भारत एक ऐसा देश है जो अपनी विविधता और संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता है। भारत में दिवाली/दीपावली 2025 | रोशनी, संस्कृति और परंपरा का उत्सव यहां हर त्यौहार का अपना अलग महत्व है। इन्हीं में से सबसे बड़ा और लोकप्रिय त्यौहार है दिवाली या दीपावली। यह त्योहार सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में बसे भारतीयों के बीच बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
2025 में दिवाली और भी खास होने वाली है, क्योंकि बदलते समय के साथ परंपराओं और आधुनिकता का संगम इस त्योहार को और भी अद्भुत बना देगा।

दिवाली का महत्व और इतिहास
दिवाली सिर्फ पटाखों और रोशनी का त्योहार नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी ऐतिहासिक और धार्मिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं।
- रामायण से जुड़ी मान्यता
दिवाली का सबसे प्रसिद्ध कारण है – भगवान श्रीराम का 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटना। जब श्रीराम माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या पहुंचे, तब पूरे नगरवासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। तभी से दीपावली को ‘अंधकार पर प्रकाश की विजय’ का प्रतीक माना जाने लगा। - महाभारत से जुड़ा प्रसंग
पांडवों के 13 वर्षों का वनवास पूरा होने के बाद उनके लौटने की खुशी में भी दीपावली मनाने की मान्यता है। - माता लक्ष्मी और धन की पूजा
दिवाली को “माता लक्ष्मी” का पर्व भी कहा जाता है। मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन धन की देवी की पूजा करके लोग घर में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। - जैन धर्म का महत्व
जैन धर्म में यह पर्व भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। - सिख धर्म का महत्व
सिखों के लिए यह दिन “बंधी छोड़ दिवस” कहलाता है, क्योंकि इसी दिन गुरु हरगोबिंद सिंह जी को कैद से आज़ाद किया गया था।
दिवाली कब मनाई जाएगी – 2025 में तिथि
दिवाली की तिथि हर साल चंद्र कैलेंडर के आधार पर बदलती है। 2025 में दिवाली 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी।
- धनतेरस: 18 अक्टूबर 2025
- नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली): 19 अक्टूबर 2025
- मुख्य दिवाली (लक्ष्मी पूजा): 20 अक्टूबर 2025
- गोवर्धन पूजा/अन्नकूट: 21 अक्टूबर 2025
- भाई दूज: 22 अक्टूबर 2025
दीपावली पर कौन से उपहार नहीं देने चाहिए?
दिवाली 2025 की तैयारी
भारत में दिवाली की तैयारियाँ लगभग एक महीने पहले से शुरू हो जाती हैं। लोग घरों की सफाई, रंग-रोगन और सजावट में जुट जाते हैं।
- घर की सफाई और सजावट
माना जाता है कि लक्ष्मी माता स्वच्छ और सुंदर घर में प्रवेश करती हैं। इसलिए हर कोई अपने घर को चमकाने में लगा रहता है। - बाजारों की रौनक
दिवाली से पहले बाजारों में जबरदस्त भीड़ देखने को मिलती है। कपड़े, सजावटी सामान, मिठाइयाँ, इलेक्ट्रॉनिक सामान और उपहारों की खरीदारी जोर-शोर से होती है। - दीयों और लाइटिंग का इस्तेमाल
पहले जहां केवल मिट्टी के दीये जलाए जाते थे, वहीं अब रंग-बिरंगी LED लाइट्स, इलेक्ट्रिक झालर और सजावटी लैंप भी सजावट का हिस्सा बन चुके हैं।
दिवाली मनाने के मुख्य रीति-रिवाज
- लक्ष्मी पूजा
दिवाली की रात लक्ष्मी माता, भगवान गणेश और कुबेर जी की पूजा की जाती है। लोग अपने घरों, दुकानों और ऑफिस में विधि-विधान से पूजा कर धन और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। - दीयों की रोशनी
दीपक जलाने की परंपरा अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। छोटे-छोटे दीये जब घर-घर जगमगाते हैं, तो पूरा वातावरण दिव्य और पवित्र लगने लगता है। - पटाखों का महत्व
पटाखे फोड़ना दिवाली की खास पहचान है। हालांकि अब पर्यावरण के मद्देनज़र लोग ‘ग्रीन पटाखों’ को प्राथमिकता देने लगे हैं। - मिठाइयाँ और पकवान
दिवाली के मौके पर तरह-तरह की मिठाइयाँ और नमकीन व्यंजन बनाए जाते हैं। घरों में गुझिया, लड्डू, काजू कतली और अन्य पकवानों की खुशबू माहौल को और भी खुशनुमा बना देती है। - उपहार देने की परंपरा
इस दिन रिश्तेदारों और दोस्तों को मिठाइयाँ, कपड़े और गिफ्ट देने का चलन है। इससे रिश्तों में मिठास बनी रहती है।
दीपावली पर कौन से उपहार नहीं देने चाहिए?
2025 में दिवाली का बदलता स्वरूप
समय के साथ दिवाली मनाने का तरीका भी बदला है।
- पर्यावरण अनुकूल दिवाली
अब लोग पटाखों की बजाय दीयों और लाइटिंग से ही त्योहार मनाने लगे हैं ताकि प्रदूषण कम हो। - डिजिटल दिवाली
आजकल लोग ऑनलाइन गिफ्ट कार्ड, डिजिटल शुभकामनाएँ और सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए भी दिवाली की बधाइयाँ भेजते हैं। - ईको-फ्रेंडली सजावट
मिट्टी के दीये, कागज के लालटेन और प्राकृतिक सजावट का ट्रेंड 2025 में और बढ़ने वाला है। - ग्लोबल दिवाली
विदेशों में बसे भारतीय भी दिवाली को उतनी ही धूमधाम से मनाते हैं। अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और खाड़ी देशों में भारतीय समुदाय बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करता है।
दिवाली का सामाजिक और आर्थिक महत्व
- सामाजिक दृष्टि से
यह त्योहार रिश्तों को मजबूत करने का अवसर है। परिवार और दोस्त साथ मिलकर इस दिन जश्न मनाते हैं। - आर्थिक दृष्टि से
दिवाली का समय कारोबारियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान करोड़ों रुपये का व्यापार होता है। - संस्कृति और पहचान
दिवाली भारतीय संस्कृति की पहचान है। यह त्योहार पूरी दुनिया में भारत की परंपराओं को उजागर करता है।

दिवाली से जुड़े 10 रोचक तथ्य
- दिवाली को “Festival of Lights” कहा जाता है।
- यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है।
- दिवाली सिर्फ हिंदू धर्म का नहीं, बल्कि जैन और सिख धर्म में भी विशेष महत्व रखती है।
- अयोध्या में दिवाली के समय लाखों दीये जलाकर विश्व रिकॉर्ड बनाए जाते हैं।
- दिवाली के दिन शेयर बाजार में “मुहूर्त ट्रेडिंग” की परंपरा है।
- इस दिन सोना-चांदी और नई चीज़ें खरीदना शुभ माना जाता है।
- नेपाल में दिवाली को “तिहार” के नाम से मनाया जाता है।
- इंडोनेशिया और मलेशिया में भी दिवाली मनाई जाती है।
- दिवाली का त्यौहार भारत की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देता है।
- कई जगहों पर दिवाली को नए साल की शुरुआत भी माना जाता है।
दीपावली पर कौन से उपहार नहीं देने चाहिए?
निष्कर्ष भारत में दिवाली/दीपावली 2025
दिवाली/दीपावली 2025 सिर्फ रोशनी और पटाखों का त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और सामाजिक मेल-जोल का प्रतीक है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, लेकिन प्रकाश की एक छोटी सी किरण उसे मिटा सकती है।
2025 की दिवाली में अगर हम पर्यावरण का ध्यान रखते हुए इसे मनाएँ, तो यह और भी पवित्र और यादगार बन जाएगी। इस साल का यह त्यौहार हर घर में खुशियों, समृद्धि और शांति लेकर आए, यही कामना है।


