जय माता दी मेरे भाइयों और बहनों नवरात्रि का नाम आते ही हमारे मन में भक्ति, शक्ति और उत्साह का एक अनोखा मिश्रण जग जाता है। ये नौ दिनों का त्योहार माता दुर्गा की पूजा का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है।नवरात्रि के आखिरी दिन का महत्व हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की आराधना की जाती है और पूरा वातावरणभक्ति में लीन हो जाता है। लेकिन इन नौ दिनों में सबसे खास और महत्वपूर्ण दिन होता है नवरात्रि का आखिरी दिन, जिसे लोग बहुत श्रद्धा और विश्वास के साथ मानते हैं। आखिरी दिन को कहीं महानवमी कहा जाता है और कहीं दशहरा, और दोनों का ही महत्व बेहद गहरा होता है।
इस दिन का महत्व सिर्फ पूजा-पाठ तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक असर भी बहुत बड़ा है। अगर आप सोच रहे हैं कि आखिर आखिरी दिन को इतना खास क्यों माना जाता है तो आइए पूरे विस्तार से इसे समझते हैं।
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1. मां दुर्गा को विदाई देने का दिन
नवरात्रि का आखिरी दिन मां दुर्गा की विदाई का दिन माना जाता है। पूरे नौ दिनों तक भक्त घर-घर में माता का स्वागत करते हैं, व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और हर रूप की महिमा गाते हैं। लेकिन आखिरी दिन आता है जब मां को विदा करना होता है। इसे ठीक वैसे ही समझिए जैसे घर में कोई खास मेहमान नौ दिन रुकने के बाद वापस लौट रहा हो। उस वक्त मन भारी भी होता है और आशीर्वाद लेने की खुशी भी।
विदाई के इस दिन लोग कन्या पूजन करते हैं, यानी छोटी बच्चियों को माता का स्वरूप मानकर उन्हें भोजन कराते हैं, उपहार देते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। इसे कंजक पूजन भी कहा जाता है और माना जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
2. महानवमी और विजयादशमी का महत्व
आखिरी दिन को दो तरह से मनाया जाता है। एक तरफ इसे महानवमी कहा जाता है, जिसमें मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। ये स्वरूप इंसान को सभी सिद्धियाँ और ज्ञान देने वाला माना जाता है। वहीं दूसरी तरफ, दशहरे के रूप में भी ये दिन मनाया जाता है, जिसे रावण दहन के तौर पर पूरी दुनिया जानती है।
दशहरे का मतलब है “बुराई पर अच्छाई की जीत।” भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था और ये संदेश दिया था कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अच्छाई हमेशा जीतती है। इसलिए नवरात्रि का आखिरी दिन सिर्फ मां दुर्गा की विदाई ही नहीं, बल्कि जीवन में बुराई को खत्म करने और अच्छाई को अपनाने का भी प्रतीक है।
3. भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का शिखर
कहा जाता है कि नवरात्रि में हर दिन पूजा और व्रत रखने से इंसान के भीतर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती जाती है। जब आखिरी दिन आता है तो ये ऊर्जा अपने चरम पर होती है। यही वजह है कि इस दिन की पूजा को बेहद खास माना जाता है। कई लोग इस दिन हवन और यज्ञ करते हैं ताकि वातावरण में पवित्रता फैले और जीवन से सभी नकारात्मकता दूर हो जाए।
ये दिन आत्मशुद्धि और आत्मबल पाने का समय माना जाता है। लोग विश्वास करते हैं कि मां दुर्गा आखिरी दिन अपने भक्तों की झोली खुशियों और आशीर्वाद से भरकर जाती हैं।
4. सामाजिक और सांस्कृतिक रंग
नवरात्रि का आखिरी दिन केवल धार्मिक रूप से नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक तौर पर भी बेहद अहम है। इस दिन मेलों का आयोजन होता है, रावण दहन किया जाता है, घर-घर मिठाइयां बांटी जाती हैं और लोग एक-दूसरे से मिलते हैं। यह त्योहार लोगों को जोड़ने का काम करता है।
इस दिन गांव से लेकर शहर तक एक ही उत्साह देखने को मिलता है। बच्चे रावण दहन का आनंद लेते हैं, महिलाएं खास व्यंजन बनाती हैं और पुरुष समाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं। इस तरह आखिरी दिन पूरे समाज को एक सूत्र में बांध देता है।
5. जीवन के लिए सीख
नवरात्रि का आखिरी दिन हमें कई बड़ी सीख भी देता है।
- यह सिखाता है कि हर अंत के साथ एक नई शुरुआत होती है।
- यह बताता है कि बुराई चाहे कितनी भी मजबूत क्यों न हो, उसका अंत निश्चित है।
- यह याद दिलाता है कि शक्ति और भक्ति के संतुलन से ही जीवन सफल बनता है।
ये दिन केवल पूजा का दिन नहीं बल्कि जीवन दर्शन को समझने का भी सही मौका है।

नवरात्रि के आखिरी दिन से जुड़े 5 रोचक फैक्ट्स
- नवरात्रि का आखिरी दिन कई जगहों पर रामलीला के समापन के रूप में भी मनाया जाता है, जहां भगवान राम की विजय का मंचन होता है।
- बंगाल में इस दिन को “दुर्गा विसर्जन” कहा जाता है और इसे बेहद भावुक माहौल में मनाया जाता है, ठीक वैसे ही जैसे गणेश विसर्जन।
- मान्यता है कि जो लोग इस दिन कन्या पूजन करते हैं और दान देते हैं, उनके जीवन में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
- आखिरी दिन किए गए हवन का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है, क्योंकि इससे वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है।
- भारत के अलग-अलग राज्यों में इस दिन को अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है, लेकिन संदेश हर जगह एक ही रहता है—अच्छाई की जीत।
conclusion: नवरात्रि के आखिरी दिन का महत्व
नवरात्रि का आखिरी दिन सिर्फ त्योहार का अंत नहीं बल्कि एक नई सोच की शुरुआत है। ये दिन हमें सिखाता है कि जैसे रावण का अंत हुआ वैसे ही हमारे भीतर की बुराइयों का भी अंत होना चाहिए। मां दुर्गा की विदाई के साथ हम ये संकल्प लेते हैं कि हम जीवन में अच्छाई, ईमानदारी और शक्ति को बनाए रखेंगे।



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