अगर आप भगवान हनुमान के भक्त हैं, तो आपने ज़रूर कभी न कभी यह सवाल सोचा होगा कि “हनुमान जी की कितनी स्तुति है?”
क्योंकि हम सब जानते हैं कि हनुमान जी के भजन, चालीसा, आरती और स्तोत्र बहुत प्रसिद्ध हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सबके पीछे कितनी गहराई और कितने प्रकार की स्तुतियाँ हैं?
इस लेख में हम इसे ऐसे समझेंगे जैसे कोई दोस्त तुम्हें आराम से समझा रहा हो — कि आखिर हनुमान जी की कितनी स्तुति हैं, कौन-कौन सी हैं और उनका क्या महत्व है।

सबसे पहले समझते हैं ‘स्तुति’ का मतलब क्या है?
‘स्तुति’ शब्द संस्कृत के “स्तुत” से बना है, जिसका अर्थ होता है प्रशंसा करना, गुणगान करना या महिमा गाना।
जब कोई भक्त भगवान की महिमा, उनके गुण और उनके कार्यों की सराहना करता है, तो वह स्तुति कहलाती है।
इसलिए, हनुमान जी की स्तुतियाँ वो भक्ति रचनाएँ हैं जिनमें उनके पराक्रम, भक्ति और विनम्रता का वर्णन होता है।
हनुमान जी के बारे में कहा गया है –
“बालसमय रवि भक्षि लियो तब, तीनों लोक भयो अंधियारो”
यह पंक्ति ही उनकी शक्ति और बालपन के साहस की झलक दिखा देती है।
हनुमान जी की प्रमुख स्तुतियाँ कौन-कौन सी हैं?
अब बात करते हैं असली सवाल की — हनुमान जी की कितनी स्तुति हैं?
दरअसल, हनुमान जी की कुल पाँच प्रमुख स्तुतियाँ मानी जाती हैं जो भक्तों के बीच सबसे प्रसिद्ध और प्रचलित हैं।
हालाँकि इसके अलावा कई छोटे-बड़े पाठ और स्तोत्र भी हैं, लेकिन नीचे दी गई पाँच को सबसे शक्तिशाली और फलदायी माना गया है।
1) हनुमान चालीसा
सबसे पहले बात करते हैं हनुमान चालीसा की —
यह सबसे प्रसिद्ध स्तुति है जो तुलसीदास जी ने 16वीं शताब्दी में लिखी थी।
इसमें कुल 40 चौपाइयाँ हैं, इसलिए इसका नाम “चालीसा” पड़ा।
इसमें हनुमान जी की शक्ति, बुद्धि, भक्ति, पराक्रम और राम भक्ति का गहराई से वर्णन है।
यह माना जाता है कि रोज सुबह या शाम को हनुमान चालीसा पढ़ने से भय, दुःख, और नकारात्मक शक्तियाँ दूर रहती हैं।
जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा से इसका पाठ करता है, उसके जीवन से संकट धीरे-धीरे दूर हो जाते हैं।
2) बजरंग बाण
हनुमान जी की दूसरी प्रसिद्ध स्तुति है बजरंग बाण।
यह एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र माना जाता है, जिसे संकट और भय से मुक्ति के लिए पढ़ा जाता है।
इसमें हनुमान जी को “संकटमोचन” और “दुखभंजन” के रूप में याद किया गया है।
यह कहा जाता है कि बजरंग बाण का पाठ तभी करना चाहिए जब मन पूरी तरह शुद्ध हो, क्योंकि इसका प्रभाव बहुत प्रबल होता है।
यह हनुमान जी की शक्ति और तेज का प्रतीक है।
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3) हनुमानाष्टक
हनुमान जी की तीसरी प्रसिद्ध स्तुति है हनुमानाष्टक, जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने ही लिखा था।
इसमें आठ श्लोक (अष्टक = आठ) होते हैं, और हर श्लोक में हनुमान जी की वीरता, विनम्रता और भक्ति की झलक है।
यह माना जाता है कि हनुमानाष्टक का नियमित पाठ करने से मन को शांति, साहस और आत्मविश्वास मिलता है।
4) हनुमान बाहुक
यह तुलसीदास जी की ही एक और काव्य रचना है।
कहते हैं जब तुलसीदास जी बीमार हुए, तब उन्होंने हनुमान जी से प्रार्थना करते हुए हनुमान बाहुक लिखा था।
इसमें हनुमान जी की स्तुति के साथ-साथ भक्ति भाव और विनम्रता की गहरी झलक मिलती है।
जो भक्त मानसिक या शारीरिक पीड़ा में होते हैं, उनके लिए यह स्तुति बेहद उपयोगी मानी जाती है।
5) सुंदरकांड
अब बात करते हैं सुंदरकांड की, जो श्रीरामचरितमानस का पाँचवाँ कांड है।
इसमें हनुमान जी के पराक्रम, लंका यात्रा, सीता माता की खोज, और रावण दरबार में साहस का विस्तार से वर्णन है।
भले ही यह ‘कांड’ कहलाता है, लेकिन इसे भी एक महान स्तुति के रूप में पूजा जाता है।
क्योंकि इसमें हनुमान जी की भक्ति और शक्ति का सबसे जीवंत चित्रण है।
हनुमान जी की अन्य स्तुतियाँ
इसके अलावा हनुमान जी की और भी कई स्तुतियाँ हैं जो क्षेत्र और भाषा के अनुसार भिन्न-भिन्न रूपों में मिलती हैं।
जैसे –
- हनुमान आरती
- संकटमोचन हनुमानाष्टक
- हनुमान कवच
- हनुमान गायत्री मंत्र
- रामदूत अष्टकम
इन सबका मूल भाव एक ही है – भक्ति, साहस और सेवा।
हनुमान जी की स्तुति का महत्व क्या है?
हनुमान जी की स्तुतियों का महत्व सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है।
यह जीवन के हर पहलू में प्रेरणा देती हैं।
- भय से मुक्ति:
जब कोई व्यक्ति डर या संकट में होता है, तो हनुमान जी की स्तुति उसे मानसिक बल देती है।
“संकट से हनुमान छुड़ावे, मन क्रम बचन ध्यान जो लावे” – यह पंक्ति खुद इसका प्रमाण है। - आत्मविश्वास और ऊर्जा:
हनुमान जी शक्ति के प्रतीक हैं।
उनकी स्तुति पढ़ने से मन में आत्मविश्वास और जोश आता है। - नकारात्मकता से रक्षा:
ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी की चालीसा या बजरंग बाण पढ़ने से बुरी आत्माएँ और नकारात्मक ऊर्जा पास नहीं आती। - भक्ति में स्थिरता:
जो व्यक्ति नियमित रूप से हनुमान जी की स्तुति करता है, उसकी मन की चंचलता धीरे-धीरे खत्म होती है और वह अपने कर्म में स्थिर रहता है।
हनुमान जी की स्तुतियाँ कितनी हैं ?
| प्रकार | नाम | विशेषता |
|---|---|---|
| 1 | हनुमान चालीसा | 40 चौपाइयाँ, सबसे प्रसिद्ध |
| 2 | बजरंग बाण | भय और संकट से मुक्ति |
| 3 | हनुमानाष्टक | 8 श्लोक, आत्मविश्वास बढ़ाता है |
| 4 | हनुमान बाहुक | भक्ति और स्वास्थ्य लाभ |
| 5 | सुंदरकांड | हनुमान जी के पराक्रम का वर्णन |
हनुमान जी से जुड़े 5 रोचक तथ्य
- हनुमान जी का जन्म मंगलवार को हुआ था, इसलिए इस दिन उनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है।
- हनुमान जी अमर हैं – उन्हें “चिरंजीवी” कहा गया है, यानी वो आज भी धरती पर जीवित हैं।
- हनुमान जी का दूसरा नाम बजरंगबली इसलिए पड़ा क्योंकि उनका शरीर वज्र जैसा कठोर और शक्तिशाली था।
- हनुमान जी शिव के 11वें रुद्रावतार माने जाते हैं, यानी वे स्वयं भगवान शिव के अंश हैं।
- ऐसा कहा जाता है कि जब भी कोई भक्त सच्चे मन से “जय बजरंगबली” कहता है, हनुमान जी तुरंत उसकी पुकार सुन लेते हैं।

निष्कर्ष:हनुमान जी की कितनी स्तुति है
अब आप जान चुके हैं कि हनुमान जी की कुल पाँच प्रमुख स्तुतियाँ सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली मानी जाती हैं —
हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक और सुंदरकांड।
इनके अलावा भी कई भक्ति स्तोत्र हैं जो हनुमान जी की महिमा का गान करते हैं।
हनुमान जी की स्तुति का असली अर्थ सिर्फ पाठ करना नहीं, बल्कि उनके गुणों को जीवन में उतारना है —
जैसे निष्ठा, ईमानदारी, विनम्रता और सेवा।
अगर कोई व्यक्ति नियमित रूप से श्रद्धा के साथ हनुमान जी की स्तुतियाँ पढ़ता है,
तो उसका मन स्थिर होता है, भय दूर होता है और जीवन में आत्मबल आता है।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।
हनुमान जी का नाम लेने मात्र से ही मन में शक्ति और शांति दोनों का संचार होता है।



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