है नैमिषारण्य। यह जगह उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में गोमती नदी के किनारे स्थित है। कहा जाता है कि यहाँ आने से इंसान को पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में शांति का अनुभव होता है। अगर आप धर्म और अध्यात्म में थोड़ी-सी भी आस्था रखते हैं तो नैमिषारण्य का नाम आपने ज़रूर सुना होगा।
नैमिषारण्य का इतिहास क्या है?
नैमिषारण्य का नाम संस्कृत शब्द नैमिष से लिया गया है, जिसका अर्थ है “एक क्षण”। धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच जब भयंकर युद्ध हुआ, तब ऋषि-मुनियों ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से असुरों का नाश एक ही क्षण (नैमिष) में कर दिया। जिस जगह यह दिव्य घटना हुई, वही स्थान नैमिषारण्य कहलाया।
महाभारत और पुराणों में भी इस स्थान का कई बार उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि महर्षि व्यास ने यहीं पर वेदों का विभाजन और पुराणों की रचना की थी। यहीं पर 88,000 ऋषियों ने एक साथ बैठकर तपस्या की थी। यही वजह है कि यह स्थान सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है।

नैमिषारण्य क्यों फेमस है?
- चक्र तीर्थ – यहाँ एक विशाल कुंड है, जिसे चक्र तीर्थ कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र यहीं गिरा था। भक्त मानते हैं कि इस कुंड में स्नान करने से सभी पाप मिट जाते हैं।
- व्यास गादी – यह स्थान महर्षि व्यास को समर्पित है, जहाँ उन्होंने वेद और पुराणों का ज्ञान दिया।
- हनुमान गढ़ी – यहाँ हनुमान जी का मंदिर है जहाँ दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
- ललिता देवी मंदिर – यह मंदिर देवी शक्ति को समर्पित है और इसे 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
- धार्मिक उत्सव – नैमिषारण्य में हर साल माघ मेला और कार्तिक पूर्णिमा का मेला लगता है, जहाँ लाखों श्रद्धालु स्नान और पूजा के लिए पहुँचते हैं।
नैमिषारण्य का महत्व:
- यह स्थान तीर्थों का तीर्थ माना जाता है, यानी यहाँ एक बार आना सौ अन्य तीर्थों की यात्रा के बराबर है।
- यहाँ गोमती नदी का उद्गम होता है, जिसे पवित्र और जीवनदायिनी नदी माना गया है।
- जो भी व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से यहाँ दर्शन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- यहाँ की प्राकृतिक शांति और आध्यात्मिक वातावरण मन को संतुलित करता है।
नैमिषारण्य की आरती:
ॐ जय नैमिष धाम सुखदायी,
ऋषि-मुनि तप स्थल कहायी।
गोमती किनारे तेरा वास,
मोक्ष का यहाँ मिलता है आभास।
चक्र तीर्थ पावन जलधारा,
पाप हरन भवसागर तारा।
ललिता माँ का शक्तिपीठ,
भक्तों के संकट करे निपट।
जय-जय नैमिष पावन धाम,
सबको मिले तेरा गुणगान।
जो भी श्रद्धा से गुनगाता,
जीवन में सुख-शांति पाता।
निष्कर्ष:
नैमिषारण्य सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक धरोहर है। यहाँ इतिहास, आस्था और अध्यात्म तीनों का संगम देखने को मिलता है। महर्षि व्यास की तपोभूमि और भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से जुड़ी मान्यताएँ इसे और भी पवित्र बनाती हैं। यही वजह है कि नैमिषारण्य को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है और यहाँ आने वाला हर व्यक्ति आत्मिक शांति और भक्ति का अनुभव करता है।
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