नैमिषारण्य में साउथ टेंपल मंदिर कितने हैं? पूरी जानकारी

भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर कोने में धार्मिकता और आस्था की झलक देखने को मिलती है। उत्तर प्रदेश का नैमिषारण्य (Naimisharanya) भी इन्हीं पवित्र स्थलों में से एक है। इसे वेदों और पुराणों में अत्यंत पावन स्थान माना गया है। कि यह स्थान भगवान विष्णु और उनके भक्तों से सीधा जुड़ा हुआ है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन और पूजा करने आते हैं।

नैमिषारण्य में साउथ टेंपल मंदिर कितने हैं? पूरी जानकारी
नैमिषारण्य में साउथ टेंपल मंदिर कितने हैं? पूरी जानकारी

लेकिन जब बात आती है नैमिषारण्य में बने साउथ टेंपल मंदिरों की, तो लोगों के मन में यह सवाल अक्सर उठता है कि आखिर यहाँ कुल कितने साउथ इंडियन मंदिर हैं और इनका महत्व क्या है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि नैमिषारण्य में साउथ टेंपल मंदिर कितने हैं, उनका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व क्या है और यहाँ आने पर क्या खास अनुभव होता है।

नैमिषारण्य का परिचय

नैमिषारण्य उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले में स्थित है। इसे “नैमीशारण्य तीर्थ” भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि यहाँ पर महर्षियों ने वेदों और पुराणों की रचना की थी। यह जगह चक्रतीर्थ नामक स्थान के कारण भी प्रसिद्ध है, जहाँ पवित्र सरोवर स्थित है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब असुरों का आतंक बढ़ गया था तो देवताओं और ऋषियों ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की थी। भगवान विष्णु ने एक चक्र चलाकर उस स्थान को चुना जहाँ यह रुका। वही स्थान आज का नैमिषारण्य कहलाता है।

नैमिषारण्य में साउथ टेंपल मंदिर कितने हैं?

नैमिषारण्य में उत्तर भारतीय शैली के साथ-साथ साउथ इंडियन मंदिर भी देखने को मिलते हैं। खासकर यहाँ आने वाले दक्षिण भारतीय भक्तों के लिए ये मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का अहसास कराते हैं।

यहाँ पर लगभग चार प्रमुख साउथ टेंपल मंदिर स्थित हैं। ये मंदिर पूरी तरह दक्षिण भारतीय वास्तुकला में बने हुए हैं, जिनमें गोपुरम (ऊँचे द्वार), पत्थरों पर नक्काशी और धार्मिक मूर्तियों की सुंदर सजावट देखने को मिलती है। इन मंदिरों में प्रमुख रूप से भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और दक्षिण भारत की परंपराओं से जुड़े देवताओं की पूजा होती है।

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साउथ टेंपल मंदिरों की खासियत

इन मंदिरों की खासियत यह है कि इनका निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में हुआ है, जो उत्तर भारतीय मंदिरों से अलग दिखाई देता है। ऊँचे-ऊँचे गोपुरम, पत्थर की बारीक नक्काशी और दक्षिण भारतीय पुरोहितों द्वारा की जाने वाली पूजा यहाँ की मुख्य आकर्षण हैं।

इन मंदिरों में नियमित रूप से वेद पाठ, भजन संकीर्तन और विशेष उत्सव आयोजित किए जाते हैं। खासकर रामायण, महाभारत और विष्णु पुराण से जुड़ी कथाओं का वाचन भी दक्षिण भारतीय पंडितों द्वारा किया जाता है।

नैमिषारण्य में धार्मिक महत्व

नैमिषारण्य को “धर्म की राजधानी” कहा जाता है। मान्यता है कि यहाँ पूजा और दान करने से हजारों गुना फल मिलता है। साउथ टेंपल मंदिरों का यहाँ होना इस जगह की धार्मिकता को और भी गहरा बना देता है।

दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं के लिए ये मंदिर एक तरह से उत्तर भारत में उनका आध्यात्मिक घर बन जाते हैं। यहाँ आकर उन्हें वही वातावरण मिलता है जैसा तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश या कर्नाटक के मंदिरों में मिलता है।

तीर्थयात्रियों के अनुभव

जब श्रद्धालु नैमिषारण्य में दर्शन के लिए आते हैं तो सबसे पहले चक्रतीर्थ में स्नान करते हैं। इसके बाद वे विभिन्न मंदिरों के दर्शन करते हैं। साउथ टेंपल मंदिरों में पहुँचकर उन्हें दक्षिण भारतीय संस्कृति का अनुभव होता है। मंदिरों के सामने होने वाली आरती और मंत्रोच्चारण से वातावरण और भी पवित्र हो जाता है।

यहाँ आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि एक ही जगह पर उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय मंदिरों का अनुभव लेना अद्भुत होता है। यही कारण है कि नैमिषारण्य पूरे भारत के लिए धार्मिक एकता का प्रतीक बन गया है।

पर्यटन और सुविधा

नैमिषारण्य एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है। यहाँ रेलवे स्टेशन और सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। श्रद्धालुओं के लिए धर्मशालाएँ, भोजनालय और पूजा सामग्री की दुकाने उपलब्ध हैं।

साउथ टेंपल मंदिरों में जाने पर आपको वहाँ दक्षिण भारतीय स्वाद का प्रसाद और पूजा-पद्धति का अनुभव भी मिलेगा। यह अनुभव उत्तर प्रदेश में रहकर भी आपको दक्षिण भारत की संस्कृति से जोड़ देता है।

5 रोचक तथ्य : नैमिषारण्य और साउथ टेंपल मंदिर

  1. नैमिषारण्य को 88,000 ऋषियों की तपोभूमि माना जाता है।
  2. यहाँ स्थित चक्रतीर्थ को ब्रह्मांड का केंद्र बिंदु माना गया है।
  3. नैमिषारण्य में कुल मिलाकर 30 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर हैं, जिनमें लगभग 4 प्रमुख साउथ टेंपल शामिल हैं।
  4. दक्षिण भारतीय भक्तों द्वारा यहाँ हर साल विशेष वैकुंठ एकादशी उत्सव मनाया जाता है।
  5. यहाँ आने पर श्रद्धालु एक साथ उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय पूजा परंपरा का अनुभव कर सकते हैं, जो पूरे भारत में कहीं और मिलना मुश्किल है।

निष्कर्ष:नैमिषारण्य में साउथ टेंपल मंदिर कितने हैं? पूरी जानकारी

नैमिषारण्य में साउथ टेंपल मंदिरों की संख्या लगभग चार है और ये मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और पूजा परंपराओं के प्रतीक हैं। यहाँ आने वाले श्रद्धालु न केवल उत्तर भारतीय धार्मिक स्थलों के दर्शन करते हैं बल्कि दक्षिण भारतीय संस्कृति का भी अनुभव लेते हैं।

यदि आप धार्मिक यात्रा की योजना बना रहे हैं तो नैमिषारण्य आपके लिए एक अद्भुत स्थान है। यहाँ की आस्था, इतिहास और मंदिरों का संगम आपके मन को आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा से भर देगा।

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