अगर आप भारतीय पौराणिक कथाओं और तीर्थ स्थलों में थोड़ी भी दिलचस्पी रखते हैं, तो आपने “नैमिषारण्य” का नाम जरूर सुना होगा।नैमिषारण्य किस जिले में पड़ता है? पूरी जानकारी यह सिर्फ एक जगह नहीं बल्कि आस्था और इतिहास का संगम है। सवाल यही उठता है कि आखिर नैमिषारण्य किस जिले में पड़ता है? तो सीधी बात ये है कि नैमिषारण्य उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित है। लेकिन सिर्फ इतना जान लेना ही काफी नहीं है। असली मज़ा तो तब है जब इसके इतिहास, महत्व और खासियतों को गहराई से समझा जाए। चलिए इसे आराम से, अपने ही अंदाज़ में समझते हैं।
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नैमिषारण्य का भौगोलिक और धार्मिक महत्व?
नैमिषारण्य, जिसे अक्सर “नैमिषारण्य तीर्थ” कहा जाता है, उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में गोमती नदी के किनारे बसा हुआ है। यह जगह इतनी पवित्र मानी जाती है कि कहा जाता है यहां आने से इंसान के सारे पाप धुल जाते हैं। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं, खासकर अमावस्या और पूर्णिमा के अवसर पर।
भौगोलिक तौर पर देखें तो यह जगह लखनऊ से करीब 95 किलोमीटर और सीतापुर शहर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर पड़ती है। यहां तक पहुंचना भी काफी आसान है क्योंकि लखनऊ और सीतापुर से सीधी बसें और टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं।
नैमिषारण्य का पौराणिक इतिहास?
अब अगर इतिहास और पुराणों की बात करें, तो नैमिषारण्य का नाम महाभारत, रामायण और पुराणों में बार-बार आता है। कहा जाता है कि यही वह स्थान है जहां 88,000 ऋषियों ने एक साथ तपस्या की थी। यहीं पर वेद व्यास जी ने महाभारत की रचना सुनाई थी।
नैमिषारण्य का सबसे बड़ा आकर्षण “चक्र तीर्थ” है। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने अपने चक्र से इस जगह को पवित्र किया था और तभी से इसका नाम पड़ा नैमिषारण्य। यहां एक बड़ा तालाब है जिसे चक्र तीर्थ कहा जाता है, श्रद्धालु इसमें स्नान करके पुण्य अर्जित करते हैं।
नैमिषारण्य किस जिले में है। विस्तार से समझें?
सीधे सवाल का जवाब तो यही है कि नैमिषारण्य सीतापुर जिले में है। लेकिन इसके साथ ही जानना जरूरी है कि यह जगह सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि पर्यटन और सांस्कृतिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है।
सीतापुर जिला वैसे तो कृषि प्रधान क्षेत्र है, लेकिन नैमिषारण्य की वजह से यह पूरे भारत में पहचाना जाता है। यहां सालभर धार्मिक मेले और आयोजन चलते रहते हैं। खासतौर पर कार्तिक पूर्णिमा, रामनवमी और हर अमावस्या पर यहां भारी भीड़ उमड़ती है।
यहां जाने का सही समय?
अगर आप नैमिषारण्य जाने का सोच रहे हैं तो मौसम को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है।
- गर्मियों में यहां बहुत गर्मी पड़ती है, इसलिए अप्रैल से जून का समय थोड़ा कठिन हो सकता है।
- सबसे अच्छा समय है अक्टूबर से मार्च तक का। इस दौरान मौसम ठंडा और सुहावना रहता है, और यात्रा का मज़ा दोगुना हो जाता है।
- धार्मिक दृष्टि से देखें तो अमावस्या और पूर्णिमा के दिन यहां विशेष मेले लगते हैं, उस समय जाने पर आपको अलग ही अनुभव मिलेगा।
नैमिषारण्य क्यों है इतना खास?
अब आप सोच रहे होंगे कि भारत में तो हजारों धार्मिक स्थल हैं, फिर नैमिषारण्य को इतना खास क्यों माना जाता है? तो इसके पीछे कई कारण हैं।
- चक्र तीर्थ : यहां स्नान करने से सारे पाप मिट जाते हैं, ऐसी मान्यता है।
- व्यास गद्दी : यही वो स्थान है जहां वेद व्यास जी ने ऋषियों को महाभारत और पुराण सुनाए थे।
- हनुमानगढ़ी : कहा जाता है कि यहां हनुमान जी ने तपस्या की थी।
- ललिता देवी मंदिर: नैमिषारण्य शक्ति पीठों में से एक है, यहां ललिता देवी का मंदिर बेहद प्रसिद्ध है।
- दर्शन और साधना : यह जगह सिर्फ मंदिरों तक सीमित नहीं है, यहां का वातावरण साधना और ध्यान के लिए भी बेहद उपयुक्त है।
नैमिषारण्य से जुड़े 5 रोचक तथ्य?
- कहा जाता है कि भगवान विष्णु का चक्र यहां गिरा था, तभी इस स्थान का नाम पड़ा नैमिषारण्य।
- यहां स्थित ललिता देवी मंदिर को 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है।
- पुराणों में वर्णन है कि यहां 88,000 ऋषियों ने मिलकर तपस्या की थी।
- हर साल लाखों श्रद्धालु यहां कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने आते हैं।
- माना जाता है कि अगर कोई श्रद्धालु यहां सिर्फ एक दिन भी रहता है तो उसे सौ यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।

नैमिषारण्य यात्रा से जुड़ी सुविधाएं?
अगर आप यहां यात्रा करने का प्लान बना रहे हैं, तो जान लीजिए कि यहां रहने और खाने-पीने की अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हैं। सीतापुर और लखनऊ से यहां आसानी से बस और टैक्सी मिल जाती हैं। आसपास धर्मशालाएं और होटल भी बने हुए हैं। यहां का लोकल बाजार भी खास है। धार्मिक वस्तुएं, पूजन सामग्री और स्थानीय खाने-पीने की चीजें यहां आसानी से मिल जाती हैं।
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निष्कर्ष:नैमिषारण्य किस जिले में पड़ता है? पूरी जानकारी
तो अब आपके मन में यह सवाल बिल्कुल साफ हो गया होगा कि नैमिषारण्य किस जिले में पड़ता है? इसका सीधा जवाब है – सीतापुर जिला, उत्तर प्रदेश। लेकिन इस एक लाइन के जवाब से कहीं ज्यादा रोचक है इस जगह की पौराणिक गाथा, धार्मिक महत्व और आस्था से जुड़ी कहानियां।
अगर आप आध्यात्मिक यात्रा करना चाहते हैं, भीड़-भाड़ से दूर कुछ सुकून के पल बिताना चाहते हैं, तो नैमिषारण्य आपके लिए एकदम सही जगह है। यहां आकर आपको इतिहास, धर्म और संस्कृति – तीनों का संगम देखने को मिलेगा।
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