गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है, दीपावली के ठीक अगले दिन मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह पर्व भगवान कृष्ण की उस लीला को समर्पित है, जब उन्होंने वृंदावनवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठा लिया था। 2025 गोवर्धन पूजा एवं भाई दूज कब है? वर्ष 2025 में गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी।
इस दिन भक्त गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाते हैं, उसकी विधि-पूर्वक पूजा करते हैं और अन्नकूट के रूप में विविध व्यंजनों का भोग लगाते हैं। यह उत्सव प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है, जहां गायों की सेवा और दान का विशेष महत्व होता है।

भाई दूज, दीपावली का समापन करने वाला त्योहार, भाई-बहन के अटूट स्नेह का प्रतीक है। यह कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, जब बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं, आरती उतारती हैं और उनके लंबे जीवन की कामना करती हैं। भाई भी बहनों को उपहार देकर उनका सम्मान करते हैं। वर्ष 2025 में भाई दूज 23 अक्टूबर, गुरुवार को आएगा। यह पर्व यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है, जो यमराज और उनकी बहन यमुना के भाई-बहन प्रेम की कथा से जुड़ा है। इस अवसर पर परिवारों में मिलन-जुलन का माहौल होता है, जो रक्षा बंधन की भांति सौहार्दपूर्ण संबंधों को मजबूत करता है।
गोवर्धन पूजा 2025 में कब है?
2025 में गोवर्धन पूजा का पर्व 23 अक्टूबर (गुरुवार) को मनाया जाएगा। यह दिन दीपावली के अगले दिन आता है, यानी जब पूरे देश में दीपों की जगमगाहट थोड़ा शांत होती है, तब भक्त भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करते हैं और गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैंगोवर्धन पूजा की तारीख हर साल बदलती है क्योंकि यह हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। 2025 में यह तिथि 23 अक्टूबर को पड़ेगी। इस दिन का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि प्रकृति और खेती से भी जुड़ा हुआ है। यह पर्व हमें बताता है कि प्रकृति, जल, भूमि और पशुधन की पूजा ही असली समृद्धि का रास्ता है।
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गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है?
गोवर्धन पूजा का संबंध भगवान श्रीकृष्ण की उस कथा से है जब उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ उंगली पर उठाया था। कथा के अनुसार, एक बार इंद्रदेव ने घमंड में आकर गोकुल पर भारी वर्षा कर दी थी। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों और गौवंश को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठा लिया था। इसी वजह से इस दिन गोवर्धन पूजा की जाती है, ताकि इंसान यह याद रखे कि प्रकृति की रक्षा ही सच्ची भक्ति है।
गाँवों में आज भी लोग इस दिन गोबर से गोवर्धन बनाते हैं, उन्हें फूलों से सजाते हैं, और चारों ओर घी के दीए जलाते हैं। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, और आज भी उतनी ही भावनात्मक है जितनी सदियों पहले थी।
गोवर्धन पूजा कैसे मनाई जाती है?
गोवर्धन पूजा का तरीका थोड़ा-थोड़ा अलग होता है, लेकिन इसकी आत्मा एक ही है भक्ति, कृतज्ञता और प्रेम।
- सुबह स्नान के बाद घर की महिलाएँ आँगन या मंदिर में गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाती हैं।
- उसके चारों ओर दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से सजावट की जाती है।
- भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है और “गोवर्धन महाराज की जय” के नारे लगाए जाते हैं।
- ग्रामीण इलाकों में गायों को नहलाया जाता है, उन्हें ताज़े फूल और रंगीन कपड़े पहनाए जाते हैं।
- पूजा के बाद “अन्नकूट” तैयार किया जाता है। जिसमें कई तरह के व्यंजन भगवान को भोग के रूप में चढ़ाए जाते हैं।
इस दिन लोग मानते हैं कि अगर श्रद्धा से गोवर्धन पूजा की जाए, तो परिवार में धन, अन्न और सुख-समृद्धि कभी कम नहीं होती।
भाई दूज 2025 में कब है?
अब बात करते हैं दीपावली के पाँचवें और आखिरी दिन की भाई दूज की।
2025 में भाई दूज का त्योहार 25 अक्टूबर (शनिवार) को मनाया जाएगा।
यह त्योहार भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। इसे भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाती है, आरती करती है और उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। बदले में भाई अपनी बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा का वचन देता है।
भाई दूज की कहानी और महत्व
कहानी के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने उसके घर आए थे। बहन ने उनका स्वागत तिलक, मिठाई और आदर से किया। यमराज इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने वचन दिया कि जो भी इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसकी आयु लंबी होगी और उसे यमराज का भय नहीं रहेगा। इसी से इस पर्व की शुरुआत हुई। आज भी हर घर में यह परंपरा बड़े प्यार और सम्मान से निभाई जाती है। यह त्योहार भाई और बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाता है।
भाई दूज कैसे मनाई जाती है?
- इस दिन बहनें सुबह स्नान कर पूजा की थाली तैयार करती हैं जिसमें तिलक के लिए चावल, रोली, दीपक और मिठाई रखी जाती है।
- भाई जब बहन के घर पहुँचता है तो उसका तिलक किया जाता है और उसे मिठाई खिलाई जाती है।
- इसके बाद बहन भाई की लंबी उम्र और सुख की कामना करती है।
- बदले में भाई बहन को उपहार और आशीर्वाद देता है।
शहरों में भले ही लोग अब व्यस्त जीवन जीते हों, लेकिन भाई दूज का यह दिन सभी को जोड़ देता है। यह याद दिलाता है कि रिश्तों की मिठास किसी भी आधुनिक चीज़ से ज़्यादा कीमती है।
गोवर्धन पूजा और भाई दूज दोनों का आपसी संबंध
अगर आप गौर करें तो दीपावली के बाद आने वाले ये दो दिन गोवर्धन पूजा और भाई दूज, दोनों ही जीवन के अलग लेकिन ज़रूरी पहलू सिखाते हैं।
गोवर्धन पूजा हमें सिखाती है प्रकृति और भगवान का सम्मान करना, जबकि भाई दूज हमें सिखाती है रिश्तों की अहमियत समझना।
दोनों ही त्योहार प्रेम, सम्मान और आभार की भावना को बढ़ाते हैं।
2025 गोवर्धन पूजा एवं भाई दूज कब है। – से जुड़े कुछ सवाल
| पर्व | तिथि (2025) | दिन | महत्व |
|---|---|---|---|
| गोवर्धन पूजा | 22अक्टूबर 2025 | बुधवार | भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की याद में |
| भाई दूज | 23 अक्टूबर 2025 | गुरुवार | भाई-बहन के प्रेम का पावन पर्व |
5 रोचक तथ्य (Interesting Facts)
- नेपाल में गोवर्धन पूजा को “म्हा पूजा” कहा जाता है, जो आत्मा की पवित्रता का प्रतीक है।
- भाई दूज को बंगाल में “भाई फोटा” के नाम से मनाया जाता है, जहाँ बहनें खास पकवान बनाती हैं।
- कुछ जगहों पर भाई दूज के दिन यमुना नदी में स्नान करने की परंपरा है।
- गोवर्धन पूजा के दिन गायों की पूजा को “गोधन पूजा” भी कहा जाता है।
- भाई दूज और रक्षाबंधन दोनों त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित हैं, लेकिन इनका महत्व और तरीके अलग हैं।

निष्कर्ष:
अगर हम पूरे दीवाली पर्व के बाद आने वाले सबसे पवित्र और पारिवारिक त्योहारों की बात करें, तो गोवर्धन पूजा और भाई दूज का नाम जरूर आता है। साल 2025 में गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर (बुधवार) को मनाई जाएगी, जबकि भाई दूज 23 अक्टूबर (गुरुवार) को पड़ेगी। ये दोनों पर्व न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनके पीछे प्रेम, श्रद्धा और एकता का गहरा संदेश छिपा है।
गोवर्धन पूजा के दिन किसान और आम लोग भगवान श्रीकृष्ण के गोवर्धन पर्वत की पूजा कर प्रकृति और पशुधन के प्रति आभार जताते हैं। वहीं भाई दूज का दिन बहन और भाई के अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है, जब बहन अपने भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए तिलक करती है।
इन दोनों पर्वों का संबंध भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ा हुआ है, जहां रिश्तों की पवित्रता और प्रकृति के प्रति सम्मान को समान रूप से महत्व दिया गया है। ऐसे में 2025 के इन खास त्योहारों को अपने परिवार के साथ मनाना न सिर्फ आनंददायक होगा, बल्कि यह हमें अपनी परंपराओं से और गहराई से जोड़ देगा।



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