हनुमान जी का प्रिय फल कौन सा है?

अगर आप भगवान हनुमान के भक्त हैं, तो यह सवाल आपके मन में ज़रूर आया होगा कि हनुमान जी का प्रिय फल कौन सा है?
क्योंकि हम सब जानते हैं कि हनुमान जी केवल शक्ति और पराक्रम के प्रतीक नहीं, बल्कि भक्ति, सादगी और विनम्रता के देवता भी हैं।
जब हम पूजा करते हैं, तो जो भी वस्तु चढ़ाते हैं उसका अपना धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है।
तो आइए जानते हैं कि आखिर हनुमान जी का प्रिय फल कौन सा है, उसे क्यों प्रिय माना गया है और उसके पीछे क्या आध्यात्मिक अर्थ छिपा है।

हनुमान जी का प्रिय फल कौन सा है
हनुमान जी का प्रिय फल कौन सा है

हनुमान जी कौन हैं संक्षेप में जानिए?

हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है और वे भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं।
उनका पूरा जीवन सेवा, समर्पण और भक्ति का प्रतीक है।
वे न केवल बल के देवता हैं बल्कि बुद्धि, संयम और सादगी के प्रतीक भी हैं।

हनुमान जी को अलग-अलग नामों से पूजा जाता है – बजरंगबली, अंजनीपुत्र, पवनपुत्र, मारुति आदि।
उनका भोजन और भोग भी बहुत सादा होता है क्योंकि वे ब्रह्मचारी हैं।
इसीलिए जो फल उन्हें पसंद हैं, वे भी सात्विक और शुद्ध माने गए हैं।

हनुमान जी का प्रिय फल कौन सा है?

अब बात करते हैं मुख्य प्रश्न की – हनुमान जी का प्रिय फल कौन सा है?
धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार हनुमान जी का सबसे प्रिय फल सिंघाड़ा (Water Chestnut) और केला (Banana) माना गया है।

कई स्थानों पर यह भी कहा गया है कि हनुमान जी को लाल रंग के फल जैसे सेब, लाल सिंघाड़ा या लाल बेर विशेष रूप से पसंद हैं, क्योंकि लाल रंग उनके तेज और ऊर्जा का प्रतीक है।
इसीलिए मंगलवार और शनिवार को भक्त लाल रंग के फल, लाल फूल और बेसन के लड्डू के साथ भोग लगाते हैं।

सिंघाड़ा – हनुमान जी का सबसे प्रिय फल

अगर आप सोच रहे हैं कि हनुमान जी को सिंघाड़ा क्यों प्रिय है, तो इसके पीछे गहरा प्रतीकात्मक अर्थ छिपा है।

1) पवित्रता और जल तत्व से जुड़ाव

सिंघाड़ा पानी में उगता है, इसलिए इसे बहुत पवित्र और सात्विक फल माना गया है।
हनुमान जी पवनदेव के पुत्र हैं और सिंघाड़ा जल से जुड़ा फल है – यानी यह प्रकृति के दो तत्वों (जल और वायु) का सुंदर संगम दर्शाता है।

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2) ऊर्जा और सादगी का प्रतीक

सिंघाड़ा शरीर को ऊर्जा देता है लेकिन यह तामसिक नहीं होता।
हनुमान जी के भक्त जानते हैं कि वे सादगी और संयम के प्रतीक हैं, इसलिए यह फल उनके स्वभाव से पूरी तरह मेल खाता है।

3) आध्यात्मिक अर्थ

सिंघाड़े का काला खोल और सफेद अंदरूनी भाग हमें यह सिखाता है कि बाहरी रूप चाहे जैसा भी हो, आत्मा को शुद्ध और निर्मल रखना चाहिए।
यह संदेश हनुमान जी के जीवन से बिल्कुल जुड़ा हुआ है।

केला – सादगी और भक्ति का प्रतीक?

हनुमान जी का दूसरा प्रिय फल केला है।
केला हर जगह उपलब्ध होता है, सस्ता है और सात्विक फल माना जाता है।
इसका अर्थ है कि हनुमान जी को भक्ति में किसी दिखावे या अमीरी की आवश्यकता नहीं,
वे सच्चे मन और सादगी से किए गए भोग को स्वीकार करते हैं।

क्यों केला अर्पित किया जाता है?

  1. केला सात्विक फल है और पूजा में इसे हर कोई अर्पित कर सकता है।
  2. यह शरीर को ऊर्जा देता है, इसलिए इसे “बल” का प्रतीक भी माना गया है।
  3. हनुमान जी को जो कुछ भी चढ़ाया जाए, उसमें शुद्धता और सरलता होनी चाहिए, और केला इन दोनों गुणों का प्रतीक है।

मंगलवार के दिन भक्त मंदिर में जाकर सिंघाड़ा और केला दोनों फल हनुमान जी को अर्पित करते हैं।
इसके साथ बूंदी या बेसन के लड्डू का भोग भी लगाया जाता है।

हनुमान जी को फल अर्पित करने के पीछे की भावना?

असल में भगवान को कोई चीज़ नहीं चाहिए, बल्कि भक्ति और भावनाएं चाहिए
हनुमान जी को फल चढ़ाने का अर्थ है – आप अपनी सादगी और प्रेम उन्हें समर्पित कर रहे हैं।
वे वही प्रसाद स्वीकार करते हैं जो सच्चे मन और निष्कपट भावना से चढ़ाया जाए।

इसलिए पूजा में मांस, प्याज़, लहसुन या तामसिक चीज़ें नहीं रखी जातीं।
केवल सात्विक वस्तुएं जैसे – केला, सिंघाड़ा, लाल फूल, बेसन के लड्डू, गुड़ और चना ही उपयुक्त माने जाते हैं।

कब और कैसे अर्पित करें प्रिय फल

हनुमान जी को प्रिय फल अर्पित करने का सबसे शुभ दिन मंगलवार और शनिवार माना जाता है।
उस दिन प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और फिर घर या मंदिर में हनुमान जी के सामने सिंघाड़ा और केला रखें।

भोग लगाते समय यह मंत्र बोलें:

“ॐ हनुमते नमः”

इसके बाद अपनी मनोकामना कहें और कुछ देर ध्यान लगाकर बैठें।
विश्वास रखिए, हनुमान जी सच्चे मन से की गई हर प्रार्थना ज़रूर सुनते हैं।

हनुमान जी के प्रिय फल और उनके अर्थ?

फल का नामप्रतीकात्मक अर्थ
सिंघाड़ाशुद्धता, जल तत्व और शक्ति का प्रतीक
केलासादगी, सात्विकता और संतुलन का प्रतीक
सेब / लाल बेरलाल रंग – ऊर्जा और तेज का प्रतीक
बूंदी लड्डूआनंद और पूर्णता का प्रतीक

क्या हर फल अर्पित किया जा सकता है?

हाँ, लेकिन ध्यान रखिए कि हनुमान जी को कटे, सड़े या तामसिक फल अर्पित न करें।
फल ताज़ा और साफ होना चाहिए।
भोग लगाने के बाद उसका थोड़ा भाग प्रसाद के रूप में ग्रहण करना शुभ माना जाता है।

भक्ति का असली अर्थ

हनुमान जी हमें सिखाते हैं कि भक्ति का अर्थ बाहरी दिखावे में नहीं,
बल्कि शुद्ध मन और सच्चे समर्पण में है।
आप चाहे कोई भी फल चढ़ाएँ – सिंघाड़ा, केला या लाल बेर –
अगर भावना सच्ची है तो हनुमान जी अवश्य प्रसन्न होते हैं।

हनुमान जी का प्रिय फल कौन सा है – 5 रोचक तथ्य

  1. हनुमान जी को लाल रंग के फल प्रिय हैं क्योंकि उनका शरीर तेज और ओज से भरा हुआ है।
  2. सिंघाड़ा जल में उगने वाला फल है, लेकिन इसका नाम “सिंह” शब्द से मिलता है जो वीरता का प्रतीक है।
  3. दक्षिण भारत में हनुमान जी को नारियल भी अर्पित किया जाता है क्योंकि यह शक्ति और पवित्रता का प्रतीक है।
  4. मंगलवार को सिंघाड़ा, केला और बूंदी एक साथ चढ़ाने से मनोकामनाएँ शीघ्र पूर्ण होती हैं।
  5. कई हनुमान मंदिरों में आज भी पूजा के बाद ये फल प्रसाद के रूप में वितरित किए जाते हैं, जिससे भक्तों में शक्ति और भक्ति दोनों बनी रहती हैं।

निष्कर्ष:हनुमान जी का प्रिय फल कौन सा है?

अब आप जान गए होंगे कि हनुमान जी का प्रिय फल कौन सा है और इसके पीछे क्या कारण हैं।
यह सिर्फ एक परंपरा नहीं बल्कि एक सुंदर संदेश है –
कि भगवान को बाहरी वस्तुएँ नहीं, बल्कि आपका प्रेम और सच्चा समर्पण प्रिय है।

हनुमान जी को सिंघाड़ा, केला या लाल फल चढ़ाना केवल पूजा का हिस्सा नहीं,
बल्कि यह बताने का तरीका है कि भक्ति सादगी में बसती है,
और जो व्यक्ति अपने मन को पवित्र रखता है, वही हनुमान जी का सच्चा भक्त कहलाता है।

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