दिवाली त्योहार के बारे में उजाले, खुशियों और एकता का पर्व

प्रस्तावना – दिवाली क्यों मनाई जाती है?

दिवाली त्योहार के बारे में उजाले, खुशियों और एकता का पर्व प्रणाम दोस्तों आज मे आप सभी को बताएगे की दिवाली या दीपावली भारत का सबसे बड़ा और सबसे प्रिय त्योहार है। यह त्योहार केवल दीप जलाने का नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की, और निराशा पर उम्मीद की जीत का प्रतीक है। पूरे भारत में इसे बड़े हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। दिवाली का अर्थ ही है “दीपों की पंक्ति” — यानी वह दिन जब हर घर, हर दिल, हर आंगन उजाले से जगमगा उठता है।

दिवाली का त्योहार आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में आता है, और यह अमावस्या की रात को मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम चौदह वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, और नगरवासियों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था।

1. दिवाली का धार्मिक महत्व

दिवाली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का जीवंत प्रतीक है।
भारत में इसे अलग-अलग कारणों से मनाया जाता है:

  1. उत्तर भारत में: भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में दीपावली मनाई जाती है।
  2. दक्षिण भारत में: भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस के वध की याद में यह त्योहार मनाया जाता है।
  3. पश्चिम भारत में: यह दिन भगवान विष्णु के अवतार वामन देव द्वारा राजा बलि को पाताल भेजने की याद में आता है।
  4. जैन धर्म में: यह दिन भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  5. सिख धर्म में: यह दिन गुरु हरगोविंद जी की जेल से मुक्ति के रूप में “बंदी छोड़ दिवस” कहलाता है।

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2. दिवाली की तैयारियाँ – सफाई से सजावट तक

दिवाली की तैयारियाँ हफ्तों पहले शुरू हो जाती हैं।
लोग अपने घरों, दुकानों और मंदिरों की सफाई करते हैं, दीवारों पर पेंट करवाते हैं, और नए कपड़े खरीदते हैं।
घर-घर में रंगोली, दीप सजावट, फूलों की माला, और झिलमिलाती लाइटें इस त्योहार की खूबसूरती को और बढ़ा देती हैं।

  • लोग मानते हैं कि साफ-सुथरे घर में माता लक्ष्मी का आगमन होता है।
  • इसीलिए हर कोई इस दिन अपने घर को नए तरीके से सजाता है।
  • बाजारों में मिठाइयों, कपड़ों और उपहारों की खरीददारी का माहौल देखने लायक होता है।

3. दिवाली के पाँच दिन – हर दिन का अलग महत्व

दिवाली केवल एक दिन नहीं, बल्कि पाँच दिनों का त्योहार है, जिसमें हर दिन का अपना अलग महत्व है:

  1. धनतेरस: इस दिन लोग सोना, चांदी या बर्तन खरीदते हैं। यह दिन धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
  2. नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली): इस दिन घरों की सजावट होती है और लोग दीप जलाना शुरू कर देते हैं।
  3. लक्ष्मी पूजन (मुख्य दिवाली): इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है।
  4. गोवर्धन पूजा: यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की याद में मनाया जाता है।
  5. भाई दूज: बहनें अपने भाइयों की आरती करती हैं और उनके दीर्घायु की कामना करती हैं।

4. दिवाली की रात – उजाला और उल्लास

दिवाली की रात जब पूरा देश दीपों से जगमगाता है, तब ऐसा लगता है मानो धरती पर स्वर्ग उतर आया हो।
हर घर में दीपक, मोमबत्तियाँ और LED लाइट्स चमकती हैं।
लोग लक्ष्मी पूजन करते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और बच्चों के साथ पटाखे फोड़ते हैं

हालाँकि अब पर्यावरण की दृष्टि से लोग “ग्रीन दिवाली” मनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, ताकि ध्वनि और वायु प्रदूषण कम हो।

5. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

दिवाली का असली संदेश केवल रोशनी या धन की नहीं, बल्कि सद्भावना और एकता का है।
यह त्योहार सभी धर्मों और समुदायों को जोड़ता है।
लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलते हैं, उपहार देते हैं, पुराने मतभेद मिटाते हैं और नई शुरुआत करते हैं।

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यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि –

“जब तक मन में अंधकार है, तब तक असली रोशनी अधूरी है।”
इसलिए दीपावली का असली मतलब है – मन के अंधकार को मिटाकर, सच्चाई, प्रेम और शांति की ज्योति जलाना।

6. दिवाली और आधुनिक समय

आधुनिक समय में दिवाली का रूप थोड़ा बदल गया है।
अब ऑनलाइन गिफ्ट भेजना, डिजिटल लक्ष्मी पूजा, और सोशल मीडिया पर दिवाली विश करना आम बात हो गई है।
फिर भी इसकी आत्मा वही है — खुशियाँ बाँटना, आभार प्रकट करना और उम्मीद जगाना।

कई लोग अब पर्यावरण-हितैषी तरीके अपनाते हैं:

  • मिट्टी के दीपक का उपयोग
  • पेड़ लगाने की शपथ
  • जरूरतमंदों को दान देना
  • बच्चों को पर्यावरण-सुरक्षा का संदेश देना

7. दिवाली से मिलने वाली सीख

दिवाली हमें बहुत सी बातें सिखाती है:

  1. अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ो – हमेशा सकारात्मक रहो।
  2. सच्चाई की जीत होती है – राम की तरह धर्म का पालन करो।
  3. दान और मदद की भावना रखो – जरूरतमंदों की सहायता करो।
  4. परिवार का महत्व समझो – साथ मिलकर खुशियाँ मनाओ।
  5. पर्यावरण का ध्यान रखो – स्वच्छ और शांत दिवाली मनाओ।

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निष्कर्ष – दिवाली का असली अर्थ दिवाली त्योहार के बारे में उजाले, खुशियों और एकता का पर्व

दिवाली केवल रोशनी का नहीं, बल्कि आत्मा की पवित्रता का त्योहार है।
यह हमें याद दिलाती है कि चाहे कितनी भी अंधेरी रात क्यों न हो, एक दीपक की लौ सब कुछ बदल सकती है।

आज जब हम तेज रफ्तार जीवन में खो गए हैं, तो यह त्योहार हमें ठहरकर सोचने का मौका देता है —
कि सच्ची “दीपावली” तभी होती है जब हमारे भीतर भी प्रकाश जलता है।
आपकी जिंदगी में हमेशा उजाला, सुख और समृद्धि बनी रहे

दिवाली त्योहार के बारे में उजाले, खुशियों और एकता का पर्व

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