अगर आपने कभी धार्मिक यात्राओं के बारे में सोचा है तो “नैमिषारण्य” का नाम जरूर सुना होगा। इसे नैमिषारण्य धाम या नैमिषारण्य तीर्थ भी कहा जाता है।नैमिषारण्य कब जाना चाहिए || पूरी जानकारी ये जगह सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं बल्कि एक ऐसा पवित्र धाम है, जिसका जिक्र वेद-पुराणों में भी मिलता है। कहा जाता है कि यहाँ आकर इंसान को आध्यात्मिक शांति, मोक्ष की प्राप्ति और ईश्वर से जुड़ने का अहसास होता है।लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही आता है कि नैमिषारण्य जाने का सही समय कब है? क्योंकि यात्रा का अनुभव तभी अच्छा होगा जब मौसम आरामदायक हो, भीड़-भाड़ सही समय पर मिले और दर्शन का पूरा आनंद लिया जा सके।
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नैमिषारण्य का महत्व?
सबसे पहले ज़रा ये समझ लो कि नैमिषारण्य आखिर है कहाँ और क्यों इतना खास माना जाता है। उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले में स्थित ये धाम हिंदुओं के प्रमुख धार्मिक स्थलों में गिना जाता है। पुराणों में इसे 88,000 ऋषियों की तपोभूमि कहा गया है। यहाँ चक्रतीर्थ नामक कुंड है जिसके बारे में मान्यता है कि भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र यहीं आकर रुका था और उसी जगह ये पवित्र तीर्थ बना।
कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति यहाँ स्नान करता है तो उसे पापों से मुक्ति मिलती है और उसके जीवन में शांति आती है। यही वजह है कि सालभर देशभर से श्रद्धालु यहाँ दर्शन करने आते हैं।
नैमिषारण्य घूमने का सही समय
अब बात करते हैं असली मुद्दे पर – “नैमिषारण्य कब जाना चाहिए?”
देख भाई, वैसे तो नैमिषारण्य सालभर खुला रहता है और किसी भी समय दर्शन किए जा सकते हैं, लेकिन मौसम और त्यौहारों के हिसाब से कुछ समय सबसे बेस्ट माने जाते हैं।
- अक्टूबर से मार्च तक का समय सबसे अच्छा है – इस दौरान उत्तर प्रदेश में मौसम ठंडा और सुहावना रहता है। सर्दियों की हल्की धूप में यात्रा करने का अलग ही मज़ा है। भीड़ भी कंट्रोल में रहती है और लंबे समय तक आराम से घूम सकते हो।
- गर्मियों से बचना ही अच्छा है – अप्रैल से जून तक यहाँ बहुत गर्मी पड़ती है। यात्रा थोड़ी मुश्किल हो सकती है, खासकर अगर परिवार और बुजुर्ग साथ हों।
- बरसात का मौसम (जुलाई से सितंबर) – ये समय थोड़ा अनिश्चित होता है। बारिश की वजह से सफर में दिक्कत आ सकती है लेकिन प्राकृतिक खूबसूरती और हरियाली देखने लायक होती है। अगर बारिश में भीगने और यात्रा करने में मज़ा आता है तो ये मौसम भी खराब नहीं है।
- त्योहार और मेलों का समय – अगर धार्मिक महत्व के लिहाज़ से देखो तो कार्तिक पूर्णिमा, राम नवमी, शिवरात्रि और माघ मेला जैसे अवसरों पर यहाँ विशेष भीड़ होती है। उस समय माहौल बेहद आध्यात्मिक और जीवंत हो जाता है।
तो कुल मिलाकर, अगर आप आराम और शांति के साथ नैमिषारण्य घूमना चाहते हो तो अक्टूबर से मार्च का समय बेस्ट है। और अगर धार्मिक ऊर्जा और मेले का आनंद लेना चाहते हो तो किसी बड़े पर्व के समय जाना सबसे अच्छा रहेगा।
नैमिषारण्य यात्रा अनुभव?
जब भी नैमिषारण्य जाओगे तो सबसे पहले चक्रतीर्थ दर्शन करना ज़रूरी है। यहाँ लोग स्नान करके पूजा-पाठ करते हैं। इसके अलावा ललिता देवी मंदिर, हनुमान गढ़ी, व्यास गादी, और दशाश्वमेध घाट भी काफी प्रसिद्ध हैं।
यात्रा का असली मज़ा तभी है जब आप इसे धीरे-धीरे जीओ। जल्दी-जल्दी घूमने से आध्यात्मिक माहौल का असर महसूस ही नहीं होता। सुबह-सुबह मंदिर की आरती में शामिल होना और घाट पर बैठकर गंगा-जमुनी संस्कृति की झलक देखना दिल को सुकून देता है।
नैमिषारण्य कैसे पहुंचे?
अगर आप सोच रहे हो कि नैमिषारण्य पहुँचने का आसान तरीका क्या है तो बता दूँ कि ये जगह काफी कनेक्टेड है।
- रेलवे: सबसे नज़दीकी बड़ा स्टेशन लखनऊ है। वहाँ से नैमिषारण्य तक रोडवेज बस या टैक्सी आसानी से मिल जाती है।
- सड़क मार्ग: लखनऊ से लगभग 90 किलोमीटर और दिल्ली से करीब 450 किलोमीटर दूर है। सड़कें ठीक-ठाक हैं, कार या बस से आराम से पहुँचा जा सकता है।
- हवाई मार्ग: सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट लखनऊ का चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट है, जहाँ से सड़क मार्ग से यात्रा करनी होगी।
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नैमिषारण्य यात्रा टिप्स?
अगर पहली बार नैमिषारण्य जा रहे हो तो कुछ बातें ध्यान में रखनी ज़रूरी हैं –
- पूजा-पाठ और स्नान के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा रहता है।
- भीड़भाड़ वाले त्योहारों के समय होटल या धर्मशाला की बुकिंग पहले से करा लो।
- हल्के और आरामदायक कपड़े पहनना सही रहेगा।
- साथ में पीने का पानी और जरूरी सामान जरूर रखो।

नैमिषारण्य यात्रा से जुड़े 5 रोचक फैक्ट्स?
- कहा जाता है कि महर्षि व्यास ने यहीं बैठकर पुराणों का संकलन किया था।
- चक्रतीर्थ को 88,000 ऋषियों की तपोभूमि माना जाता है।
- ललिता देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहाँ देवी सती का हृदय गिरा था।
- यहाँ हर साल माघ मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं।
- माना जाता है कि जो भी व्यक्ति नैमिषारण्य में स्नान करता है, उसे सात जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।
निष्कर्ष: नैमिषारण्य कब जाना चाहिए || पूरी जानकारी
तो भाई, अगर दिल में ये सवाल है कि “नैमिषारण्य कब जाना चाहिए?”, तो साफ है कि अक्टूबर से मार्च तक का समय यात्रा के लिए सबसे आरामदायक है। वहीं, अगर धार्मिक मेले और उत्सव का अनुभव करना चाहते हो तो कार्तिक पूर्णिमा और माघ मेला के समय जाना बेहतर रहेगा।