नमस्कार हिन्दू भाइयों तो कैसे हैं आप तो भाइयों आज हम जानेंगे की Ganga Snan Kab Hota Hai | गंगा स्नान कब और क्यों किया जाता है?
भाइयों अगर आपने कभी हरिद्वार, प्रयागराज या वाराणसी में लोगों को गंगा में स्नान करते देखा है तो आपके मन में भी एक सवाल जरूर आया होगा। “गंगा स्नान कब होता है?” यानी आखिर वो कौन-सी तारीखें या मौके होते हैं जब लोग लाखों की संख्या में गंगा नदी में डुबकी लगाने पहुंच जाते हैं।
भारत में गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है, बल्कि आस्था, श्रद्धा और जीवन का प्रतीक मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और आत्मा को मुक्ति मिलती है।
तो चलिए आज जानते हैं विस्तार से: गंगा स्नान कब होता है, इसके क्या नियम और महत्व हैं, और किन-किन तिथियों पर गंगा स्नान करना सबसे शुभ माना जाता है।

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1. गंगा स्नान कब होता है। मुख्य तिथियाँ और पर्व
गंगा स्नान पूरे साल किया जा सकता है, लेकिन कुछ खास तिथियाँ और पर्व ऐसे होते हैं जब इसे बेहद शुभ माना जाता है। इन दिनों लाखों श्रद्धालु गंगा घाटों पर स्नान करने पहुँचते हैं।
मुख्य तिथियाँ जब गंगा स्नान सबसे शुभ माना जाता है:
- मकर संक्रांति (14 या 15 जनवरी) –
ये दिन गंगा स्नान के लिए सबसे शुभ माना जाता है क्योंकि सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सालभर के पाप धुल जाते हैं। - माघ पूर्णिमा और अमावस्या (जनवरी–फरवरी) –
माघ मास में गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। प्रयागराज का प्रसिद्ध माघ मेला इसी महीने में लगता है, जहां करोड़ों भक्त गंगा-यमुना-संगम में डुबकी लगाते हैं। - गंगा दशहरा (मई–जून) –
ये दिन गंगा जी के पृथ्वी पर अवतरण का माना जाता है। इस दिन गंगा में स्नान, दान और पूजा करने से सभी प्रकार के दोष दूर होते हैं। - कुंभ और अर्धकुंभ मेला (हर 6 और 12 साल में) –
ये वो अवसर होते हैं जब गंगा स्नान को सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। कुंभ मेला चार स्थानों पर लगता है – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक। - कार्तिक पूर्णिमा (अक्टूबर–नवंबर) –
दीपावली के बाद आने वाली कार्तिक पूर्णिमा को भी गंगा स्नान अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन स्नान और दीपदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
2. गंगा स्नान का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
भारत में गंगा को “माँ गंगा” कहा जाता है क्योंकि ये नदी केवल जल नहीं देती, बल्कि जीवन देती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगा भगवान विष्णु के चरणों से प्रवाहित हुईं और भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया ताकि पृथ्वी पर उनका प्रवाह नियंत्रित रहे।
गंगा स्नान करने का अर्थ केवल शरीर को धोना नहीं है, बल्कि आत्मा को शुद्ध करना भी है। माना जाता है कि गंगा का जल अमृत तुल्य होता है – इसमें न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक गुण भी हैं। शोधों में पाया गया है कि गंगाजल में खुद-ब-खुद शुद्ध रहने की क्षमता होती है, चाहे उसे कितने भी दिन रख दिया जाए।
3. गंगा स्नान के नियम और विधि
गंगा स्नान करने से पहले कुछ धार्मिक नियमों और परंपराओं का पालन करना जरूरी माना गया है ताकि इसका पूरा फल मिले।
- स्नान से पहले प्रार्थना करें:
नदी के तट पर जाकर “ॐ नमः गंगे” का जाप करें और गंगा माता से पापों की क्षमा मांगे। - पानी में धीरे-धीरे प्रवेश करें:
गंगा में अचानक न उतरें। पहले पैरों से जल को छुएं और फिर पूरे शरीर को धीरे-धीरे डुबकी लगाएं। - तीन बार डुबकी लगाना शुभ:
धर्मग्रंथों में कहा गया है कि तीन बार गंगा में डुबकी लगाने से शरीर और मन दोनों पवित्र होते हैं। - दान और पूजन करें:
स्नान के बाद तिल, गुड़, कपड़ा या अन्न दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। - प्रकृति का सम्मान करें:
गंगा में प्लास्टिक, साबुन या किसी भी अपशिष्ट चीज़ का उपयोग न करें। इससे नदी और पर्यावरण दोनों को नुकसान होता है।
Ganga Snan Kab Hota Hai | गंगा स्नान कब और क्यों किया जाता है?

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4. गंगा स्नान से जुड़े 5 रोचक तथ्य
- वैज्ञानिक रूप से अनोखी नदी:
गंगाजल में एक विशेष प्रकार का बैक्टीरियोफेज पाया जाता है जो हानिकारक जीवाणुओं को मार देता है, इसलिए ये पानी कभी सड़ता नहीं। - गंगा का नाम वेदों में भी है:
“ऋग्वेद” और “महाभारत” जैसे ग्रंथों में गंगा का उल्लेख जीवनदायिनी नदी के रूप में मिलता है। - हरिद्वार का मतलब ही है ‘हरि का द्वार’:
माना जाता है कि हरिद्वार से गंगा स्नान करने से सीधे मोक्ष का द्वार खुलता है। - गंगा दशहरा पर सबसे ज्यादा स्नान:
इस दिन भारत के 80% से ज्यादा घाटों पर स्नान करने वाले भक्तों की भीड़ होती है। - सिर्फ भारत ही नहीं, विदेशों में भी पूजा:
लंदन, मॉरीशस और नेपाल जैसे देशों में भी “गंगा आरती” और “गंगा स्नान” के आयोजन होते हैं।
5. गंगा स्नान के लाभ – शारीरिक और मानसिक दोनों
गंगा स्नान सिर्फ आस्था नहीं, बल्कि एक तरह की नेचुरल थेरेपी भी है। गंगा का ठंडा और पवित्र जल शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है।
- ये त्वचा की सफाई करता है और शरीर से टॉक्सिन्स निकालता है।
- जल का स्पर्श तनाव कम करता है और मानसिक शांति देता है।
- धार्मिक दृष्टि से, गंगा स्नान पापों को मिटाने और आत्मिक शक्ति बढ़ाने में सहायक माना गया है।
Disclaimer
इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं, पौराणिक कथाओं और सामान्य मानवीय अनुभवों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है, न कि किसी प्रकार की धार्मिक सलाह देना।


